भोपाल। प्रदेश में निगम मंडलों में नेताओं की नियुक्तियों का इंतजार थोड़ा और लंबा हो गया है। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के बाद ही निगम-मंडलों में नेताओं को एडजस्ट किया जाएगा। हालांकि, जिन्हें नियुक्तियां मिलना है, उनकी लिस्ट तैयार है।
जिन 8 नेताओं के नाम लगभग तय है, उनमें से तीन बीजेपी, दो कांग्रेस से बीजेपी में शामिल नेता हैं तो एक सिंधिया समर्थक और दो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले नेता हैं।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि नए सदस्य बनाने के अभियान के बाद अब संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। बूथ और मंडल स्तर के चुनाव के बाद जिला और प्रदेश परिषद् के चुनाव होंगे। निगम मंडल की नियुक्तियों में संगठन की राय अहम होती है इसलिए अभी जिन नेताओं के नाम तय है, उन्हें दिसंबर तक का इंतजार करना पड़ेगा।
खंडेलवाल दूसरी बार के विधायक, गोटिया सीनियर लीडर
हेमंत खंडेलवाल बैतूल से दूसरी बार के विधायक हैं। इससे पहले 2007 में वे बैतूल के सांसद भी रह चुके हैं। चुनाव मैनेजमेंट में माहिर कहे जाने वाले हेमंत खंडेलवाल पार्टी कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। सूत्र कहते हैं कि प्रदेश संगठन के चुनाव में कोषाध्यक्ष के पद पर किसी और की नियुक्ति हो सकती है, इसलिए खंडेलवाल को निगम-मंडल में एडजस्ट किया जा सकता है।
विनोद गोटिया पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। प्रदेश महामंत्री और उपाध्यक्ष रह चुके हैं। साल 2016 में विवेक तन्खा के खिलाफ राज्यसभा का निर्दलीय चुनाव लड़े थे। हालांकि, उन्हें हार मिली थी। महाकौशल से आने वाले गोटिया को साल 2021 में शिवराज सरकार में पर्यटन विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया था। ऐसे में उन्हें एक बार फिर मौका मिल सकता है।
वहीं, बुधनी उपचुनाव में टिकट की दावेदारी करने वाले राजेंद्र सिंह राजपूत को भी निगम-मंडल में एडजस्ट करने का भरोसा दिया गया है। राजपूत के समर्थकों ने बुधनी से रमाकांत भार्गव को टिकट देने का विरोध किया था। इसी के बाद प्रदेश संगठन ने राजेंद्र सिंह राजपूत को निगम-मंडल में नियुक्ति का भरोसा दिया है।
बरुआ-तिवारी दोनों संघ की पसंद
शिवराज सरकार के दौरान भाजपा ने दिसंबर 2021 में संगठनात्मक बदलाव करते हुए संभागीय संगठन मंत्रियों को हटाकर निगम-मंडलों में पदस्थ कर मंत्री का दर्जा दिया था। लेकिन पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद इन नेताओं को हटा दिया गया था।
इन नेताओं को एक बार फिर निगम-मंडलों में नियुक्त किया जा सकता है। पार्टी सूत्रों की मानें तो शैलेंद्र बरुआ और आशुतोष तिवारी को एक बार फिर राजनीतिक पद दिए जाने की संभावना है।
सक्सेना कमलनाथ के खास रहे, राजूखेड़ी आदिवासी चेहरा
दीपक सक्सेना पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के सीनियर लीडर कमलनाथ के सबसे विश्वसनीय माने जाते रहे हैं। वे 4 बार कांग्रेस से विधायक रहे। कुल 7 बार उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ा। दिग्विजय सरकार में 2 बार मंत्री रहे। 2018 में उन्होंने छिंदवाड़ा सीट से विधानसभा चुनाव जीता था।
कमलनाथ के लिए उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। बाद में हुए उपचुनाव में कमलनाथ छिंदवाड़ा से जीतकर मुख्यमंत्री पद पर बने रहे थे। वे कमलनाथ सरकार में प्रोटेम स्पीकर रहे। को-ऑपरेटिव बैंक के दो दशक तक चेयरमैन भी रह चुके हैं।
सक्सेना की तरह कांग्रेस के पूर्व सांसद और आदिवासी नेता गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी ने भी मार्च में बीजेपी जॉइन की। राजूखेड़ी ने 1980 के दशक में राजनीति शुरू की थी। सन 1990 में पहली बार बीजेपी से विधानसभा चुनाव लडक़र तत्कालीन डिप्टी सीएम शिवभानु सिंह सोलंकी को चुनाव हराया था।
