Rajyasabha: केरल के ‘सरकार’ की MP से राज्यसभा में एंट्री:जॉर्ज कुरियन को प्रत्याशी बना कर बीजेपी ने साउथ कनेक्शन को किया स्ट्रॉन्ग
भोपाल मध्यप्रदेश में राज्यसभा की खाली एक सीट से बीजेपी ने केंद्रीय राज्यमंत्री जॉर्ज कुरियन को प्रत्याशी बनाया है। वे मोदी कैबिनेट में मत्स्य पालन, पशुपालन-डेयरी विभाग के राज्य मंत्री हैं। केरल में उनके सहयोगी उन्हें ‘सरकार’ कहकर संबोधित करते हैं। कुरियन ने आज अपना नामांकन दाखिल कर दिया।
विधानसभा में विधायकों की संख्या के हिसाब से उनका निर्विरोध चुना जाना तय है। वे मध्यप्रदेश से पहले ईसाई सांसद होंगे। गुना से लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद जून में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राज्यसभा सांसद से इस्तीफा दे दिया था। सिंधिया के सीट खाली करने के बाद राज्यसभा के लिए मप्र के कई नेता दावेदार थे, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने केरल के नेता जॉर्ज कुरियन को राज्यसभा प्रत्याशी बनाया। उनका कार्यकाल दो साल का रहेगा।
एक्सपर्ट की माने तो कुरियन को जब मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया था उस वक्त भी कई लोगों ने आश्चर्य जताया था, क्योंकि वे किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। इसे बीजेपी की केरल में ईसाई समुदाय के बीच पैठ बढ़ाने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है।
कुरियन को मप्र के अलावा किसी और राज्य से राज्यसभा में न भेजने के सवाल पर एक्सपर्ट का कहना है कि कुरियन को एमपी से राज्यसभा भेजकर बीजेपी ने अपने साउथ इंडिया कनेक्शन को और ज्यादा स्ट्रॉन्ग किया है। इससे पहले मप्र से बीजेपी ने दक्षिण भारत के चार नेताओं को राज्यसभा भेजा है। इनमें जॉर्ज कुरियन के गुरु और पूर्व केंद्रीय मंत्री ओ राजगोपाल का नाम भी शामिल है।
कुरियन को क्यों कहते हैं- केरल के ‘सरकार’
केरल के कोट्टायम के रहने वाले जॉर्ज कुरियन को उनके पुराने दोस्त ‘सरकार’ कहकर बुलाते हैं। एक महीने पहले इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में कुरियन ने बताया था कि जब वे कोट्टायम के सरकारी कॉलेज में पढ़ते थे तब केंद्र में बीजेपी की सरकार बनाने के अपने सपनों की बातें करते थे।
उनके इन सपनों से तंग आकर दोस्तों ने उनका नाम ‘सरकार’ रख दिया था। जल्द ही ये नाम वायरल हो गया। यहां तक कि उनके कॉलेज के प्रोफेसर भी उन्हें इसी नाम से बुलाने लगे। जिस दिन कुरियन ने मोदी 3.0 में राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी उस दिन उनके एक नजदीकी मित्र ने उन्हें मैसेज भेजा कि पुराने ‘सरकार’ अब मेगा सरकार का हिस्सा बन गए हैं।
वायनाड से प्रियंका गांधी का चुनाव लड़ना तय है। ऐसे में बीजेपी ने कुरियन को केंद्र में मंत्री बनाकर इस समुदाय को साधने की कोशिश की है। कुरियन ने बीजेपी और ईसाईयों के बीच की खाई को पाटने में काफी हद तक मदद की है।
चर्च के नेताओं के साथ कुरियन की नजदीकी ने न केवल बीजेपी को त्रिशूर में जीत दिलाने में मदद की बल्कि पठानमथिट्टा, अलप्पुझा, एर्नाकुलम और इडुक्की जैसी सीटों पर भी बीजेपी ने समर्थन हासिल किया है।
जॉर्ज कुरियन पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद ओ राजगोपाल को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। वे कहते भी हैं कि उनके बीजेपी में आने की वजह ओ राजगोपाल ही रहे हैं। जिन्होंने हमेशा लोगों से जुड़े रहने रहने के लिए प्रेरित किया है।
खास बात है कि केरल के मन्नापड्डम के रहने वाले ओ राजगोपाल मप्र से दो बार राज्यसभा सांसद भी रहे। उनका पहला कार्यकाल 1992 से 1998 तक रहा। दूसरी बार वे 1998 से 2004 तक राज्यसभा सांसद रहे। इस दौरान केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी। ओ राजगोपाल 1999 में वाजपेयी सरकार में रेल राज्य मंत्री बनाए गए तब जॉर्ज कुरियन ने राजगोपाल के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के रूप में काम किया था।