Editorial: मोदी-शाह के बाद योगी या फडणवीस?

पिछले यानि 2024 लोकसभा चुनावों में 240 पर अटकने के बाद चर्चा शुरू हो गई थी कि 2029 में भारतीय जनता पार्टी का चेहरा कौन होगा? क्या मोदी के बाद अमित शाह कमान स्वयं? या फिर कोई और? पार्टी ही नहीं, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में भी इसे लेकर कश्मकश का वातावरण बना हुआ है। लेकिन जिस तरह से महाराष्ट्र में भाजपा की वापसी हुई और देवेंद्र फडणवीस की ताजपोशी हुई, उनका नाम विचारणीय सूची में और ऊपर चढ़ गया है।
केंद्र में दो बार भाजपा और एक बार एनडीए के संख्याबल पर प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी वर्तमान में देश की सत्ता संभाल रहे हैं। 2024 में खड़े हुए सवाल का जवाब शायद 2024 के खत्म होने से पहले ही मिलता दिखने लगा है। महाराष्ट्र में महायुति की जीत के बाद नायक बनकर उभरे देवेंद्र फडणवीस का रविवार को नागपुर में भव्य स्वागत हुआ। मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार नागपुर पहुंचने पर फडणवीस के स्वागत में वो सबकुछ दिखा तो जो उन्हें राष्ट्रीय राजनीति की ओर लेकर जाता है। इसके पहले उनका नाम पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भी चल चुका है और उन्हें बाकायदा संघ का समर्थन भी हासिल होने का दावा भी किया जा रहा है।
महायुति की जीत के बाद आजाद मैदान में जब शपथ ग्रहण हुआ तो वह भी एक बड़ा शक्ति प्रदर्शन ही था। इससे पहले हरियाणा में नायब सैनी का शपथ समारोह हुआ था, लेकिन वह इतना भव्य नहीं था। राजनीतिक हलकों में फडणवीस के फुल फॉर्म में लौटने के बाद चर्चा है कि जैसा पिछले महीनों में घटित हुआ है, अगर यह क्रम आगे बनता रहा तो निश्चित तौर पर फडणवीस 2029 में बीजेपी का बड़ा चेहरा हो सकते हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट में संघ के हवाले यह लिखा भी गया है कि फडणवीस 2029 में बीजेपी का चेहरा हो सकते हैं। कई मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह कहा है कि 2029 में पीएम मोदी ही पार्टी का चेहरा होंगे, लेकिन राजनीतिक हलकों में यह माना जा रहा है कि शायद बीजेपी ही उनके चेहरे पर चौथी बार मैदान में जाने से बचे, ऐसे में फडणवीस को मौका मिलने की पूरी संभावना बन सकती है।
बीजेपी की अगली पीढ़ी के नेताओं में देवेंद्र फडणवीस एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्हें पीएम मोदी, अमित शाह के साथ ही राष्ट्रीय स्वमंसेवक संघ का समर्थन हासिल है और बताया जा रहा है कि इसके साथ ही उन्हें संघ की पसंद रहे नितिन गडकरी का भी आशीर्वाद मिल गया है। फडणवीस की छवि बीजेपी के दूसरे नेताओं की तुलना अलग है। वह हिंदुत्व के मुद्दे पर बहुत कट्टर नहीं है, लेकिन नरम भी नहीं है। वह अपनी शैली में काम करते हैं। फडणवीस ने 2024 लोकसभा चुनावों में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के लिए जिम्मेदारी ली थी। वे अब काफी परिपक्व भी दिख रहे हैं।
हालांकि महाराष्ट्र में जीत और मुख्यमंत्री के चयन के बीच की अवधि में उनका एक वाक्य काफी चर्चाओं में रहा, वो ये कि…महाराष्ट्र में भाजपा कभी टूटी नहीं है। इसे ऊपरी तौर पर भले ही हलके में लिये जाने का दिखावा किया जाता रहा हो, लेकिन पार्टी ने इसे बहुत गंभीरता से लिया। और माना जा रहा है कि इसी के चलते महाराष्ट्र में मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसा प्रयोग नहीं किया गया।
असल में अगले लोकसभा चुनाव जब 2029 में होंगे, तब तक राष्ट्रीय स्तर पर क्या परिवर्तन आता है, यह तो देखा ही जाएगा, महाराष्ट्र में सरकार के साथ ही फडणवीस की परफार्मेंस की भी समीक्षा होगी। महाराष्ट्र के चुनाव तो इसके बाद ही होंगे। ऐसे में अगर स्थितियां अनकूल रहती हैं तो फडणवीस नई लकीर खींच सकते हैं क्योंकि महाराष्ट्र में इस बार वह प्रचंड बहुमत वाली सरकार की अगुवाई कर रहे हैं जहां पर वे अपनी एजेंडे को आसानी से लागू कर सकते हैं।
राजनीतिक हलकों में चर्चा चल रही है कि फडणवीस ने अपने मंत्रिमंडल में जिस तरह नए चेहरों को मौका दिया है। वह भविष्य के लिए लीडरशिप डेवलप करने की तैयारी को दर्शाता है। महाराष्ट्र की राजनीति पर नजर रखने वाले विश्लेषकों का कहना है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, देवेंद्र फडणवीस निश्चित रूप से बीजेपी में अगली पीढ़ी के नेता हैं। हालांकि पार्टी में भूपेंद्र यादव, पुष्कर धामी, अनुराग ठाकुर जैसे अन्य नेता भी हैं, कतार और लंबी हो सकती है, लेकिन योगी और फडणवीस चूंकि दो बड़े राज्यों से आते हैं। ऐसे में वह निश्चित रूप से 2029 में राष्ट्रीय भूमिका के लिए शीर्ष दावेदार होंगे।
भाजपा के लिए राजनीतिक माहौल के साथ ही नया नेतृत्व गढऩे और विकसित  करने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने तो अभी से फडणवीस पर दांव खेल दिया है। माना जा रहा है कि राजनीतिक परिस्थितियों के साथ ही संघ ने भी उनके लिए दबाव बनाया था। चुनाव में भूमिका से लेकर आने वाले समय के लिए भी संघ ने जिम्मेदारी ली है, ऐसा भी बताया जा रहा है। अब आगे क्या होता है, यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन फडणवीस को वर्तमान में भी नेतृत्व की अगली कतार के शीर्ष की ओर जाते देखा जा रहा है।
– संजय सक्सेना

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