Sansad Priyanka Gandhi: ये देश उठेगा, ये देश लड़ेगा, सत्य मांगेगा, सत्यमेव जयते…संसद में प्रियंका गांधी ने पहले ही भाषण से लूट ली महफिल

नई दिल्ली । ये देश भय से नहीं चलेगा, साहस से ही चल सकता है। ये देश ‘कायरों के हाथों’ में ज्यादा देर तक कभी नहीं रहेगा, ये देश उठेगा, ये देश लड़ेगा। प्रियंका गांधी ने शुक्रवार को संसद में संविधान पर चर्चा के दौरान कहा- संविधान ने आज की सरकार को नारी शक्ति पर बात करने को मजबूर किया। केंद्र सरकार नारी शक्ति अधिनियम बिल को लागू क्यों नहीं करती। क्या आज की महिला 10 साल तक इंतजार करेगी।

प्रियंका ने केंद्र सरकार से कहा- आप पंडित नेहरू का नाम नहीं लेते। जहां जरूरत होती है, वहां जरूर लेते हैं। सत्ता पक्ष के साथी अतीत की बातें करते हैं। 1921 में क्या हुआ, नेहरू ने क्या किया। अरे वर्तमान की बात करिए। देश को बताइए कि आप क्या कर रहे हैं। आपकी जिम्मेदारी क्या है। क्या सारी जिम्मेदारी नेहरू जी की है।

इंदिरा जी ने बैंकों, खदानों का राष्ट्रीयकरण कराया। कांग्रेस सरकारों में शिक्षा-भोजन का अधिकार मिला। जनता का भरोसा मिला। पहले संसद चलती थी तो उम्मीद होती थी कि महंगाई और बेरोजगारी पर चर्चा होगी, कोई रास्ता निकलेगा। कोई नीति बनेगी तो देश की अर्थव्यवस्था, भविष्य को मजबूत बनाने के लिए बनेगी। आज तो संसद ही नहीं चलने दी जा रही।

प्रियंका ने कहा- पीएम सदन में संविधान की किताब को माथे से लगाते हैं। संभल, हाथरस, मणिपुर में जब न्याय की बात उठती है तो माथे पर शिकन तक नहीं आता। एक कहानी होती थी- राजा भेष बदलकर बाजार में आलोचना सुनने जाता था कि प्रजा क्या कह रही है। मैं सही रास्ते पर हूं या नहीं। आज के राजा भेष तो बदलते हैं, उन्हें शौक है। न जनता के बीच जाने की हिम्मत है और न आलोचना सुनने की।
यह देश भय से नहीं साहस और संघर्ष से बना’
प्रिंयका गांधी ने कहा कि ‘ऐसा डर का माहौल देश में अंग्रेजों के राज में था, जब इस तरफ बैठे हुए गांधी विचारधारा वाले लोग आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे, वहीं उस तरफ के लोग भय में रहकर अंग्रेजों के साथ सांठ-गांठ कर रहे थे। भय फैलाने वाले खुद भय का शिकार हो जाते हैं। आज इनकी भी यही स्थिति हो गई है। चर्चा से डरते हैं, आलोचना से घबराते हैं। इनमें चर्चा की हिम्मत नहीं है। आज के राजा में न जनता के बीच जाने की हिम्मत है और न आलोचना सुनने की।’

‘यह देश भय से नहीं, साहस और संघर्ष से बना है। इसे बनाने वाले किसान, मजदूर और करोड़ों जनता है। ये देश भय से नहीं चल सकता। भय की भी एक सीमा है, जब उसे इतना दबाया जाता है और उसके पास उठ खड़े होने के सिवाय कोई चारा नहीं होता। ये देश कायरों के हाथों में ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकता। ये देश लड़ेगा, सत्य मांगेगा।’
‘एक नेता संविधान की प्रति जेब में रखते हैं, उन्होंने अपने पूर्वजों से यही सीखा’, राजनाथ सिंह का तंज
लोकसभा में संविधान पर चर्चा की शुरुआत केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। उन्होंने कहा कि ’75 साल पहले संविधान सभा ने संविधान निर्माण का काम पूरा किया था। संविधान सभा ने जो संविधान तैयार किया था, वह केवल कानूनी दस्तावेज नहीं था बल्कि वह जनआकांक्षाओं का प्रतिबिंब था।’
राजनाथ सिंह ने कहा कि संविधान से देश में सही मायने में लोकतंत्र लागू हुआ। हमारा संविधान सार्वभौम है, जहां यह राज्य की जिम्मेदारियों को सूचीबद्ध करता है तो वहीं नागरिकों के अधिकारों का भी उल्लेख करता है। हमारा संविधान सहकारी सघंवाद को सुनिश्चित करता है तो राष्ट्र की एकता को भी सुनिश्चित करता है। भारत का संविधान देश के गौरव को स्थापित करने का रोडमैप भी है।
अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘एक पार्टी विशेष के नेता संविधान की प्रति अपनी जेब में रखकर चलते हैं। दरअसल उन्होंने अपने पूर्वजों से यही सीखा है।’ राजनाथ सिंह का यह तंज कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर माना जा रहा है।
धनखड़ बोले- मैंने बहुत बर्दाश्त किया, खड़गे ने कहा- आप सम्मान नहीं करते, मैं क्यों करूं


संविधान पर पक्ष-विपक्ष की चर्चा से पहले शुक्रवार को राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। दरअसल, विपक्ष ने सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इसके खिलाफ भाजपा सांसद राधामोहन दास अग्रवाल विशेषाधिकार हनन का नोटिस ले आए। इसी पर हंगामा शुरू हुआ।

इस दौरान धनखड़ और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच जमकर बहस हुई। चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने कहा कि ‘मैंने बहुत सहा। मैं किसान का बेटा हूं, मैं झुकता नहीं हूं। विपक्ष ने संविधान की धज्जियां उड़ा दी हैं।’
जवाब में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ‘आप हमारी पार्टी के नेताओं का अपमान करते हैं। आपका काम सदन चलाना है। हम यहां आपकी तारीफ सुनने के लिए नहीं आए। आप किसान के बेटे हो तो मैं मजदूर का बेटा हूं। आप सम्मान नहीं करते तो मैं आपका सम्मान क्यों करूं।’

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