Editorial
जवाबदेही भी तय हो!

बीते शुक्रवार को माइक्रोसॉफ्ट की सर्विस क्या ठप हुई, ऐसा लगने लगा कि किसी ने दुनिया से उसकी रफ्तार ही छीन ली हो। इस घटना से बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ। इस घटना ने हमें उस खतरे का आईना भर दिखाया, जिसके बारे में हम अनजान बने हुए थे। इसलिए अब इससे सबक सीखने की जरूरत है ताकि फिर ऐसे हालात न बनें। लेकिन इसके पहले बहुत कुछ और सोचना होगा, विकल्प तलाशने ही होंगे।
विशेषज्ञों द्वारा इस समस्या की वजह साइबर सिक्योरिटी फर्म क्राउडस्ट्राइक का एक अपडेट बताया जा रहा है इस फर्म की सर्विस माइक्रोसॉफ्ट समेत तमाम बड़ी कंपनियां और ऑर्गनाइजेशन लेते हैं। क्राउडस्ट्राइक ने साइबर अटैक से निपटने के लिए एक सॉफ्टवेयर डिजाइन किया था, लेकिन इसमें कुछ गड़बड़ी हो गई। जब यह सॉफ्टवेयर अपडेट हुआ, तो सिस्टम क्रैश होने लगे, कंप्यूटर की स्क्रीन ब्लू दिखने लगी। इस गड़बड़ी का असर बैंकिंग और आईटी सेक्टर से लेकर एविएशन तक पर पड़ा। तमाम उड़ानें रद्द हो गईं और कई कंपनियों में काम ठप हो गया।
इस घटना के बाद सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि क्या क्राउडस्ट्राइक ने अपने नए अपडेट का सही से टेस्ट किया था? एक रिपोर्ट बताती है कि सॉफ्टवेयर अपडेट रात के समय लोगों के पास अपने आप चला गया था। ऐसे में सुबह जब काम शुरू हुआ, तो सिस्टम बैठने लगे। हालांकि कंपनी ने अपनी गलती मान ली है, लेकिन क्या इतने से यह गारंटी मिल जाती है कि भविष्य में ऐसी घटना नहीं होगी? बात केवल एक क्राउडस्ट्राइक की नहीं है। हमें ऐसी पॉलिसी चाहिए, जो कंपनी की जवाबदेही तय करती हो।
अभी तक ऐसी स्थितियां हमने हॉलिवुड फिल्मों में ही देखी थी, जहां कोई विलेन एक सिस्टम के जरिये पूरे देश की व्यवस्था को हिला देता है। माइक्रोसॉफ्ट आउटेज ने उस स्क्रिप्ट को हकीकत में ला दिया। साथ ही, इससे यह भी साफ हो गया है कि डिजिटलाइजेशन के मामले में हमारी तैयारी कितनी अधूरी है। ऐसी किसी परिस्थिति के लिए हमारे पास बैकअप प्लान ही नहीं था। एक-एक करके विभिन्न सेवाएं ठप होती जा रही थीं और किसी को कुछ सूझ नहीं रहा था।
दिल्ली-एनसीआर सहित कई शहरों में तो कई प्राइवेट अस्पतालों की सेवाओं पर भी असर पड़ा। गनीमत ये रही कि कोई बड़ी अप्रिय घटना नहीं हुई। क्या हम यह जोखिम उठा सकते हैं कि किसी कंपनी का कोई अपडेट विश्व को इस तरह से अचानक बंधक बना ले? यह तो बंधक बनाने जैसा ही हुआ न। गौर करने वाली बात यह भी है कि अगर किसी टेक्नॉलजी पर किसी एक कंपनी का एकाधिकार होगा, तो यह आशंका बनी रहेगी कि उसकी कोई एक गलती सभी को खतरे में डाल दे। बात भी सही है। यही कारण है कि इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत महसूस होने लगी है।
दुनिया भर में डिजिटलाइजेशन बढ़ता जा रहा है। नेटवर्क का जाल घना होता जा रहा है। लेकिन इसके साथ ही उसी गति से इस तरह के खतरे भी बढ़ेंगे। जिन सेक्टर में इंटरनेट का काम नहीं, वे इस शुक्रवार को भी बेपरवाह चलते रहे। हालांकि इसका यह कतई मतलब नहीं है कि टेक्नॉलजी से दूरी बनालें। हर नई तकनीक हमारे विकास, हमारी तरक्की के लिए होती है, लेकिन इससे जुड़े सभी पहलुओं की जानकारी और तैयारी भी होना चाहिए।
बीएसएनएल का डेटा चोरी
अभी हम माइक्रोसाफ्ट की बात कर रहे थे। लेकिन अभी बीएसएनल का मामला और सामने आया है। खबर है कि बीएसएनएल का डेटा चोरी हो गया है। पिछले दिनों ही फाइव जी स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई, तब यह साफ सा होने लगा कि सरकार बीएसएनएल को बंद करने का मन बना रही है। हालांकि बाद में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाल ही में यह साफ किया है कि बीएसएनल भी फोर और फाइव जी सेवाएं शुरू करेगा। जब डेटा चोरी का मामला सामने आया, तो सरकार को सफाई देनी पड़ी। सरकार को मानना पड़ा कि बीएसएनएल डेटा का उल्लंघन हुआ है।
असल में भारतीय कंप्यूटर इमर्जेंसी रेस्पांस टीम यानि सीईआरटी ने बीएसएनएल लीक की जानकारी दी थी। यह रिपोर्ट 20 मई 2024 को सामने आयी थी। इस मामले की जांच और डेटा लीक को रोकने के लिए सरकार की ओर से कि दूरसंचार नेटवर्क का ऑडिट करने निर्देश दिया गया है। इसके लिए एक अंतर मंत्रालयी समिति के गठन का आदेश दिया गया है। यह समिति बीएसएनएल डेटा लीक के रोकथाम को लेकर सुझाव देगी। हालांकि डेटा लीक की वजह से नेटवर्क के मामले में कोई दिक्कत देखने को नहीं मिली और डेटा लीक के बाद बीएसएनएल के सभी सर्वर के पासवर्ड बदल गए हैं।
केंद्र सरकारी ने बीएसएनएल को दोबारा से खड़ा करने की कोशिश के तहत 1.28 लाख करोड़ रुपये का बजट दिया गया है। इससे बीएसएनएल की नेटवर्क गुणवत्ता में सुधार करने की बात कही गई है। साथ ही देशभर में 4 जी रोलआउट करने की कोशिश होगी। बता दें कि टाटा ग्रुप के साथ साझेदारी में बीएसएनएल की ओर से 4 जी नेटवर्क को रोलआउट किया जा रहा है। इसी 4 जी नेटवर्क पर 5 जी को रोलआउट किया जाएगा। लेकिन चूंकि बीएसएनएल सरकारी है, इसलिए फिर इसके प्रबंधन को लापरवाहीपूर्वक चलाया गया, तो यह और घाटे का सौदा साबित होगा।
इसलिए बीएसएनएल को निजी कंपनियों की तर्ज पर बेहतर प्रबंधन के साथ चलाया जाए और अन्य कंपनियों को इतनी छूट भी न दी जाए कि बीएसएनएल का बंद ही करना पड़े। और, कम से कम डेटा चोरी जैसी घटनाओं को लेकर तो अतिरिक्त सावधानी बरतनी ही पड़ेगी और सख्ती भी।
– संजय सक्सेना

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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