Lok Sabha Election: बालाघाट बसपा प्रत्याशी ने कांग्रेस से विधायक पत्नी को कहा, चुनाव तक मेरे घर में मत रहो, अनुभा बोलीं घर छोड़ने का सवाल ही नहीं

भोपाल।बालाघाट में लोकसभा चुनाव की राजनीतिक  लड़ाई अब मुंजारे दंपती के घर तक पहुंच गई है। बालाघाट लोकसभा क्षेत्र से बसपा प्रत्याशी व पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने कांग्रेस से विधायक अपनी पत्नी अनुभा मुंजारे को दो टूक 19 अप्रैल तक घर छोड़कर कहीं और रहने की नसीहत दी है।

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शनिवार को पत्रकार वार्ता में उन्होंने परिवार के अंदर की सियासी लड़ाई को मीडिया के सामने रखते हुए कहा कि मैंने अपनी पत्नी अनुभा मुंजारे से कहा है कि उन्हें कांग्रेस का प्रचार करना है तो खुलकर करें, लेकिन मेरे घर में रहते हुए नहीं। मैं चुनाव लड़ रहा हूं, इसलिए मेरी पत्नी भी मेरी विरोधी हैं। अगर वह मेरे घर में रहेंगी तो मेरे विरुद्ध प्रचार करेंगी। 19 अप्रैल तक वे चाहें तो अपनी बहन के घर रह सकती हैं। अगर वे घर नहीं छोड़ती हैं तो मैं छोड़ दूंगा। एक घर में रहकर वह अपनी पार्टी का प्रचार करें, मैं अपना, यह संभव नहीं है।

कंकर मुंजारे विधायक पत्नी को घेरने से नहीं चूके। उन्होंने पूछा कि जब से वे विधायक बनी हैं, तब से जिले में रेत का मुद्दा क्यों नहीं उठाया? वे भाजपा के किसानों से 3100 रुपये प्रति क्विंटल धान, 2700 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं खरीदने और 450 रुपये में गैस सिलेंडर देने के अधूरे वादे पर आवाज क्यों नहीं उठा रही हैं। इसका मतलब है कि उनकी कोई सेटिंग हो गई है।

घर छोड़ने का सवाल ही नहीं
कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे ने संवाददाताओं  से चर्चा में कहा कि 10 महीने पहले मैंने बेटे शांतनु के साथ कांग्रेस ज्वाइन की थी। पार्टी ने मुझे प्रत्याशी बनाया और मेरे क्षेत्र की जनता ने मुझे विधायक चुना। ऐसे में मेरी निष्ठा अपनी पार्टी के प्रति होनी चाहिए या नहीं? घर छोड़ने का सवाल ही नहीं है। मैं एक जनप्रतिनिधि के साथ कंकर मुंजारे की पत्नी भी हूं। चुनाव तक छोड़िए, मैं एक दिन के लिए भी अपना घर नहीं छोड़ सकती।

विधानसभा चुनाव के वक्त भी हम दोनों ने अलग-अलग पार्टी से लड़ा था, तब ऐसी बात नहीं हुई। कंकर जी ने लोकसभा में कांग्रेस में शामिल होने और टिकट की इच्छा जाहिर की थी। बात नहीं बन पाई तो हो सकता कि इसी नाराजगी के कारण उन्होंने ये बयान दिया होगा। क्या इसके पहले किसी परिवार में दो लोगों ने अलग-अलग पार्टी से चुनाव नहीं लड़ा है? इसका उदाहरण ग्वालियर में सिंधिया परिवार है।

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