Editorial: ट्रंप का टैरिफ प्लान…चीन पर भारी, भारत।के लिए..?
पिछले दो दशक से पूरी दुनिया के बाजार चीन में बने माल से पटे हुए हैं। चीन एक तरह से दुनिया की फैक्ट्री बना हुआ है। लेकिन दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान ने चीन की नींद उड़ा दी है। एक तरफ तो उन्होंने दुनियाभर के बिजनस लीडर्स को अमेरिका में सामान बनाने के लिए आमंत्रित किया है, दूसरी ओर चेतावनी भी दी है कि अगर वे ऐसा नहीं करती हैं और अपने उत्पाद विदेश में बनाती हैं, तो उन्हें अमेरिका में अधिक टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।
असल में राष्ट्रपति बनने के साथ ही ट्रंप ने मेक्सिको, कनाडा और चीन के सामान पर टैरिफ लगाने की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने चीन के सामान पर 60 प्रतिशत से ज्यादा टैरिफ लगाने की बात कही है। ट्रंप ने स्विट्जरलैंड के दावोस में वल्र्ड इकॉनमिक फोरम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि वह कच्चे तेल की कीमत, ब्याज दरों और टैक्स को कम करना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह यूके्रन और रूस के बीच करीब तीन साल से चल रही लड़ाई को खत्म करने के लिए जल्द ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलना चाहते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति का कहना है कि इस युद्ध के कारण जानमाल का भारी नुकसान हुआ है।
ट्रंप न मांग की है कि ब्याज दरें तुरंत कम हों। पूरी दुनिया में इसमें कमी होनी चाहिए। मैं सऊदी अरब और ओपेक से भी तेल की कीमत कम करने के लिए कहने जा रहा हूं। ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब आयातित वस्तुओं पर व्यापक टैरिफ की उनकी योजनाओं को लेकर बाजार चिंतित हैं। ट्रंप का बयान आते ही कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई। साथ ही यूरो में भी गिरावट देखने को मिली। अमेरिकी डॉलर फॉरेन करेंसीज बास्केट के मुकाबले ऊपर-नीचे झूलता रहा।
ट्रंप ने इस मौके पर कनाडा और यूरोपीय संघ आयात नीतियों की आलोचना की। उनका कहना था कि इन नीतियों के कारण अमेरिका को घाटा हो रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, हम दूसरे देशों से सम्मान चाहते हैं। कनाडा के साथ हमारा बहुत बड़ा घाटा है। हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। ट्रंप ने टैरिफ, रेगुलेशन और टैक्स में कटौती के साथ-साथ अवैध आव्रजन पर बात की। साथ ही उन्होंने अमेरिका को एआई, क्रिप्टोकरेंसी और जीवाश्म ईंधन का केंद्र बनाने की प्रतिबद्धता के साथ मुद्रास्फीति को कम करने का वादा किया।
ट्रंप के बयान ने चीन की परेशानी बढ़ा दी है। चीन और अमेरिका के बीच पिछले कई साल से ट्रेड वॉर चल रहा है। अमेरिका के साथ चीन का ट्रेड सरप्लस 1 ट्रिलियन डॉलर के करीब पहुंच चुका है। इससे आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि चीन के लिए अमेरिका का बाजार कितना अहम है। ट्रंप इस स्थिति को बदलना चाहते हैं। अमेरिका का कर्ज 36 ट्रिलियन डॉलर पहुंच चुका है और अगर जल्दी कुछ नहीं किया गया तो देश के डिफॉल्ट होने की नौबत आ सकती है। माना जा रहा है कि ट्रंप के टैरिफ प्लान से अमेरिका का खजाने में अगले 10 साल में करीब 3.3 ट्रिलियन डॉलर की रकम आएगी।
ट्रंप के टैरिफ से भारत पर भी खतरा मंडरा रहा है। माना जा रहा है कि देर-सबेर वह भारतीय सामानों पर भी टैरिफ की घोषणा कर सकते हैं। इसकी वजह यह है कि ट्रंप भारत को टैरिफ किंग बता चुके हैं। चीन के बाद अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका के साथ भारत ट्रेड सरप्लस की स्थिति में है। यह वजह है कि भारत ने भी अपनी व्यापार नीतियों की समीक्षा शुरू कर दी है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने इस बारे में अलग-अलग मंत्रालयों के साथ बातचीत शुरू कर दी है।
ट्रंप की शुरुआती नीतियां और घोषणाएं चीन या भारत के लिए समस्या वाली हो सकती हैं, लेकिन अमेरिका के लिए ये अंतत: फायदे वाली ही साबित होंगी। भारत भी मेक इन इंडिया का पक्षधर रहा है और यहां भी यही नीति लागू की जा रही है। इसलिए हम अमेरिका की इस घोषणा या नीति का विरोध भी नहीं कर सकते। वह यह सब अपने देश के लिए ही कर रहे हैं। लेकिन इसमें एक बाधा हो सकती है, वो ये कि चीन की कंपनियां यदि अमेरिका में जाकर उत्पादन नहीं करती हैं, तो अधिक टैरिफ लगने से उत्पादों की कीमतें बढ़ेंगी और अमेरिकी लोगों को महंगा सामान मिलेगा।
दूसरी बात ये कि चीन यदि वहीं सामान बनाता है, तो उसे भी महंगा पड़ेगा और इस तरह हो सकता है कि वह अपना व्यापार समेटने लगे। हो सकता है कि चीन का सस्ता सामान अमेरिका को नहीं मिले। जहां तक मेक इन कंट्री की नीति या घोषणा की बात है, तो इसमें चाहे भारत हो या अमेरिका, यह जरूर देखना होगा कि उत्पादन में क्या बाधाएं आएंगी? और क्या उस उत्पाद में आयातित उत्पाद की कीमत और गुणवत्ता में कितना अंतर है? कच्चे माल की उपलब्धता इसमें सबसे बड़ा कारक होता है। इसका प्रभाव चीन और भारत पर कितना पड़ता है, यह तो आगे पता चलेगा, यह भी देखना होगा कि अमेरिकी लोगों पर कितना असर पड़ता है।