Editorial: मुम्बई पर फिर अंडरवर्ल्ड की  काली छाया…? गुजरात जेल से कैसे चल रहा रैकेट?

मुम्बई में बाबा सिद्दीकी की हत्या ने जहां कानून व्यवस्था के साथ ही देश की जेलों पर कई सवाल खड़े किए हैं, वहीं एक बार फिर मुम्बई पर अंडरवल्र्ड की  काली छाया से इंकार नहीं किया जा सकता। कुछ दिन पहले दायर एनआईए की रिपोर्ट में लिखा गया है कि लॉरेंस के लिए जेल से कोई बड़ा क्राइम करवाना ज्यादा आसान है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस है। उस समय गैंग के 6 मेंबर जेल में थे। गुजरात पुलिस के पास इस बात के पक्के सबूत हैं कि लॉरेंस ने 10 से 12 बार साबरमती जेल से फोन किया है। उसकी कॉल इंटरसेप्ट करने पर ये भी पता चला है कि उसने अपनी कॉल में चार बार सलमान या भाईजान का नाम इस्तेमाल किया है।
खुफिया एजेंसियां मान रही हैं कि बाबा को मारकर लॉरेंस, दाऊद की तरह मुंबई में नया अंडरवल्र्ड डॉन बनना चाहता है। 90 के दशक में दाऊद इब्राहिम ने इसी तरह अपना कद बढ़ाया था। लॉरेंस और जग्गू भगवानपुरिया तिहाड़ जेल में, मनप्रीत उर्फ मन्ना फिरोजपुर जेल में, सरज सिंह उर्फ मंटू भटिंडा की स्पेशल जेल में और मनमोहन सिंह उर्फ मोहना मनसा जेल में था। ये सभी गोल्डी बराड़ के कॉन्टैक्ट में थे। इन्हें जैसे ही सिद्धू मूसेवाला की सिक्योरिटी कम होने की जानकारी मिली, इन्होंने जेल से ही सिद्धू मूसेवाला को मारने के लिए शूटर्स भेज दिए थे।
माना जा रहा है कि लॉरेंस, बाबा सिद्दीकी के मर्डर से बॉलीवुड और बिल्डर लॉबी में अपनी धाक जमाने की कोशिश कर रहा है। इससे पहले सलमान खान और उनके पिता सलीम खान को धमकी देना, फिर सलमान के घर पर फायरिंग करवाना भी इसी कोशिश का हिस्सा है। उसके काम करने का तरीका अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की तरह है। असल में मुंबई में दाऊद की गैंग तकरीबन खत्म हो चुकी है। फिरौती, रंगदारी, टारगेट किलिंग और स्मगलिंग जैसे क्राइम भी अब लगभग खत्म हैं।
ऐसे में ये लॉरेंस गैंग के लिए खुला मैदान मिल गया है। और अब वो इस तरह की वारदातों को अंजाम देकर यहां अपना नेटवर्क बड़ा करेगा। उसका टारगेट सलमान खान के साथ-साथ उसके आसपास के लोगों को भी डराने का है। लॉरेंस बड़े नामों को टारगेट कर बड़ा डर पैदा करना चाहता है। दाऊद गैंग के कमजोर होने से वो मुंबई में आसानी से अपने पैर जमा सकता है। बता दें, लॉरेंस गैंग का नेटवर्क 12 राज्यों में फैला है। लॉरेंस गैंग ने बाबा सिद्दीकी को ही निशाना क्यों बनाया, क्या असल में सलमान से दोस्ती इसकी वजह है, या फिर ये डी कंपनी की तरह मुंबई को अपना गढ़ बनाने की कोशिश है।
आपराधिक गतिविधियों पर नजर रखने वालों का मानना है कि मुंबई में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए लारेंस बॉलीवुड के बड़े एक्टर यानी सलमान खान को मोहरा बना रहा है। ये तरीका अंडरवल्र्ड से जुड़े लोग 70, 80 और 90 के दशक में अपनाते थे। इसके जरिए लॉरेंस मुंबई में हफ्ता वसूली का साम्राज्य खड़ा करने की कोशिश कर रहा है। लॉरेंस और दाऊद इब्राहिम की मोडस ऑपरेंडी बिल्कुल एक जैसी है। इसमें जरा भी फर्क नहीं दिखाई दे रहा है। जिस तरह बाबा सिद्दीकी पर हमला हुआ या इससे पहले सलमान खान के घर पर हमला हुआ था।
