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MP:इंदौर में 74 साल में पहली बार कांग्रेस मैदान में नहीं

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इंदौर में कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। इसी के साथ अब इंदौर में भाजपा के सामने कांग्रेस की चुनौती भी खत्म हो चुकी है। यह इंदौर में अब तक हुए लोकसभा चुनाव के इतिहास में पहली बार है जब कांग्रेस का कोई कैंडिडेट मैदान में नहीं होगा। इंदौर में 1951 से अब तक हुए लोकसभा चुनाव में हमेशा कांग्रेस लड़ती आई है। जिसमें से सात बार कांग्रेस ने चुनाव भी जीता है, लेकिन इस बार के चुनाव में पूरी तरह से मैदान छोड़ चुकी है।
इंदौर में पहली बार 1951 में चुनाव हुए थे तब कांग्रेस के नंदलाल सूर्य नारायण ने चुनाव जीता था। इसके बाद से अब तक 17 बार इंदौर में लोकसभा चुनाव हुए हैं। जिसमें से सात बार कांग्रेस ने जीत दर्ज कर चुकी है, तो वहीं नौ बार भाजपा ने चुनाव जीता है। एक-एक बार जनता पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी यहां चुनाव जीत चुकी है।
भाजपा ने 1989 में जीता पहला चुनाव
भाजपा ने इंदौर में पहला चुनाव 1989 में जीता था, जब सुमित्रा महाजन ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे प्रकाश चंद्र सेठी को हराया था, इसके बाद इंदौर भाजपा का गढ़ बन गया और महाजन आठ बार इंदौर से सांसद रहीं। 2019 में भाजपा ने शंकर लालवानी को प्रत्याशी बनाया, तब उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को 5 लाख वोटों के अंतर से हराया था।
ताया गया कि कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम भाजपा विधायक रमेश मेंदोला के साथ निर्वाचन कार्यालय पहुंचे थे, जहां उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया। इसके बाद में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विधायक मेंदोला के साथ भाजपा कार्यालय के लिए रवाना हो गए, जहां भाजपा की सदस्यता ले ली।
क्या बोले अक्षय कांति
नामांकन वापस लिए जाने को लेकर अक्षय कांति बम ने कहा कि नामांकन जमा करने के बाद से ही कांग्रेस की ओर से उन्हें पार्टी की ओर से कोई समर्थन नहीं मिल रहा था। हालांकि राजनीतिक गलियारों में यह भी प्रयास लगाए जा रहे हैं कि फॉर्म भरने के बाद से ही कांग्रेस अक्षय क्रांति पर विरोधी पार्टी दबाव बना रही थी।

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