अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के उस बयान से लाखों अप्रवासियों की जान हलक में आ गई है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें हमेशा अमेरिका में रहने का हक नहीं है। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में वेंस ने कहा ग्रीन कार्ड रखने का मतलब यह नहीं है कि किसी व्यक्ति को अमेरिका में हमेशा रहने का अधिकार मिल जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास ग्रीन कार्ड होल्डर्स को निकालने का अधिकार है। सवाल उठता है कि क्या ग्रीन कार्ड के मायने बदले जा रहे हैं? और, जो लाखों विदेशी नागरिक ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं, उनका इंतजार पूरा होगा?
असल में, ग्रीन कार्ड को कानूनी तौर पर स्थायी निवासी कार्ड के नाम से जाता है। इससे अमेरिका में स्थायी तौर पर रहने और काम करने का अधिकार मिलता है, बशर्ते कि व्यक्ति ऐसे अपराध में शामिल न हो जिससे इमिग्रेशन कानूनों का उल्लंघन होता हो। उपराष्ट्रपति वेंस की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, ‘ट्रम्प गोल्ड कार्ड’ नाम के एक वीजा प्रोग्राम को बढ़ावा दे रहे हैं। इस प्रोग्राम के तहत विदेशी नागरिक 5 मिलियन डॉलर यानी करीब 44 करोड़ रुपए देकर अमेरिका की नागरिकता हासिल कर सकते हैं। ट्रम्प ने इसे अमेरिकी नागरिकता का रास्ता बताया है।
ट्रम्प ने ‘गोल्ड कार्ड’ को ईबी-5 वीजा प्रोग्राम का विकल्प बताया और कहा कि भविष्य में 10 लाख गोल्ड कार्ड बेचे जाएंगे। फिलहाल अमेरिकी नागरिकता के लिए ईबी-5 वीजा प्रोग्राम सबसे आसान रास्ता है। इसके लिए लोगों को 1 मिलियन डॉलर (करीब 8.75 करोड़ रुपए) देने होते हैं। ट्रम्प के अनुसार यह वीजा कार्ड अमेरिकी नागरिकता के रास्ते खोलेगा। इसे खरीदकर लोग अमेरिका आएंगे और यहां बहुत ज्यादा टैक्स भरेंगे। उन्होंने दावा किया कि यह प्रोग्राम बहुत सफल होगा और इससे राष्ट्रीय कर्ज का भुगतान जल्द हो सकता है।
जहां तक ग्रीन कार्ड की बात है, तो बताते चलें कि अमेरिका में ग्रीन कार्ड रखने वाले लोगों में मेक्सिको के बाद भारतीय दूसरे नंबर पर हैं। 2022 में 1.27 लाख भारतीयों को ग्रीन कार्ड मिला है। इनके अलावा 12 लाख से ज्यादा भारतीय प्रवासी ग्रीन कार्ड की वेटिंग लिस्ट में हैं। परंतु अब वेंस के बयान के बाद अमेरिका में रह की ग्रीन कार्ड धारकों की चिंता बढ़ गई है।
एक रिपोर्ट की मानें तो वेंस के बयान के बाद ग्रीन कार्ड धारकों में यह चिंता बढ़ सकती है कि वे अचानक निर्वासित किए जा सकते हैं। कई सालों से अमेरिका में रहकर कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने वाले प्रवासियों के बीच इस बात का डर फैल सकता है कि राजनीतिक फैसलों से उनका स्थायी निवास पर असर पड़ सकता है। भारतीय आवेदकों को पहले से ही रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड कैटेगरी के तहत दशकों तक इंतजार करना पड़ता है। गोल्ड कार्ड की शुरुआत के साथ इमिग्रेशन सिस्टम उन लोगों के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है जो भारी कीमत नहीं चुका सकते। यानि यहभी माना जा सकता है कि अमेरिका विदेशी नागरिकों का भविष्य अनिश्चित होता जा रहा है।
Editorial : ग्रीन कार्ड बनाम गोल्ड कार्ड