डी-कंपनी के वक्त में भी हथियार लाने का काम कोई करता था। वारदात कोई और अंजाम देता था। इस हत्याकांड में भी यही नजर आ रहा है। रेकी करने के लिए भी दाऊद ने अलग लोग रखे थे। इस केस में भी यही हुआ है। बाबा सिद्दीकी पर हमला करने से पहले उन्हें किसी थर्ड पार्टी ने हथियार दिए थे। सभी लडक़े हायर किए हुए थे।
गिरफ्तार और फरार आरोपियों को बाबा सिद्दीकी को मारने की सुपारी दी गई थी। बाबा पर हमला करने वालों को ढाई-ढाई लाख रुपए देने का वादा किया गया था। काम से पहले उन्हें 50 हजार रुपए एडवांस भी दिया गया था। एक अंतर यह है कि दाऊद की गैंग में 30-40 साल के अनुभवी अपराधी शामिल थे, जबकि लॉरेंस की गैंग में 700 से ज्यादा नौसिखिए और भटके हुए युवक हैं। इनकी उम्र 20 से 25 साल है। ये लॉरेंस के इशारे पर कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। ये पैसे से ज्यादा फेम के लिए काम करते हैं, जबकि दाऊद के गुर्गे सिर्फ पैसों के लिए काम करते थे।
बाबा को गोली मारने का तरीका भी ठीक वैसा ही था, जैसे दाऊद के लोग 80-90 के दशक में करते थे। वो टारगेट पर उसके घर के आसपास ही हमला करते थे। टारगेट को बिल्कुल नजदीक से गोली मारी जाती थी। लॉरेंस भी इसी तरीके को अपना रहा है।
एनआई ने लारेंस, गोल्डी बराड़ समेत कई गैंगस्टर्स के खिलाफ कुछ दिन पहले गैंगस्टर टेरर केस में चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें लॉरेंस गैंग की तुलना दाऊद इब्राहिम गैंग से की गई थी। इस चार्जशीट में कहा गया था कि लॉरेंस, दाऊद इब्राहिम के नक्शेकदम पर चल पड़ा है। दाऊद इब्राहिम ने ड्रग तस्करी, टारगेट किलिंग और एक्सटॉर्शन रैकेट के जरिए अपना साम्राज्य खड़ा किया। फिर उसने डी कंपनी बनाई। ठीक उसी तरह लॉरेंस भी अपना साम्राज्य खड़ा करना चाहता है। दाऊद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहारे 1993 ब्लास्ट को अंजाम दिया, ठीक उसी तरह ही लॉरेंस भी कर रहा है। लॉरेंस का कारोबार कनाडा, अमेरिका, दुबई और पाकिस्तान तक फैल चुका है।‘
दाऊद इब्राहिम ने छोटा राजन की मदद से गैंग को बढ़ाया। उसी तरह लॉरेंस लॉरेंस ने गोल्डी बराड़, सचिन बिश्नोई, अनमोल बिश्नोई, विक्रम बराड़, काला जठेड़ी, काला राणा के साथ मिलकर गैंग का नेटवर्क 12 राज्यों तक पहुंचा दिया। बाबा सिद्दीकी को टारगेट कर लॉरेंस गैंग देश की आर्थिक राजधानी में उगाही के नेटवर्क को और बड़ा करना चाहता है।
अंत में इस मुद्दे पर बात करना भी जरूरी है कि आखिर लगातार एक अपराधी जेल से कैसे नेटवर्क चला रहा है? वो गुजरात जहां से प्रधानमंत्री और गृहमंत्री आते हैं। कहीं तमाम खुफिया एजेंसियां भी तो गृह मंत्रालय के अधीन हैं। एनआईए के पास यदि लारेंस की गतिविधियों की ठोस जानकारियां हैं तो उसका नेटवर्क सरकार क्यों नहीं तोड़ पा रही है? यूपी में तो तमाम अपराधियों को जेलों में शिफ्ट करने या पेशी पर जाने के बीच में ही एनकाउंटर कर दिया गया, लारेंस पर इतनी कृपा क्यों और किसकी?
– संजय सक्सेना

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