Edirorial zuckerberg: भारत को लेकर गलत बयानी..फिर फंसे जुकरबर्ग…!

विवादों से नाता रखने वाले मार्क जकरबर्ग एक बार फिर गलतबयानी के मामले में फंस गए हैं। भारतीय संसद की आईटी एंड कम्युनिकेशन मामलों की स्टैंडिंग कमिटी उन्हें समन करने वाली है। फेसबुक और मेटा पहले भी तथ्यों के साथ छेड़छाड़ और फेकन्यूज को लेकर ढिलाई जैसे आरोपों में घिरती रही हैं।
यह वाकई हैरत की बात है कि जकरबर्ग ने भारत को भी उन देशों में शामिल कर लिया जहां पिछले साल चुनाव में सरकारों ने सत्ता गंवाई। तथ्य यह है कि बीजेपी की सीटें भले कम हुई हों, लेकिन सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए ने बहुमत हासिल कर सरकार में वापसी की। परिणामस्वरूप नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार चल रही है। इस तथ्य से जकरबर्ग कैसे अनजान हो सकते हैं? क्या वह जानबूझकर भारत सरकार के बारे में गलत सूचनाएं फैला रहे हैं?
भारत के चुनाव से जुड़ी मार्क जुकरबर्ग की टिप्पणी को लेकर संसदीय पैनल ने कंपनी के खिलाफ समन जारी करने का फैसला किया है। समन करने की खबर ऐसे वक्त सामने आई थी, जब एक दिन पहले ही यानी सोमवार को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग पर पलटवार किया था। दरअसल, जुकरबर्ग ने दावा किया था कि कोविड-19 महामारी के बाद भारत समेत ज्यादातर देशों की मौजूदा सरकारों को 2024 में चुनावी हार का सामना करना पड़ा। मंत्री ने कहा था कि उनका बयान तथ्यात्मक रूप से गलत है।
मामले में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि मेटा को गलत सूचना फैलाने के लिए माफी मांगनी होगी। मेरी समिति इस गलत जानकारी के लिए मेटा को बुलाएगी। किसी भी लोकतांत्रिक देश की गलत जानकारी देश की छवि को धूमिल करती है। इस गलती के लिए भारतीय संसद से तथा यहां की जनता से उस संस्था को माफी मांगनी पड़ेगी। असल में अश्विनी वैष्णव ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत ने 2024 के आम चुनाव का आयोजन कराया। इसमें 64 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने हिस्सा लिया। देश के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन पर भरोसा जताया और लगातार तीसरी बार सत्ता में बिठाया। सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहा कि जुकरबर्ग का यह दावा कि 2024 के चुनावों में भारत सहित अधिकांश मौजूदा सरकारों को कोविड महामारी के बाद हार का सामना करना पड़ा, तथ्यात्मक रूप से गलत है।
समन जारी होने के बाद मेटा बैकफुट पर आ गई है। कंपनी ने इस मामले में माफी मांगी है। कंपनी ने कहा कि अनजाने में हुई गलती के लिए हम माफी मांगते हैं। मेटा इंडिया में सार्वजनिक नीति के निदेशक के तौर पर काम करने वाले शिवनाथ ठाकुरल ने एक्स पर एक पोस्ट में सीईओ की तरफ से माफी मांगी। उन्होंने कहा, मार्क का यह कहना कि 2024 के चुनावों में कई मौजूदा पार्टियां फिर से चुनकर नहीं आईं, कई देशों के लिए सही है, लेकिन भारत के मामले में ऐसा नहीं है। हम इस अनजाने में हुई गलती के लिए माफी चाहते हैं। भारत मेटा के लिए एक अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण देश बना हुआ है और हम इसके शानदार भविष्य के केंद्र में होने की आशा करते हैं।
सही बात तो यह है कि जुकरबर्ग का शुरू से ही विवादों से नाता रहा है।  और पहले भी वह बयानों को लेकर या बदलावों को लेकर विवाद में फंसते रहे हैं। जुकरबर्ग ने अभी हाल ही में मेटा की कंटेंट मैनेजमेंट पॉलिसी में बड़े बदलाव की घोषणा की है। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर लाए जा रहे इन बदलावों के तहत मेटा थर्ड पार्टी फैक्ट चेकिंग का सिस्टम समाप्त करने वाली है। उसकी इस घोषणा को भी अमेरिका में हो रहे सत्ता परिवर्तन से जोडक़र देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि यह ट्रंप समर्थकों को खुश करने की कोशिश है जो फ्री स्पीच के नाम पर फैक्ट चेकिंग की इस व्यवस्था का काफी समय से विरोध कर रहे हैं। 2018 में सामने आए कैंब्रिज एनालिटिका विवाद को भी इस संदर्भ में याद किया जा सकता है जिसमें यूजर्स के पर्सनल डेटा की सुरक्षा का सवाल प्रमुखता से उभरा था।
ऐसे और भी मामले हैं जिनसे यह संदेह मजबूत होता है कि फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंचों का इस्तेमाल सिर्फ अधिक से अधिक मुनाफा हासिल करने के मकसद से हो रहा है। समाज को होने वाले नुकसान की तरफ पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा। इस तरह की गैर जिम्मेदारी खतरनाक हो सकती है और इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। ताजा विवाद को सरकार ने गंभीरता से लिया है, यह अच्छी बात है। लेकिन उसकी चिंता इसी मामले तक सीमित न रहे, यह देखना होगा। हेट स्पीच और फेक न्यूज के अन्य मामले भी उतने ही गंभीर हैं चाहे वे किसी भी समुदाय और पार्टी के खिलाफ केंद्रित हों।
उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार की सख्ती मेटा को ज्यादा जिम्मेदार बनाएगी। और मेटा भी सोशल मीडिया के नाम पर कुछ भी परोसने से बचेगी और फायदे के साथ ही समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी समझेगी।
– संजय सक्सेना

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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