भोपाल। आज अचानक शिवराज सिंह चौहान सीएम मोहन यादव से मिलने उनके घर पहुंच गए। सीएम मोहन यादव और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान में लंबी बातचीत हुई है। हालांकि आधिकारिक रूप से कोई जानकारी नहीं दी गई है, दोनों में क्या बातचीत हुई है, लेकिन राजनीतिक और प्रसाशनिक गलियारों में खुसपुसाहट है कि एक मुद्दा परिवहन आरक्षकों वाला भी था।
सूत्र बताते हैं कि हाल ही में जिस तरह से व्यापम का जिन्न एक बार फिर जागा है, उसने बीजेपी के तमाम नेताओं की नींद उड़ा दी है। सबसे ज्यादा दिक्कत केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान को होती दिख रही है। माना जा रहा है के शिवराज न केवल बीजेपी अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार हैं, बल्कि यदि मोदी हटते हैं तो प्रधानमंत्री पद के लिए भी शिवराज की पूरी तैयारी है। शायद यही कारण है कि अचानक व्यापम के जरिए हुई परिवहन आरक्षकों की भर्ती का मामला उठ गया। उनकी नियुक्ति निरस्त कर दी गई।
अब इन परिवहन आरक्षकों की भर्ती की गाज किसी पर तो गिराई जायेगी। इसमें तत्कालीन परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा का नाम भी था, जो वर्तमान में उप मुख्यमंत्री है। उनके ओएसडी राजेंद्र सिंह तो डोंसाल व्यापम कांड में जेल भी रहकर आ गए हैं। Cm शिवराज के निवास से हुए फोन कॉल के प्रमाण भी हैं, जिनके जरिए आरक्षकों की भर्ती के लिए कहा गया। एक दर्जन से अधिक उम्मीदवार गोंदिया के मूल निवासी हैं, जिन्हें एमपी का बना कर परीक्षा दिलवाई गई और भर्ती करवाई गई। तत्कालीन सीएम की पत्नी का नाम भी इसमें आया, वे गोंदिया की ही रहने वाली हैं। यानी उनका मायका है।
कांग्रेस ने तो कथित तौर पर पहले समझौता कर लिया था, लेकिन अब जब जिन्न फिर जागा, तो कांग्रेस फिर हमलावर है। सच तो ये है कि ये पूरा मामला बीजेपी की अंदरूनी राजनीति से ही जुड़ा है। पार्टी नेतृत्व शिवराज को सीएम पद से हटाने के बाद कोई पद नही देना चाहता था, लेकिन संघ के दबाव और पार्टी के तत्कालीन हालात के चलते शिवराज को केंद्रीय मंत्री बनाना पड़ा। अब जब शिवराज अध्यक्ष या पीएम की दावेदारी की कतार में आगे दिखाई दिए, तो फाइलें खुलने लगीं। माना जा रहा है कि एकाध मामला और सामने आ सकता है। फिलहाल तो इसी मामले में पूर्व सीएम की भूमिका में उनका नाम शामिल है। आगे आगे क्या होता है, ये देखना है।