Editorial
शाबास मनु भाकर…
गोल्ड न सही, कांस्य तो मिला…। पूरा भारत यह आस लगाए बैठा है कि पेरिस ओलिंपिक में हमारे ऐथलीट तोक्यो में जीते अब तक के सबसे ज्यादा सात पदकों का कीर्तिमान तोडक़र नई और लंबी लकीर खींचेंगे, ऐसे में मनु भाकर की जीत की खबर ने स्वाभाविक ही सबका जोश कई गुना बढ़ा दिया है। उनका यह ब्रॉन्ज मेडल सिर्फ इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि यह पेरिस ओलिंपिक में किसी भारतीय ऐथलीट का पहला मेडल है।
इस उपलब्धि की ऐतिहासिक चमक के पीछे कई और बातें हैं। पहली बात तो यह कि मनु ने ब्रॉन्ज मेडल पर कामयाब निशाना लगाकर एक साथ कई कीर्तमान स्थापित कर दिए हैं। वह ओलिंपिक मेडल जीतने वाली देश की पहली महिला शूटर हो गई हैं। इससे पहले इस ऑल बॉयज क्लब में राज्यवर्धन सिंह राठौर, अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग और विजय कुमार ही थे। यही नहीं, मनु पिछले 20 साल में किसी व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा में ओलिंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली पहली महिला भी बनीं हैं। 10 मीटर एयर पिस्टल मुकाबले में तो आज तक कोई महिला शूटर ओलिंपिक फाइनल तक भी नहीं पहुंची थी।
मनु भाकर जिस मंजिल पर पहुंची हैं, उसे उनकी उतार-चढ़ाव भरी यात्रा भी खास बनाती है। मात्र 19 साल की उम्र में तोक्यो ओलिंपिक तक पहुंचकर वहां अचानक पिस्टल खराब होने की वजह से चूक जाना किसी भी टीनेजर के लिए कितना बड़ा झटका होगा, यह आसानी से समझा जा सकता है। मनु न केवल उस झटके से उबरीं बल्कि अगले ही ओलिंपिक में जीत दर्ज कराकर अपनी फाइटिंग स्पिरिट, अपने जज्बे का सिक्का जमा लिया।
सबसे बड़ी बात यह है कि मनु महज एक ऐथलीट नहीं हैं। वह युवा ऐथलीटों की उस पूरी कौम की नुमाइंदगी करती हैं जो देश का गौरव बढ़ाने के अभियान में लगे हैं। चाहे नीरज चोपड़ा हों या पीवी सिंधु या विनेश फोगाट औऱ मीराबाई चानू- ये उन दर्जनों नामों में शुमार हैं जो अपना खून-पसीना जलाते हुए देश का मान बढ़ाने में लगे हैं। इनमें से कई नाम अगले कुछ दिनों में देश को सुनहरी आभा प्रदान करें तो आश्चर्य नहीं।
इस मौके पर उन प्रयासों को दर्ज करना भी महत्वपूर्ण हो जाता है, जिनकी बदौलत ये खिलाड़ी बेहतरीन प्रदर्शन कर पा रहे हैं। जो इसके पीछे हैं। चाहे सरकार की ओर से मुहैया कराई जाने वाली सुविधाएं हों या भारतीय कॉरपोरेट जगत की ओर से स्पॉन्सर की जाने वाली सहूलियतें- इनका ऊंचा होता ग्राफ ही वह माहौल बनाता है जिसमें खिलाड़ी ऊंचे मनोबल के साथ पदक तक पहुंचने वाली छलांग लगा पाता है। गौर करने की बात है कि पिछले आयोजनों के मुकाबले पेरिस ओलिंपिक में इंडिया इंक ने अपना निवेश 30-40 फीसदी बढ़ाया है।
कुल मिलाकर मनु ने पदक तालिका में एंट्री करते हुए भारत के लिए दरवाजा खोल दिया है। यहां से लाइन शुरू हो गई है। अब बाकी खिलाडिय़ों का नंबर है। पीवी सिंधु से लेकर और तमाम खिलाड़ी अभी हमारी स्वर्णिम उम्मीदों की कतार में शामिल हैं।
– संजय सक्सेना