BJP: संजय जोशी को बीजेपी में वापसी से पार्टी में हलचल बढ़ी, संघ का तुरुप का पत्ता साबित होंगे?
संजय सक्सेना
भारतीय जनता पार्टी के अंदरखाने में इस समय संजय जोशी को वापसी की चर्चाएं जोरों पर हैं। और इसके चलते खासी हलचल मची हुई है। हलचल इस वजह से ज्यादा है, जोशी की वापसी पार्टी अध्यक्ष के तौर पर हो सकती है। अभी भाजपा के अगले अध्यक्ष के लिए नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चौहान के अलावा देवेंद्र फडणवीस के नाम प्रमुखता से चल रहे हैं। संजय जोशी को संघ के तुरुप के पत्ते के रूप में भाजपा अध्यक्ष के लिए पेश कर सकता है।
बीजेपी में इस समय अध्यक्ष को लेकर चर्चाब्तेज होती दिख रही है। महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का नाम पीएम मोदी और अमित शाह की तरफ से माना जा रहा है। जबकि संघ ऊपरी तौर पर शिवराज सिंह चौहान और नितिन गडकरी के पक्ष में लग रहा है। लेकिन संघ की असल रणनीति कुछ और ही बताई जा रही है। सूत्र बताते हैं कि संघ ऐन वक्त पर संजय जोशी की ताजपोशी बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर करना चाह रहा है।
चुनाव के चलते सुर्खियों में हैं जोशी
लोकसभा चुनावों के बाद ऐसे में जब देश के दो राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के बाद महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावों का बिगुल बजेगा। ऐसे वक्त पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के पूर्णकालिक प्रचारक और बीजेपी पूर्व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री संजय विनायक जोशी सुर्खियों में हैं। केरल में संघ और बीजेपी की समन्वय बैठक का हवाला देकर दावा किया जा रहा कि चार राज्यों के चुनाव नतीजों के आधार पर संजय जोशी के राजनीतिक भविष्य को लेकर फैसला हो सकता है। दावा है कि संघ ने एक बार फिर से उनकी बीजेपी में वापसी को कोशिश शुरू की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 64वें जन्मदिन पर संजय जोशी ने उन्हें बधाई दी थी।
संघ के पूर्णकालिक प्रचारक हैं
महाराष्ट्र के नागपुर में 6 अप्रैल 1962 को जन्में संजय विनायक जोशी की उम्र अभी 62 साल है। संजय जोशी नागपुर से मैकेनिकल इंजीनियर जोशी प्रशिक्षण से एक इंजीनियरिंग कॉलेज में लेक्चरर थे, लेकिन उन्होंने महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में पूर्णकालिक प्रचारक बनने के लिए इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उनके संगठनात्मक कौशल को देखते हुए संघ ने उन्हें 1988 में गुजरात में बीजेपी में शामिल होने के लिए कहा गया था। तब गुजरात में पार्टी की स्थिति अच्छी नहीं थी। जोशी 1988 से 1995 तक गुजरात में सक्रिय रहे थे। प ने 1998 में अपने बूते पर पहली बार सरकार बनाई थी। इसके बाद पहले केशुभाई पटेल और फिर नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री बने।
बीजेपी छोड़ी, संघ में हैं सक्रिय
संजय जोशी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) के तौर आगे चलकर काफी उल्लेखनीय काम किया। 2001 से 2005 के कार्यकाल में उन्होंने बीजेपी को नौ राज्यों में मजबूत किया। इनमें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, झारखंड, जम्मू और कश्मीर, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और मध्य प्रदेश का नाम शामिल हैं। इसके बाद पार्टी यहां चुनाव जीतने में सक्षम बन पाई, हालांकि इसके बाद हुए सीडी विवाद ने उन्हें किनारे कर दिया। संजय जोशी करीब 6 साल तक राजनीतिक वनवास में रहे थे। इसके जब बाद नितिन गडकरी अध्यक्ष बने तो उनकी पार्टी में वापसी हुई।
वापसी की कितनी संभावना?
बीजेपी में संजय जोशी की वापसी होगी या फिर नहीं? इसका उत्तर आने वाले दिनों में मिलेगा। ऐसी चर्चा है कि लोकसभा चुनावों के बाद बीजेपी के अंदर संजय जोशी की वापसी को लेकर उनका समर्थन बढ़ा है। इसी को देखते हुए संघ ने फिर से कोशिश शुरू की है कि उनकी वापसी हो। संघ से जुड़े एक पदाधिकारी कहते हैं कि संजय जोशी आज भी पूरी तरह से समर्पित हैं। उन्होंने कभी पीएम मोदी और पार्टी और के विरोध में कोई बयान नहीं दिया है, बल्कि वे कई अवसरों पर पीएम मोदी तारीफ कर चुके हैं। वह र मंच से उन्हें अपना नेता स्वीकार चुके हैं। ऐसे में सिफ संघ ही नहीं बल्कि पार्टी के नए और पुराने दोनों तरह के कार्यकर्ता चाह रहे हैं कि जोशी की वापसी हो।