BJP: परिवहन आरक्षकों का मुद्दा शिवराज के लिए होगा घातक..! भाजपा अध्यक्ष पद की दावेदारी खत्म..?
भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर मुसीबत में घिरते नजर आ रहे हैं। शिवराज न केवल प्रधानमंत्री पद के लिए संघ और बीजेपी के एक धड़े की पसंद हैं, अपितु संघ की तरफ से अगले बीजेपी अध्यक्ष के भी बहुत तगड़े दावेदार हैं।
मध्य प्रदेश में व्यापम का जिन्न एक बार फिर से बोतल के बाहर आ गया है। राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेश के बाद परवाहन आरक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी है। इसमें सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति बगैर स्वीकृत 198 आरक्षकों की भर्ती के विरुद्ध 332 आरक्षकों का चयन कर लिया गया। महिला आरक्षण का पालन नहीं किया गया। परिवहन विभाग ने उस समय चयनित परिवहन आरक्षकों का फिज़िकल टेस्ट न कराए जाने बाबत एक सरकारी पत्र भी जारी किया।
जब व्यापम घोटाला उठाया गया, तक पीएमटी, पीईटी को।प्रवेश परीक्षा से शुरुवात हुई और इसमें परिवहन आरक्षक सहित तमाम भर्तियों में घोटाले के आरोप लगाए गए। सही मायने में प्रवेश परीक्षाओं से लेकर भर्ती में घोटाला हुआ भी। परिवहन आरक्षक की भर्ती में तो गोंदिया महाराष्ट्र के एक साथ एक दर्जन से अधिक आवेदकों को नियुक्ति के आरोप लगे, इसमें उनके पते बदल कर परीक्षा दिलवाई गई। इसके प्रमाण भी मिले, लेकिन तमाम सबूत खत्म कर दिए गए। गोंदिया तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान की पत्नी श्रीमती साधन सिंह का मायका है। उन पर विपक्ष ने खुल कर आरोप लगाए। लेकिन चूंकि पूरे व्यापम से तत्कालीन सीएम शिवराज, साधना सिंह आदि के नाम हटा दिए गए। इसमें प्रदेश की जांच एजेंसियों के साथ ही सीबीआई की भूमिका भी संदिग्ध मानी गई।
अब अचानक परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति निरस्त की गई है, तो ये मांग भी अनुचित नहीं है कि इसके लिए जो भी जिम्मेदार था, उसके खिलाफ कार्रवाई हो। कांग्रेस सीधे शिवराज पर हमला कर रही है। और शायद मध्य प्रदेश सरकार के मुखिया भी यही चाहते हैं। ये भी कहा जा रहा है कि शिवराज को रोकने के लिए ये दांव खेला गया है। बीजेपी का वर्तमान केंद्रीय नेतृत्व शिवराज को न तो बीजेपी अध्यक्ष पद पर काबिज होने देना चाह रहा है और न ही पीएम पद की दावेदारी की सूची में उनका नाम देखना चाहता है। अब कांग्रेस भले ही हमलावर है, पर बीजेपी की अंदरूनी राजनीति में जबरदस्त खलबली मच गई है।