हालांकि, कुछ समय बाद ही राजूखेड़ी कांग्रेस में शामिल हो गए थे और आदिवासियों का बड़ा चेहरा बने। कांग्रेस ने उन्हें 1999 और 2009 में लोकसभा का टिकट दिया और वे सांसद बने। साल 2020 में कमलनाथ सरकार में उन्हें ट्राइबल कमीशन का चेयरमैन नियुक्त किया गया था।
गोयल की दावेदारी इसलिए मजबूत
साल 2020 में कमलनाथ सरकार गिरने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक नेताओं ने विधानसभा का उपचुनाव लड़ा था, इनमें से पांच हार गए। इन्हें निगम-मंडल की कमान सौंपकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था। 2023 के विधानसभा चुनाव में इनमें से कई नेताओं को दोबारा टिकट नहीं दिया, इनमें मुन्नालाल गोयल का नाम भी शामिल था।
वहीं, ऐसे नेता जिन्हें मजबूत दावेदारी के बावजूद विधानसभा और लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला, उन्हें भी एडजस्ट किया जा सकता है। गुना से पूर्व सांसद केपी यादव को भी किसी निगम-मंडल की कमान सौंपी जा सकती है। भाजपा नेता डॉ. हितेश वाजपेयी, यशपाल सिंह सिसोदिया और लोकेंद्र पाराशर की भी प्रबल दावेदारी है।
मोहन सरकार कर चुकी है तीन राजनीतिक नियुक्तियां
विजयपुर के पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी को सहरिया विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष बनाया गया है। दरअसल, कांग्रेस से भाजपा में आए विधायक रामनिवास रावत के इस्तीफा देने के बाद एक बार फिर विजयपुर में उपचुनाव हो रहे हैं। पार्टी ने रावत को पहले ही मंत्री बना दिया है। वे चुनाव मैदान में हैं।
चूंकि विजयपुर में आदिवासी वोटर्स ज्यादा हैं इसलिए सीताराम को सहरिया विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया गया है। इसी तरह मोहन नागर को जन अभियान परिषद का उपाध्यक्ष और श्रीकांत पाटिल को क्रिप्स का एमडी बनाया गया है।
—-
मनावर में लेडी सिंघम का एक्शन… दो अवैध हथियार फैक्ट्रियों का भंडाफोड़, 7 आरोपी गिरफ्तार
धार, मनावर(Dhar News)। मध्य प्रदेश में धार जिले में अवैध हथियार निर्माण के खिलाफ अभियान के तहत, पुलिस ने मनावर में दो अवैध हथियार निर्माण फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ करते हुए 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये लोग घर के अंदर ही हथियार बना रहे थे।
एसडीओपी अनु बेनीवाल की देखरेख में दो टीमों का गठन किया गया था। पहली टीम ने सिंघाना निवासी हरजीत सिंह सिकलीगर के घर पर छापा मारा, जहां अवैध हथियार निर्माण करते हुए हरजीत सिंह चावला, दया सिंह भाटिया, और जितेंद्र सिंह चावला को पकड़ा गया।
इनके पास से हथियार बनाने के उपकरण भी बरामद हुए। इनके खिलाफ थाना मनावर में अपराध क्रमांक 861/24 धारा 5, 25(1)(ए) आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। सभी को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है।
दूसरी टीम ने सतनाम सिंह सिकलीगर के घर पर छापेमारी की, जहां सतनाम सिंह, राजेंद्र सिकलीगर, राज सिंह सिकलीगर, और संजय सिंह सिकलीगर अवैध हथियार बना रहे थे। इनके पास से एक देशी पिस्टल, दो मैग्जीन, एक देसी कट्टा, और हथियार निर्माण के उपकरण बरामद हुए। इनके खिलाफ भी थाना मनावर में अपराध क्रमांक 862/24 धारा 5, 25, 25(1)(ए) आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।
जब्त सामग्री और आरोपियों का आपराधिक रिकॉर्ड
पूछताछ के दौरान पुलिस ने आरोपियों के पास से कुल 13 देसी कट्टे और 2 देशी पिस्टल जब्त किए। इनमें से कई आरोपियों के खिलाफ पहले भी अपराध दर्ज हैं। सतनाम सिंह और हरजीत सिंह सिकलीगर पर आर्म्स एक्ट के तहत पहले भी कई मामले दर्ज हैं।
साभार।