Editorial : एआई में अभी बहुत पीछे हैँ हम…

पेरिस में दो दिवसीय एआई एक्शन सम्मेलन सम्पन्न हो गया। इस सम्मेलन में एक तरफ तो आने वाले दौर के लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की अहमियत को रेखांकित किया गया, वहीं यह भी साफ हो गया कि इस मामले में प्रतिस्पर्धा के साथ ही सभी देशों का आपसी तालमेल बनाए रखते हुए सावधानी से आगे बढऩा आवश्यक है। इसमें खास बात यह रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के साथ इस शिखर बैठक की सह-अध्यक्षता की, साथ ही उन्होंने अगली शिखर बैठक की मेजबानी करने की पेशकश भी करते हुए बता दिया कि भारत एआई के मामले को कितनी गंभीरता से लेता है।
यह एआई एक्शन सम्मेलन ऐसे समय हुआ है, जब चीनी कंपनी डीपसीक अपने अनुसंधान से पूरी दुनिया को एक जबर्दस्त झटका दे चुकी है। कम समय और बहुत कम लागत में डीपसीक से कहीं बेहतर एआई  टूल पेश करके डीपसीक ने बताया कि इस फील्ड में आउट ऑफ बॉक्स सोच से ज्यादा बड़ी चीज कुछ नहीं है।
हालांकि यह भी सही है कि निरंतर बदलती, विकसित हो रहे तकनीक वाले क्षेत्र में हर नई खोज की अपनी सीमाएं भी होती हैं। इनका ध्यान रखने की जरूरत है, विशेष तौर पर सुरक्षा से जुड़े पहलू को किसी भी हालत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस मामले में इस चीनी खोज को भी कई तरह के सवालों का सामना करना पड़ रहा है। तीसरे एआई सम्मेलन में दुनिया भर के 90 देशों और तमाम बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हुए। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस शिखर बैठक में कहा, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस हमारे भविष्य का अनिवार्य हिस्सा है, लेकिन किसी भी वजह से इसकी ग्रोथ को बेकाबू होने दिया गया तो उसके परिणाम खतरनाक साबित हो सकते हैं।
हालांकि अभी तक एआई के क्षेत्र में भारत को बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई है और वह कहीं न कहीं अमेरिका और चीन का ही अनुसरण कर रहा है। फिर भी, जिस तरह से हमारे देश में युवाओं का टेलेंट दूसरे देशों में उभरकर सामने आ रहा है, देश के अंदर भी एआई जैसे क्षेत्र में भी इसकी पहल जरूरी है। एआई ऐसा टूल हो गया है, जिसके पास हर चीज का हल होने का दावा किया जाता है। ऐसे में भारत में भी शोध और अनुसंधान की जरूरत महसूस की जाने लगी है। यहां हर काम रफ्तार से होना है, इसलिए हमें भी बेहतर परिणाम के साथ ही तेज गति से काम करना होगा।
संजय सक्सेना

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