भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि उज्जैन, जबलपुर, कोयमबटूर, बैंगूलर के व्यापारियों से प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने मप्र में निवेश को लेकर सम्मेलन कर चर्चाएं की। ग्वालियर क्षेत्रीय औद्योगिक सम्मेलन उसी श्रृखंला में आयोजित हुआ है। इस तरह के तमाम आयोजनों में वहीं 60 प्रतिशत उद्योगपति बार-बार शामिल हो जाते हैं और भीड़ बढ़ाने का काम करते हैं।
श्री पटवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री जी कृपापूर्वक यह बतायें कितने उद्योगपतियों ने उद्योग लगाने के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट सबमेंट की है और लोन के लिए कितने लोगों ने प्रक्रिया शुरू की हैं, इतना ही नहीं पिछले पांच वर्षों में कितने उद्योग शुरू हुए और कितने बंद हुये। औद्योगिक क्षेत्रों की यह हालत है कि कोई भी जाकर देख ले, बरसात में इन औद्योगिक क्षेत्रों के अंदर घुसना मुस्किल है। औद्योगिक क्षेत्र में न सड़कें हैं न नालियां हैं और न ही पानी निकासी का कोई उचित सिक्टम है।
श्री पटवारी ने कहा कि मप्र के औबेदुल्लागंज में प्लास्टिक पार्क बनाया गया है वहां पानी की व्यवस्था ही नहीं है। जबकि इस इंडस्ट्रीज में पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। यहां की 70 फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं और पूरा इंइस्ट्रीज एरिया जंगल की तरह उजड़ा हुआ पड़ा है।
श्री पटवारी ने कहा कि मुख्यमंजी की यह बताएं कि पिछले तीन सालों से उद्योगों को मिलने वाली सब्सिटी उन्हें क्यों नहीं दी गई। पर्यावरण की एनओसी बिना नाक रगड़े, बिना पैसे दिये क्यों नहीं मिलती। बिजली कनेक्शन लेने के लिए पांव क्यों रगड़ने पड़ रहे हैं, चप्पलें क्यों टूट जाती हैं। उन्होंने कहा कि जिला उद्योग केंद्र जमीनों की दलाली का केंद्र बन गया है। वर्ष 2020 में केंद्र सरकार ने कलस्टर नीति बनायी, मप्र सरकार ने भी इस नीति के तहत जमीनों को चिन्हित किया और व्यापारी समूहों ने जमीन की एनओसी की प्रक्रिया के लिए समय और पैसा खर्च किया। व्यापारियों के अथक परिश्रम से जमीनें जिला उद्योग केंद्र के पास तो आ गई, परंतु उक्त जमीनें व्यापारियों को नहीं मिली। वर्तमान मंत्री इस नीति को बदल रहे हैं और उनका कहना है कि अब हम उस जमीन को स्वयं विकसित कर व्यापारियों को देंगे।
श्री पटवारी ने कहा कि इस नीति का उद्देश्य था कि व्यापारियों को सस्ती जमीन मिले, किंतु उक्त जमीन जिला उद्योग केंद्र और मंत्रालय की कमाई का केंद्र बन गई है।