Edirorial: प्रमोद महाजन की हत्या की गुत्थी सुलझ पाएगी..?
क्या वास्तव में भाजपा के कद्दावर नेता रहे प्रमोद महाजन की हत्या की गुत्थी अनसुलझी रह गई थी? क्या वास्तव में यह हत्या किसी बड़ी साजिश के तहत हुई और उसे अनसुलझा छोड़ दिया गया? और क्या गोपीनाथ मुंडे की मौत का भी महाजन की हत्या से कोई संबंध था, क्योंकि मुंडे की मौत भी हत्या ही मानी जा रही है। और मुंडे ही महाजन के साथ हुई घटना के बाद सबसे पहले वहां पहुंचने वाले व्यक्ति थे।
असल में, आज आई खबर के अनुसार महाराष्ट्र भाजपा की बड़ी नेता और पूर्व सांसद पूनम महाजन ने अपने पिता प्रमोद महाजन की हत्या को लेकर एक बड़ा चौंकाने वाला दावा किया है। उनका कहना है कि उनके पिता की हत्या एक बड़ी साजिश थी, जो कभी न कभी सामने आएगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह पिता की हत्या की जांच कराने की मांग को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री और महाराष्ट्र के गृह मंत्री को पत्र लिखेंगी। इससे पहले 2022 में भी पूनम ने संकेत दिया था कि उनकी हत्या के पीछे कोई मास्टरमाइंड था और इसमें पारिवारिक झगड़े से ज्यादा कुछ है, जिसे उजागर करने की जरूरत है।
पूनम महाजन ने दावा किया कि उन्हें अपने पिता की मौत के पीछे किसी साजिश की बू आ रही है। जिस गोलीबारी के कारण उनके पिता की मौत हुई, उसके पीछे कुछ गलत मकसद हो सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि जब 2006 में यह घटना घटी थी तो वह उस हालत में नहीं थीं कि कोई संदेह जता पातीं। मगर हमेशा से पिता की मौत को लेकर मन में शंकाएं रहती थीं। अब जब उनकी पार्टी केंद्र और राज्य दोनों में सत्ता में है तो उन्होंने एक घटना को याद किया और कहा कि वह अमित शाह और देवेंद्र फडणवीस दोनों को पत्र लिखकर सच्चाई का पता लगाने के लिए मामले की गहन जांच की मांग करेंगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रमोद महाजन के भाई प्रवीण महाजन ने पारिवारिक विवाद में अपने भाई की हत्या की थी। 22 अप्रैल 2006 का दिन था। उस वक्त सुबह के साढ़े सात बजे रहे थे, प्रमोद महाजन अपने घर में बैठे चाय पी रहे थे और अखबार के पन्ने पलट रहे थे। उसी समय प्रवीण महाजन वहां पहुंचे, दोनों के बीच कुछ देर बात हुई। इस बातचीत के दौरान दोनों में तकरार हो गई और अचानक से प्रवीण महाजन ने पॉइंट ब्लैंक रेंज से अपने बड़े भाई प्रमोद महाजन के सीने में तीन गोलियां मार दीं। इसके बाद प्रवीण महाजन आराम से टैक्सी लेकर वर्ली पुलिस स्टेशन पहुंचे और अपने भाई की हत्या का जुर्म कबूलते हुए आत्मसमर्पण कर दिया। वहीं प्रमोद महाजन गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। 13 दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद 3 मई 2006 को प्रमोद महाजन की मौत हो गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रवीण महाजन ने जब प्रमोद महाजन को गोली मारकर घायल कर दिया था तो गोपीनाथ मुंडे सबसे पहले प्रमोद महाजन के घर पहुंचे थे। उस दौरान प्रमोद महाजन बोलने की स्थिति में थे तो कथित तौर पर प्रमोद महाजन ने उस वक्त मुंडे से कहा था कि मैंने ऐसा क्या किया कि प्रवीण ने मुझ पर गोली चलाई? मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रवीण महाजन ने प्रमोद महाजन के चरित्र पर सवाल उठाए थे। वहीं ऐसी भी खबरें सामने आईं थी कि दोनों भाइयों के बीच वित्तीय लेनदेन को लेकर भी कुछ विवाद था। प्रमोद महाजन की हत्या की सुनवाई का एक हिस्सा बंद कमरे में हुआ, जिसके चलते हत्या की असल वजह सामने नहीं आ सकी।
प्रवीण महाजन को हत्या का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। प्रवीण महाजन ने जेल में एक किताब भी लिखी, जिसमें उसने लिखा कि यह सब कैसे हुआ और किसने किया, ये लोग कभी नहीं जान पाएंगे। जब प्रवीण महाजन जमानत पर जेल से बाहर आए थे तो मीडिया ने उनसे हत्या को लेकर सवाल किए थे, लेकिन प्रवीण महाजन ने गोलमोल जवाब दिए और खुलकर इस बारे में कुछ नहीं बताया। साल 2010 में ब्रेन हैमरेज के चलते प्रवीण महाजन की भी मौत हो गई।
प्रमोद महाजन की हत्या की तात्कालिक घटना ने न केवल पूरे देश में सनसनी फैला दी थी, अपितु उसके पीछे जो कारण बताया गया था, वह भी किसी के गले नहीं उतरा। फिर, जेल में लिखी किताब का वह हिस्सा, जिसमें प्रवीण महाजन ने लिखा- हत्या का सही कारण कोई नहीं जान पायेगा, यह भी बड़े रहस्य की ओर संकेत देता है। और गोपीनाथ मुंडे की दुर्घटना में मौत की गुत्थी भी आज तक नहीं सुलझ पाई। इनके तार कहीं न कहीं एक-दूसरे से जुड़े मालूम होते हैं।
अब जब पूनम महाजन ने इस मामले को फिर से उठाया है, तो मुद्दा गंभीर ही कहा जायेगा। प्रमोद महाजन को कथित तौर पर गोली मारने वाले प्रवीण महाजन की भी मौत हो चुकी है, इसलिए जांच आसान तो नहीं हो सकती। देखना होगा कि वे पत्र लिखती हैं, तो सरकार क्या कदम उठाती है? मामले की जांच होती है या नहीं और होती है तो क्या वास्तव में इस पूरे प्रकरण की गुत्थी सुलझ पायेगी? हत्या के तार कहीं और से जुड़े हुए पाये गये तो क्या होगा?
– संजय सक्सेना