संजय चतुर्वेदी
हरियाणा में वो हुआ जिसकी किसी को कोई उम्मीद नहीं थी। बीजेपी का करिश्मा तीसरी बार भी चला है, विपक्ष का “पहलवान, किसान और जवान” का मुद्दा बुरी तरह से फेल हो गया। चला तो केवल हिंदू-मुसलमान। अनुमान से उलट भाजपा की यह जीत अब विपक्ष के लिए नये सिरे से मंथन का विषय है। जो हरियाणा किसानों और जवानों का प्रदेश है, अगर वह इस तरह से वोट कर रहा है तो इसके पीछे आखिर वजह क्या है।
एक्जिट पोल के सारे अनुमान हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बना रहे थे, लेकिन एक्जेक्ट पोल तो कोई और नतीजा लिखकर बैठा था। कांग्रेस सदमे की स्थिति में है, परिणाम को स्वीकार कर पाने की स्थिति में नहीं है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा का कहना है कि हरियाणा चुनाव के नतीजे बिल्कुल अप्रत्याशित और अस्वीकार्य हैं। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हिसार, महेंद्रगढ़ और पानीपत जिलों से लगातार शिकायतें आ रही हैं कि यहां ईवीएम की बैट्री 99% थी। इन जगहों पर कांग्रेस को हराने वाले नतीजे आए। वहीं, जिन मशीनों को नहीं छेड़ा गया और जिनकी बैट्री 60%-70% थी, वहां हमें जीत मिली। कांग्रेस इन सारी शिकायतों को लेकर चुनाव आयोग जाएगी। पवन खेड़ा ने साफ तौर पर कहा कि ये तंत्र की जीत और लोकतंत्र की हार है, हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते।
भाजपा का एक धड़ा हरियाणा की जीत का सेहरा योगी आदित्यनाथ के सिर बांधने में जुट गया है। लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश से भाजपा को मिली निराशा ने योगी के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया था। जो योगी अपने राज्य में भाजपा का वर्चस्व बरकरार नहीं रख पाए वो हरियाणा में जीत के शिल्पकार कैसे बने, वजह उनके पैरोकार बताते हैं कि उनके भाषणों में हिंदुत्व का एजेंडा और एकता की अपील ने स्थानीय जनता के बीच एक सकारात्मक प्रभाव डाला है। “बंटोगे तो कटोगे” जैसे संदेश ने यह दर्शाया है कि वह समाज में एकजुटता की आवश्यकता को महसूस कर रहे हैं, जो चुनावी माहौल में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। योगी समर्थक कहते हैं जब नेता इस तरह के भावनात्मक संदेश देते हैं, तो इससे समुदायों के बीच एकजुटता बढ़ती है और मतदाता अपने समर्थन को एक दिशा में केंद्रित कर पाते हैं। योगी आदित्यनाथ का यह करिश्मा और हरियाणा में उनकी प्रचार रणनीति निश्चित रूप से बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई है। हालांकि योगी आदित्यनाथ की असल परीक्षा उत्तर प्रदेश की दस विधानसभा सीटों के उपचुनाव हैं, योगी आदित्यनाथ का यह करिश्मा आगामी चुनावों में भी बीजेपी को इसी तरह का समर्थन दिला पाएगा? योगी का राजनीतिक भविष्य, इसी सवाल के इर्द-गिर्द अब भी है।
राजनीतिक विश्लेषक, पत्रकार हरियाणा के नतीजों से हैरान हैं। इन नतीजों से यह साफ है कि बीजेपी ने हरियाणा में गुजरात की तरह अपना एक ( ग़ैर जाट ) वोट तैयार कर लिया है। इस चुनाव में कांग्रेस का परम्परागत दलित वोट भी छिटक गया। कांग्रेस को जाट वोट के बाहर भी झांकना होगा।