Editorial : साइबर अपराधियों का बढ़ता जाल

हाल ही में म्यांमार के साइबर क्राइम अड्डों से 70 भारतीयों को छुड़ाए जाने का मामला चर्चाओं में है। यह गंभीर मामला है और इससे यह पता चलता है कि साइबर अपराध आज की तारीख में बहुत गंभीर समस्या बन चुकी है। साइबर अपराधियों का जाल बहुत फैला हुआ है और अब इसे कोई देश अकेले खत्म करने में सफल नहीं हो सकता।
आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस से लेकर तमाम ऐसे हथियार आ जाने के चलते साइबर अपराधी अब पहले से ज्यादा संगठित और ज्यादा ताकतवर बन चुके हैं। म्यांमार में ही जो भारतीय फंसे हुए थे, उन्हें नौकरी का झांसा देकर बुलाया गया था। काम कुछ और बताया गया, जगह कोई और बताई गई, फिर धोखा देकर साइबर अपराध की ओर धकेल दिया गया। छुड़ाए गए भारतीयों में गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, यूपी समेत कई राज्यों के लोग हैं। इतना बड़ा अपराध संगठित नेटवर्क के बगैर नहीं चल सकता। और, जब तक इस या ऐसे नेटवर्क को खत्म नहीं किया जाता, आम लोग इसके चंगुल में फंसते रहेंगे।
म्यांमार का म्यावाडी वैसे भी साइबर अपराध के लिए बदनाम है। पता चला है कि यहां करीब दो हजार से अधिक भारतीय अभी भी फंसे हुए हैं। इनमें से ज्यादातर से जबरदस्ती ऑनलाइन ठगी कराई जा रही है। अभी जो रेस्क्यू ऑपरेशन हुआ, उसे म्यांमार की बॉर्डर गार्ड फोर्स ने अंजाम दिया है। भारत और दूसरे देशों को इस मामले में म्यांमार का सहयोग लेना चाहिए और जरूरत पड़े तो मदद करनी चाहिए ताकि इस अड्डे को पूरी तरह खत्म किया जा सके। यहां दूसरे देशों के लोग फंसते ही नहीं हैं, बल्कि यहीं से उन देशों के लोगों को फंसाया भी जाता है।
आज साइबर अपराधियों के हाथ इतने लंबे हो चुके हैं कि उनकी सीमाओं से कुछ भी बाहर नहीं है। अनुमान है कि इस साल तक साइबर क्राइम की वजह से होने वाला नुकसान 10 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा हो सकता है। 10 साल पहले यह आंकड़ा 3 ट्रिलियन डॉलर के आसपास था। यानी, साइबर अपराधियों ने दुनियाभर की सरकारों की नाक के नीचे इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था खड़ी कर ली है, जिसकी यदि देशों से तुलना की जाए तो तीसरे नंबर पर आएगी। यही पैसा फिर आतंकवाद और अराजकता फैलाने में इस्तेमाल होता है।
जून 2022 के बाद से म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और थाईलैंड से 600 से अधिक भारतीयों को रेस्क्यू किया जा चुका है। इसका एक मतलब यह भी है कि साइबर अपराधियों पर फुटकर हमलों का असर नहीं हो रहा। वे पहले की तरह ही आम लोगों को जरिया बनाकर आम लोगों को ठगने में लगे हुए हैं। इसे खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय पहल की जरूरत है। सभी देशों की सरकारों को इसके लिए संयुक्त रूप से अभियान चलाना होगा, साथ ही लागों में जागरूकता भी फैलानी होगी, तभी कुछ सफलता मिल सकती है। अन्यथा साइबर अपराध की दुनिया कई देशों को भी अपने चंगुल में आसानी से फंसा लेगी।

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