Editorial
दो दिन से भूखी रही …?

भारत की सबसे मजबूत पदक संभावनाओं में से एक मानी जा रही निकहत जरीन  नॉर्थ पेरिस एरेना में शीर्ष वरीयता प्राप्त चीनी मुक्केबाज के खिलाफ 0-5 से दिल तोडऩे वाली हार के बाद ओलंपिक से बाहर हो गईं। चुनौतीपूर्ण हार से थकी निकहत जरीन ने अपने आंसुओं को रोका और रिंग के अंदर चीन की वू यू के खिलाफ प्रीक्वार्टर फाइनल मुकाबले से पहले 48 घंटों में सामना की गई चुनौतियों को याद किया।
निकहत ने कम से कम पांच बार कहा, ‘मैं मजबूत वापसी करूंगी।’ बताया-दो बार की विश्व चैंपियन निकहत ने खाली पेट ट्रेनिंग की। प्री क्वार्टर फाइनल से एक रात पहले वह सो नहीं पाई और एशियाई खेलों की मौजूदा स्वर्ण पदक विजेता यू के खिलाफ होने वाले मैच के बारे में सोचती रही जो फ्लाइवेट (52 किग्रा) में 2023 की विश्व चैंपियन भी हैं। आखिरकार निकहत का सबसे बुरा डर सच हो गया क्योंकि वह विश्व चैंपियन से हार गई। यह स्पष्ट है कि यह हार उसे लंबे समय तक परेशान करेगी।
यू ने मुकाबले में दबदबा बनाए रखा जबकि निकहत ने दूसरे दौर में वापसी की कोशिश की लेकिन वह पर्याप्त नहीं रहा। निकहत ने अपने कोच की ओर इशारा करते हुए कहा ‘क्या मुझे थोड़ा पानी मिल सकता है।’ और फिर आधी भरी बोतल से एक घूंट लिया। उन्होंने कहा, ‘माफ करना दोस्तों, मैं देश के लिए पदक नहीं जीत सकी। मैंने यहां तक पहुंचने के लिए बहुत त्याग किए हैं। मैंने इस ओलंपिक के लिए खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से अच्छी तरह से तैयार किया था।’
निकहत ने जो बताया वो आश्चर्यजनक था। उसने कहा, ‘मैंने पिछले दो दिनों से कुछ नहीं खाया था, मुझे अपना वजन नियंत्रित रखना था। मैंने पानी भी नहीं पिया था और वजन मापने के बाद ही मैंने पानी पिया लेकिन मेरे पास उबरने का समय नहीं था, मैं आज रिंग में सबसे पहले उतरी।’ निकहत ने कहा को अपने पसंदीदा 52 किग्रा भार वर्ग से नीचे आना पड़ा क्योंकि यह पेरिस ओलंपिक में शामिल नहीं था। उन्होंने कहा, ‘मैंने पिछले दो दिनों में कई बार लगातार एक घंटे तक दौड़ लगाई।’ शायद इसी कारण थकान से उनके शरीर में तीनों राउंड तक चीन की प्रतिद्वंद्वी से मुकाबला करने की ताकत नहीं थी।
निकहत ने कहा, ‘अगर मैं आज जीत जाती तो प्रयास की सराहना की जाती लेकिन अब यह एक बहाना लगेगा। मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया।’ दो बार की विश्व चैंपियन ने कहा कि वह अकेले यात्रा पर जाने और अपने परिवार के साथ कुछ अच्छा समय बिताने की योजना बना रही है क्योंकि वह दिल तोडऩे वाली हार से उबरने की दिशा में अपना पहला कदम उठा रही है। निकहत ने कहा, ‘मैं छुट्टी पर जाऊंगी, अकेले यात्रा पर जाऊंगी। मैंने ऐसा कभी नहीं किया। यह बहुत जरूरी है। मैं अपने भतीजे और भतीजी के साथ समय बिताऊंगी। मैंने ऐसा लंबे समय से नहीं किया है। मैं मजबूती से वापसी करूंगी।’
निकहत ने इन सुझावों को खारिज कर दिया कि वह दबाव महसूस कर रही थीं लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि मुकाबला पूरी तरह से उनके विचारों पर हावी हो गया। उन्होंने कहा, ‘24 घंटे मेरा दिमाग इस मुकाबले पर था। मैं बस इसके बारे में सोचती रही। यह मेरे लिए सीखने का एक अच्छा अनुभव था। मैंने उससे पहले कभी नहीं खेली थी। वह तेज थी। मैं घर आने के बाद इस मुकाबले का विश्लेषण करूंगी।’ निकहत ने 15 मिनट की बातचीत के दौरान बहादुरी से सवालों का जवाब दिया लेकिन आखिरकार वापस जाने से पहले रोने लगीं।
भारत के हाथों से एक पदक ऐसे छिन गया। लेकिन हमें सोचना होगा कि हम और निकहत क्यों नहीं सामने ला पा रहे हैं। जिस शूटिंग में स्वर्ण पदक की उम्मीदें रहीं, कांस्य से संतोष करना पड़ रहा है। आखिर जिन्होंने स्वर्ण जीता है, वो भी तो इंसान ही हैं। हर बार हम यही सोचते हैं कि अगली बार और तैयारी से ओलंपिक जाएंगे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। हालांकि अभी कुछ उम्मीदें बाकी जरूर हैं, लेकिन पीवी सिंधु जैसी खिलाड़ी से अचानक बाहर होने की  बात किसी ने नहीं सोची होगी। हाकी में ब्राजील से हारने का झटका जरूर लगा है, लेकिन सेमीफाइनल में टीम के पहुंचने से उम्मीदें बाकी हैं।
ओलंपिक को लेकर बातें तो बहुत की जाती हैं, लेकिन जिस स्तर की तैयारी की जानी चाहिए, शायद उसमें अभी भी कमी है। निकहत को ही ले लो, वजन के लिए मुकाबले के ऐन पहले भूखा रहना पड़ा। माना ये जरूरी था, लेकिन वजन कम करने वाली प्रक्रिया तैयारियों के दौरान भी तो पूरी की जा सकती थी। आखिर दूसरे देशों के खिलाड़ी कैसे संतुलन बना लेते हैं। चीन की जो खिलाड़ी जीती है, उसने भी तो कुछ किया ही होगा। हमें लगता है कि तैयारियों के दौरान  जो सावधानियां बरती जानी चाहिए, शायद हम उन पर ध्यान कम देते हैं। कुश्ती में तो जिस तरह की राजनीति हुई, लड़कियों के शोषण के मामले सामने आए। इसके बाद भी बहुत राहत नहीं मिल सकी..। ये हालात उचित नहीं कहे जा सकते। हमें तो लगता है कि राजनीतिक हस्तक्षेप और खेलों में राजनीति जब तक रहेगी, शायद सही माहौल बना पाना मुश्किल ही होगा।
– संजय सक्सेना

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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