भोपाल। सागर में पूर्व भाजपा विधायक हरवंश सिंह राठौर के बंगले से वन विभाग की टीम ने वन्यजीवों के अवशेष से बनीं 34 ट्राफियां और आर्टिकल जब्त किए हैं। वन विभाग की एसआईटी ने सोमवार देर रात सागर के सदर बाजार स्थित बंगला नंबर एक पर छापेमारी की।
उत्तर और दक्षिण वन मंडल के अमले को जांच के दौरान राठौर परिवार के पास ट्रॉफी और आर्टिकल्स के वैध दस्तावेज नहीं मिले। जिन चीजों के दस्तावेज परिवार ने दिखाए, वन विभाग ने उन्हें लौटा दिया।
इससे पहले 13 जनवरी को वन विभाग की टीम ने राठौर बंगला पहुंचकर वन्यजीवों के अवशेषों से तैयार ट्रॉफियों से संबंधित दस्तावेजों की जांच-पड़ताल की थी। यहां बाघ, तेंदुआ, काले हिरण, चौसिंगा, सांभर, चिकांरा की खाल, सींग और अन्य अवशेषों से बनी ट्रॉफियां मिली थीं।
करीब साढे़ 5 घंटे तक जांच-पड़ताल के बाद वन विभाग ने राठौर परिवार को क्लीनचिट दी थी। कहा गया था कि इन्हें रखने के दस्तावेज राठौर परिवार के पास हैं।
घर से मिले मगरमच्छ बिना जांच-क्वारंटाइन जलाशयों में छोड़े
इससे पहले 10 और 11 जनवरी को राठौर के घर से दो-दो मगरमच्छों का रेस्क्यू किया गया था। ये करीब 6 से 7 फीट लंबे हैं। इनमें से 2 को रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व की व्यारमा नदी के चकई नाले में, तीसरे को सिंगपुर रेंज के हर्रे वाले तालाब और चौथे मगरमच्छ को कुठला नाला में छोड़ा गया था।
वन विभाग ने राठौर बंगले से मगरमच्छ लाकर सीधे टाइगर रिजर्व के जलाशयों में छोड़ दिए थे। न तो उनको क्वारंटाइन किया और न ही उनके सेंपल की रिपोर्ट आने तक का इंतजार किया। जिन जलाशयों में मगरमच्छ छोड़े गए हैं, वहां पहले से दूसरे मगरमच्छ हैं। यदि छोड़े गए मगरमच्छों में कोई बीमारी निकलती है तो जलाशय में मौजूद अन्य मगरमच्छ भी चपेट में आ सकते हैं।
सैंपल के लिए मगरमच्छों को तलाश रही वन विभाग की टीम
सूत्रों के अनुसार, अब टाइगर रिजर्व की टीम इन मगरमच्छों को तलाश रही है क्योंकि उनके सैंपल नहीं लिए गए थे। दैनिक भास्कर ने इस मामले को लेकर टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अब्दुल अंसारी से बात करनी चाही लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने बताया कि इसमें सीसीएफ सागर की सीधे तौर पर लापरवाही है क्योंकि उनके अधीन सागर और नौरादेही भी हैं। उन्होंने ही शिफ्टिंग का आदेश दिया था।