Edirorial: अव्यवस्थित राजधानी

मध्यप्रदेश की राजधानी होने का गर्व भोपाल को अवश्य है, लेकिन यहां आम नागरिकों के लिए बेहतर सुविधाएं आज भी उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। आधे से अधिक शहर की सडक़ों को पार्किंग ने खत्म कर दिया है, तो दुकानों और ठेलेवालों ने फुटपाथ। न वाहन सडक़ पर ठीक से चल पा रहे हैं और न ही पैदल यात्रियों को राहत। सडक़ों से लेकर बाजारों तक के हाल ये हैं कि खुद बच सकते  हो तो बच के निकल लो।
राजधानी के पुराने हिस्से के इलाकों की पुरानी समस्या है, लेकिन नव विकसित इलाकों में हालात पुराने से भी ज्यादा खराब होते जा रहे हैं। कमलापार्क, सुल्तानिया रोड से लेकर हमीदिया रोड, न्यू मार्केट, बोर्ड ऑफिस, 10 नंबर मार्केट, जहांगीराबाद, चूना भट्टी जैसे क्षेत्रों में फुटपाथों पर दुकानों और विज्ञापन बोर्डों ने कब्जा जमा लिया है। कोलार रोड पर तो फुटपाथों का अस्तित्व ही नहीं है। इससे सडक़ें संकरी हो गई हैं और जाम की समस्या लगातार बढ़ रही है। न केवल यातायात बाधित हो रहा है, बल्कि पैदल चलने वालों को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि भोपाल के करीब 90 त्रतिशत फुटपाथों पर अतिक्रमण हो चुका है।
पुराने और नए भोपाल का हृदय स्थल कहे जाने वाले न्यू मार्केट की बात करें तो फुटपाथों पर बनी अस्थायी दुकानों के कारण यातायात व्यवस्था चरमरा गई है। वाहन सडक़ पर अनियमित तरीके से खड़े रहते हैं, जिससे राहगीरों और वाहन चालकों दोनों को परेशानी होती है। पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथों पर चलना नामुमकिन हो गया है, जिससे उन्हें सडक़ पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इसके चलते दुर्घटनाओं का खतरा काफी बढ़ गया है। यहां के रिहायशी इलाके मालवीय नगर का तो और बुरा हाल हो गया है, पूरा कामर्शियल हो गया है और यहां तो फुटपाथ जैसी कोई सुविधा ही नहीं है।
हबीबगंज रोड के फुटपाथों पर झुग्गियों और दुकानों का कब्जा है। इससे पैदल यात्रियों के लिए कोई जगह नहीं बची है। लोग मजबूरन सडक़ों पर चलते हैं, जिससे यातायात बाधित होता है और दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। यह अतिक्रमण न केवल राहगीरों के लिए असुविधाजनक है, बल्कि पूरे यातायात तंत्र को अस्त-व्यस्त कर रहा है। कमलापार्क से सोमवारा तक तो सडक़ ही संकरी है, फुटपाथ तो है ही नहीं। सोमवारा से सैफिया कालेज रोड हो या सिंधी मार्केट वाला रोड, यहां से हमीदिया रोड तक सडक़ों फुटपाथों पर खाने-पीने की दुकानों और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने कब्जा कर रखा है। इस कारण वाहन चालकों और पैदल यात्रियों दोनों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन इलाकों में अक्सर जाम लग जाता है, जिससे यात्रियों का समय और धैर्य दोनों बर्बाद होता है। साथ ही, दुर्घटनाओं की संभावना भी काफी बढ़ गई है।
न्यू मार्केट से पुराने शहर को जोडऩे वाला एक क्षेत्र है, जहांगीराबाद। यहां के लिली टॉकीज चौराहे पर कपड़ों की अस्थायी दुकानों ने फुटपाथ पर कब्जा कर लिया है। ये दुकानें ही फुटपाथ पर लगी हैं और यहां आने वाले अपने वाहन सडक़ पर ही खड़े करते हैं। इससे यातायात में बाधा बन रहा है। राहगीर सडक़ पर चलने को मजबूर हैं, जिससे यातायात जाम और दुर्घटनाएं आम होती जा रही हैं। स्थानीय लोग इस समस्या से बेहद परेशान हैं और इसके समाधान की मांग कर रहे हैं।
भारत टॉकीज रोड, पीरगेट, हमीदिया रोड, भोपाल टॉकीज से सिंधी कॉलोनी चौराहा, रॉयल मार्केट, मोतिया तालाब रोड, चौक बाजार, लखेरापुरा, घोड़ा नक्कास, सुल्तानिया रोड, मंगलवारा, मॉडल ग्राउंड, शाहजहांनाबाद, जहांगीराबाद, नूरमहल रोड, जेपी नगर से डीआईजी बंगला चौराहा, सेंट्रल लाइब्रेरी के पास इतवारा रोड, बरखेड़ी ऐशबाग फाटक और कमला पार्क समेत कई इलाकों में अतिक्रमण से फुटपाथ पूरी तरह से गायब हो चुके हैं।
अगर नये शहर की बात करें तो न्यू मार्केट से लेकर दस नंबर, ग्यारह नंबर, बारह नंबर, शाहपुरा, त्रिलंगा और आगे विकसित होने वाले क्षेत्रों में भी यही बीमारी फैल चुकी है। कटारा, बाग सेवनिया, बाग मुगालिया वाले इलाकों से लेकर होशंगाबाद रोड के व्यस्ततम रहवासी क्षेत्रों में भी सडक़ पार्किंग स्थल बने हैं और फुटपाथ बाजार। कोलार में सिक्स लेन बनाई गई है, शायद वाहनों की सुविधा के लिए नहीं। शाम के समय यह सिक्स लेन, फोर लेन भी नहीं रह पाती। सडक़ों पर एक लाइन तो कम से कम वाहनों की पार्किंग के लिए होती है, कई जगह एक लेन ही चलने के लिए बच पाती है। और फुटपाथ तो जैसे वहां हैं ही नहीं, सो मुख्य मार्ग ही पैदल चलने के लिए भी होता है।
कुल मिलाकर ऐसा लगता है, मानो राजधानी का अतिक्रमणकारियों से लेकर अराजकतावादियों का ग्रहण लग गया है। कोई प्रशासन कुछ नहीं कर पाता। अधिकारी एकाध बार जाकर कुछ करते हैं, एकाध दिन ठीक रहता है, फिर वही बदहाली। नगर निगम के अधिकारियों को वसूली से फुर्सत नहीं मिलती और यातायात पुलिस हैलमेट चैकिंग से आगे नहीं निकल पाती। न सडक़ और न फुटपाथ। फिर दुर्घटनाएं भी होंगी और परेशानियों का निदान भी नहीं होगा। अवैध वसूली और वोटों की राजनीति शहर की व्यवस्थाओं को चाट रही है, आम आदमी भुगत रहा है। भुगतता ही रहेगा। आंखें बंद करके सब कुछ करने और सहने की आदत जो पड़ गई है। सोते रहो, रोते रहो।
– संजय सक्सेना

Exit mobile version