Editorial: बाजार की अनिश्चितता

भारतीय से लेकर दुनिया भर के शेयर बाजारों में अनिश्चितता का दौर लगातार देखने को मिल रहा है। दीवाली पर कुछ राहत मिली, तो दीवाली के बाद बाजार खुलते ही धड़ाम से गिर गया। सुबह सेंसेक्स ग्यारह सौ अंक नीचे आया तो लोगों के साढ़े सात लाख करोड़ रुपए डूब गए। हालांकि हमारा बाजार पिछले कुछ समय से रिकवरी भी तेजी से करता है, लेकिन इसकी अनिश्चितता के चलते लाखों लोगों को अचानक घाटा भी उठाना पड़ जाता है।
आज सुबह आई खबर ने चौंका दिया। हफ्ते के पहले दिन घरेलू शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी जा रही है। बैंकिंग, वित्तीय और आईटी शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट आई है। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले निवेशक सतर्क रुपये अपना रहे हैं। साथ ही फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में और कटौती की संभावना है। बीएसई सेंसेक्स सुबह 10.45 बजे 1156.90 अंक यानी 1.45 प्रतिशत गिरावट के साथ 78,567.22 अंक पर आ गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 381.85 अंक यानी 1.57 फीसदी गिरावट के साथ 23,922.50 अंक पर आ गया। इस गिरावट से बीएसई पर लिस्टेड सभी कंपनियों का मार्केट कैप शुरुआती कारोबार में 6.8 लाख करोड़ रुपये घटकर 441.3 लाख करोड़ रुपये रह गया।
रिलायंस इंडस्ट्रीज, इन्फोसिस, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और सन फार्मा सेंसेक्स में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज करने वाले शेयर रहे। साथ ही एलएंडटी, एक्सिस बैंक, टीसीएस और टाटा मोटर्स ने भी सूचकांक को नीचे गिराया। सेक्टोरल इंडेक्स में निफ्टी बैंक, ऑटो, वित्तीय सेवाएं, आईटी, फार्मा, धातु, रियल्टी, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं और तेल एवं गैस के सूचकांक 0.5 फीसदी से 1.7 फीसदी के बीच गिरावट आई। इस बीच, बाजार की अस्थिरता को मापने वाला इंडिया वीआईएक्स 5.2 फीसदी बढक़र 16.73 पर पहुंच गया।
जानकारों का कहना है 5 नवंबर को होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अनिश्चितता ने आज भारतीय बाजार में सतर्कता की भावना को बढ़ावा दिया है। डेमोक्रेटिक उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और रिपब्लिकन पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ी टक्कर के कारण निवेशक संभावित आर्थिक प्रभावों से सावधान हैं। भारत को लेकर दोनों का दृष्टिकोण अलग-अलग है। हैरिस की जीत से अमेरिकी फेडरल रिजर्व अधिक उदार रुख अपना सकता है। इससे रिजर्व बैंक नीतिगत दरों को कम कर सकता है।
दूसरी ओर ट्रंप की जीत से अमेरिकी ब्याज दरें ऊंची बनी रह सकती हैं। अगर ऐसा हुआ तो आरबीआई उच्च दरों को बनाए रखने और किसी भी दर में कटौती को टालने के लिए प्रेरित हो सकता है। यही अनिश्चितता निवेशकों को प्रतीक्षा करने के लिए प्रेरित कर रही है। इससे बाजार का प्रदर्शन प्रभावित हो रहा है। साथ ही फेड रिजर्व की 7 नवंबर को बैठक होने वाली है। इसका रिजल्ट भारतीय बाजार में आशंकाओं को बढ़ा रहा है।
साथ ही दूसरी तिमाही में कंपनियों की इनकम उम्मीद के मुताबिक नहीं रही है। इससे इक्विटी बाजार में गिरावट आई है और एफएलएलएस ने भारतीय शेयरों को बेचने के लिए प्रेरित किया है। तेल की कीमतों में तेजी ने भी बाजार की धारणा को प्रभावित किया है। सोमवार को शुरुआती काराबोर में कच्चे तेल की कीमत में प्रति बैरल एक डॉलर की तेजी आई है। ओपेक प्लस देशों ने दिसंबर में उत्पादन बढ़ाने की योजना को एक महीने के लिए आगे बढ़ाने की घोषणा की है।
एक तरफ तो रूस और यूके्रन का युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है, तो दूसरी ओर ईरान और इजरायल के बीच युद्ध और तेज होता जा रहा है। इसमें अन्य देश भी शामिल होते जा रहे हैं। ऐसे में जहां कच्चे तेल की सप्लाई कम होने की आशंका और गहरा गई है, वहीं तमाम व्यापार भी थमते दिखने लगे हैं। अमेरिकी बाजार वहां के चुनावों की अनिश्चितता के चलते घबराए हुए दिख रहे हैं। हम दावा तो कर रहे हैं कि हमारे बाजार ज्यादा गिरने वाला ट्रेंड नहीं दिखाएंगे। कुछ समय से रिकवरी भी बेहतर होती जा रही है, लेकिन फिलहाल जब पूरी दुनिया में अनिश्चितता का दौर बढ़ रहा है, ऐसे में हम यह कैसे भरोसा कर सकते हैं कि हमारा शेयर बाजार उससे अछूता ही रहेगा।
बाजारों के जोखिम कोई नई बात नहीं है। लेकिन इस समय जब लोग बैंकों में पैसा रखने के बजाय शेयर बाजार पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं, ऐसे में अचानक आने वाली भारी गिरावट बड़ी संख्या में लोगों के लिए गहरे सदमे से कम नहीं होगा। भारतीय रिजर्व बैंक की बात करें तो वो भी अमेरिकी चुनावों के आधार पर हो रही वहां की आर्थिक उठापटक पर नजर रखे हुए है, लेकिन अभी कुछ ठोस करने की स्थिति में नहीं है। शेयर बाजार की अनिश्चितता पर न तो कोई कुछ ठोस नतीजे पर पहुंच सकता है और न ही कोई दावा कर सकता है। बस,  खुद सावधानी रखें और बड़े जोखिम से बचें।
– संजय सक्सेना

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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