Edirorial: इसरो की एक और गौरवपूर्ण सफलता

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि इसरो ने अपनी स्थापना से लेकर आज तक सफलता के कई आयाम तय किये हैं, उसकी सूची मेेंं एक और नई सफलता जुड़ गई है। इसने हमें अंतरिक्ष में चौथा देश बना दिया है। इसरो ने गुरुवार को स्पेडेक्स मिशन के तहत अंतरिक्ष में दो सेटेलाइट्स की डॉकिंग का चौथा प्रयास सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। स्पेडेक्स मिशन की कामयाबी के बाद भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। स्पेस डॉकिंग में निपुणता, भविष्य के मानव मिशन और इंटर प्लैनेटरी मिशन में मददगार साबित होगी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट्स की सफलतापूर्वक डॉकिंग कर दी है। यह एसडीएक्स (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) मिशन के तहत किया गया। इस कामयाबी के साथ भारत, अमेरिका,रूस और चीन के बाद ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। यह उपलब्धि गुरुवार को हासिल हुई। इससे पहले 7 और 9 जनवरी को तकनीकी कारणों से इसे टाला गया था। 12 जनवरी को इसरो ने एक परीक्षण किया था,जिसमें उपग्रहों को 3 मीटर की दूरी तक लाया गया था और फिर आगे के विश्लेषण के लिए उन्हें सुरक्षित दूरी पर ले जाया गया था।
इससे पहले इसरो ने 12 जनवरी को जानकारी दी थी कि स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट प्रोजेक्ट अपने लक्ष्य के बिल्कुल करीब पहुंचने के बाद भी मिशन को पूरा नहीं कर पाया। इसरो ने बताया था कि दोनों सैटेलाइट्स की दूरी को 15 मीटर से 3 मीटर तक लाने की कोशिश सफल रही, जिसके बाद दोनों सैटेलाइट्स को एक दूसरे से दूर कर दिया गया। इसरो ने बताया था कि अब डाटा विश्लेषण के बाद डॉकिंग की कोशिश की जाएगी। 12 जनवरी को डॉकिंग की तीसरी कोशिश थी। उससे पहले भी डॉकिंग प्रक्रिया को दो बार टालना पड़ा था।
इसरो ने एसडीएक्स मिशन के तहत अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को जोडऩे का चौथा प्रयास किया था, जो सफल रहा। वैज्ञानिकों ने डॉकिंग प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। टीम ने पूरी जानकारी का विश्लेषण किया और इस ऑपरेशन की सफलता की पुष्टि की। डेटा की समीक्षा पूरी होने के बाद आधिकारिक घोषणा भी कर दी गई। इसरो ने अपने बयान में कहा कि दो उपग्रहों को जोडऩे के बाद, दोनों को एक ही वस्तु के रूप में नियंत्रित करने में सफलता मिली है। आने वाले दिनों में उपग्रहों को अलग करने और बिजली हस्तांतरण की जांच की जाएगी।
इसरो के स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट मिशन के तहत दो उपग्रहों को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक जोड़ा गया है।
इस उपलब्धि के साथ भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद उपग्रह डॉकिंग क्षमता प्रदर्शित करने वाला चौथा देश बन गया है। डॉकिंग में समझिए जैसे दो गाडिय़ों को आपस में जोड़ दिया जाए, वैसे ही अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को जोड़ा गया है। यह बहुत ही मुश्किल काम है,क्योंकि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता और उपग्रह बहुत तेज गति से घूम रहे होते हैं। तकनीकी समस्याओं के कारण 7 और 9 जनवरी को स्थगित होने के बाद,डॉकिंग प्रक्रिया गुरुवार को पूरी हुई।
असल में अंतरिक्ष में देश के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को अपने बलबूते हासिल करने के लिए डॉकिंग क्षमता बेहद जरूरी है। इन लक्ष्यों में चंद्रमा से नमूने लाना, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएसएस) का निर्माण शामिल है। यह सफलता तेजी से बढ़ते 400 अरब डॉलर के वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की भारत की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में भी मददगार होगी। यह तकनीक हासिल करने के बाद भारत चंद्रमा पर इंसान को भेजने और चांद से नमूने लाने में सहायक होगा। साथ ही भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण और संचालन में भी हम आत्मनिर्भर होंगे। इस तकनीक की जरूरत किसी मिशन के लिए एक से अधिक रॉकेट लॉंच करने पर भी होती है।
असल में 1966 में जेमिनी आठ अंतरिक्षयान और एजेना टार्गेट व्हीकल की डॉकिंग प्रक्रिया पूरी कर अमेरिका डॉकिंग क्षमता को प्रदर्शित करने वाला दुनिया का पहला देश बना था। तत्कालीन सोवियत संघ ने 1967 में कोसमोस 186 और कोसमोस 188 अंतरिक्ष यान को डॉक कर स्वचालित डॉकिंग का प्रदर्शन किया था। फिर चीन ने पहली बार 2011 में डॉकिेग क्षमता का प्रदर्शन किया, जब मानव रहित शेनझोउ 8 अंतरिक्षयान तियांगोंग 1 अंतरिक्ष लैब के साथ डाक किया गया। अब भारत ने इसमें सफलता प्राप्त की है।
इसरो की सफलताओं का अपना इतिहास है। इसरो के वैज्ञानिकों ने दुनिया भर में अपना लोहा एक नहीं, कई बार मनवाया है। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम भी इसरो के वैज्ञानिक ही थे। इसरो ने भारत को कई मिसाइलें विकसित करके दी  हैं और इसके माध्यम से भारत की न केवल साख दुनिया में बढ़ी है, अपितु हमारी युद्धक क्षमता में भी वृद्धि हुई है। हमें इस नई सफलता पर गर्व है। हमें गर्व है हमारे संस्थान पर और हमारे वैज्ञानिकों पर। जय भारत।
– संजय सक्सेना

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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