Hariyana: Sunil जाखड़ का पहले बैठकों से किनारा… अब हरियाणा चुनाव से बनाई दूरी, इस्तीफे की चर्चा, खंडन नहीं
नई दिल्ली। हरियाणा में विधानसभा चुनाव का शोर है। इस दौरान भाजपा के लिए पंजाब में संगठन के भीतर जारी उठापटक समस्या बनी हुई है। पार्टी की पंजाब इकाई के प्रमुख सुनील जाखड़ की नाराजगी बनी हुई है। उन्होंने हरियाणा विधानसभा चुनाव से भी दूरी बना रखी है, जहां पर भाजपा की तरफ से पूरी ताकत झोंकी जा रही है। जाखड़ संगठन के स्थान पर सरकार या राज्यसभा में प्रतिनिधित्व चाहते थे, लेकिन अचानक रवनीत बिट्टू की ताजपोशी कर दी गई। इतना ही नहीं, जाखड़ को न राज्यसभा सीट मिली और न ही पार्टी चलाने के लिए फ्री हैंड दिया गया है।
सुनील जाखड़ 10 जुलाई से पार्टी की संगठनात्मक गतिविधियों से अनुपस्थित रहे हैं। पिछले सप्ताह उन्होंने पार्टी की सदस्यता अभियान की बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया था। अब पंजाब प्रभारी विजय रूपाणी की अध्यक्षता में पंचायत चुनावों को लेकर रखी गई प्रदेशस्तरीय बैठक से भी जाखड़ ने दूरी बनाकर रखी है।
जाखड़ को जुलाई 2023 में पंजाब भाजपा प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने भाजपा विधायक अश्विनी शर्मा की जगह राज्य इकाई के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला था। पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के तीन महीने बाद मई 2022 में वह भाजपा में शामिल हो गए थे। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक जाखड़ को इस बात का मलाल है कि उन्होंने पंजाब में भाजपा को 18.5 फीसदी तक लाकर खड़ा कर दिया, लेकिन उनकी मेहनत का फल रवनीत बिट्टू को दे दिया गया।
इस्तीफे का खंडन भी नहीं किया
पंजाब से सुरजीत सिंह ज्याणी, महासचिव दयाल सिंह सोढ़ी, मंजीत सिंह राय, जीवन गुप्ता समेत कई नेता हरियाणा में प्रचार के लिए गए हैं, लेकिन जाखड़ ने हरियाणा प्रचार से दूरी बनाकर रखी है। जाखड़ ने अभी तक इस्तीफा देने की खबरों का कोई खंडन नहीं किया है।
खंडन भी सिर्फ महासचिव अनिल सरीन द्वारा किया गया है। पार्टी के उच्चपदस्थ नेताओं के मुताबिक पिछली बैठक में जाखड़ को एक वरिष्ठ नेता ने मोबाइल पर कॉल किया तो जाखड़ ने कहा कि वह किसी भी मीटिंग में शरीक नहीं होंगे।
संगठन महामंत्री से भी नहीं बना तालमेल
पता चला है कि जाखड़ का संगठन महामंत्री के साथ भी तालमेल नहीं बन पाया। संगठन महामंत्री दक्षिण भारतीय हैं। जाखड़ चाहते थे कि पंजाब में भाजपा को पंजाबी टच दिया जाए। पंजाब की भाषा व संस्कृति को अपने कार्यक्रम में न केवल तरजीह दी जाए बल्कि पंजाबी लोगों को ही आगे लाया जाए। लेकिन पार्टी में उनकी बात ठीक ढंग से नहीं सुनी गई।