Editorial: नव वर्ष का सूर्योदय..

कोहरे के आगोश में लिपटे हुए मौसम के बीच नए वर्ष का सूर्याेदय हुआ है। आओ हम इस नव वर्ष का स्वागत करें, एक नई ऊर्जा, नए उत्साह और नई आशाओं के साथ। जिस तरह कोहरे को चीरते हुए सूर्य की किरण रश्मियां न केवल धुंधलके को हटाने में सफल हो जाती हैं, अपितु माहौल में एक गरमाहट भी भर देती हैं, उसी तरह हम अपनी उमंगों को जगाएं और नए रास्ते, नई मंजिलों को तलाशें।
वर्ष 2024 समाप्त होने के बाद भारत में भक्तों की भीड़ मंदिरों में पहुंचने लगी है। रात के जश्न का माहौल सुबह अचानक भक्तिमय हो गया है। मुंह अंधेरे ही मंदिरों में घंटियों की आवाज आ रही है। भक्तों की भीड़ शंख और घंटियों की आवाज के साथ मंदिरों और देश के घाटों पर आ रही है। देश की जनता बड़े उत्साह और खुशी के साथ 2025 का स्वागत कर रही है। 2024 को अलविदा कहने के बाद 2025 की ओर देखते हुए हम इस बात पर राहत और सुकून महसूस कर सकते हैं कि आगे की राह चुनौतियों से खाली भले न हो, पर उम्मीद और विश्वास के दीप उसे रोशन कर रहे हैं।
2024 में हुए लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद राजनीतिक अस्थिरता की जो आशंका बनी थी, साल के अंत तक वह खत्म हो गई। हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के नतीजों ने जाहिर कर दिया कि एनडीए का दबदबा बना हुआ है। जहां तक देश के आर्थिक विकास की रफ्तार का सवाल है तो यह सही है कि हाल में इसमें थोड़ी कमी आई है। साल 2024-25 की दूसरी तिमाही में यह 5.4 फीसदी पर आ गई जो पिछली सात तिमाहियों का सबसे निचला स्तर है। लेकिन गौर करने की बात है कि यह चुनावी साल था। लिहाजा सरकारी खर्च में कमी एक बड़ा फैक्टर रही।
उम्मीद पर दुनिया कायम है। और वैसे भी जानकार मानते हैं कि तीसरी और चौथी तिमाहियों में यह रफ्तार तेज होगी। वैसे भी रिजर्व बैंक का अनुमान है कि 2024-25 में देश की सालाना बढ़ोतरी दर 6.6 फीसदी रहेगी, जो दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा है। खास बात यह कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक 2025 में भारत जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकॉनमी बन सकता है। हम उस रास्ते पर चल रहे हैं, मंजिल मिलने की पूरी उम्मीद की जा सकती है।
विकास के बावजूद देश में कई मोर्चों पर चुनौतियां भी हैं। जॉबलेस ग्रोथ का आरोप भले पूरी तरह सच न माना जाए, परंतु सच यही है कि युवाओं के लिए अच्छी नौकरी तलाशना एक गंभीर समस्या है। आयुष्मान भारत स्कीम अच्छी योजना है, लेकिन उसके दुरुपयोग की खबरें भी आती रहती हैं। उसका सही लाभ सही लोगों तक कम ही पहुंच रहा है। वहीं, इंश्योरेंस रेग्युलेटर इरडाई की हाल में आई रिपोर्ट बताती है कि साल 2023-24 के दौरान हेल्थ इंश्योरेंस यानि स्वास्थ्य बीमा से जुड़े 71.3 फीसदी दावे ही सेटल किए गए। साफ है नियामक को इसे गंभीरता से लेना होगा। और बीमा के मामले में जिस तरह से लोगों के साथ ठगी की जा रही है, उस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
देश की सुरक्षा की बात करें तो एलएसी से जुड़ा विवाद सुलझाने का दावा किया जा रहा है। इसके बाद अब नए साल में चीन के साथ रिश्तों में बेहतरी की उम्मीद बढ़ गई है। बांग्लादेश के हालात जरूर भारत के लिए कुछ नई चुनौती पेश कर रहे हैं, उसकी पाकिस्तान से नजदीकियां भी भारत के लिए चिंता का विषय बन गया है। इधर अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप की नीतियों को लेकर भी कुछ आशंकाएं हैं, भारतीय युवाओं की बड़ी उम्मीदें अमेरिका से भी हैं।
बांग्लादेश के बाद सीरिया में तख्ता पलट हुआ, रूस और यूके्रन की जंग तेज नहीं है, लेकिन बंद भी नहीं हुई। पाकिस्तान अफगानिस्तान पर हमले कर रहा है। फिर भी कुल मिलाकर साल 2025 युद्ध के बजाय शांति की संभावनाओं को मजबूती देता दिख रहा है। और हमें यह उम्मीद छोडऩा भी नहीं चाहिए। विश्व बंधुत्व का नारा मजबूत करना होगा।
कुल मिलाकर जिस धूमधाम से नए वर्ष का स्वागत हुआ और हो रहा है, वह उमंग और यह उत्साह साल भर बना रहे, ऐसे प्रयास करने होंगे। आशाओं पर आसमान टिका है। आशा की किरणें हमारा उत्साहवर्धन कर रही हैं। नई ऊर्जा और उत्साह के साथ हम सब मिलकर नए लक्ष्य निर्धारित करें, उन्हें पाने के नए रास्ते बनाएं और मंजिल की ओर चल पड़ें। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
– संजय सक्सेना

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