Edirorial: एक बैठक और महाराष्ट्र की चुनावी राजनीति
कारोबारी गौतम अडानी अचानक महाराष्ट्र की चुनावी राजनीति के केंद्र में आ गए हैं। हालांकि घटना पुरानी है, लेकिन महाराष्ट्र चुनाव के दौरान अचानक एक मुद्दे के रूप में शामिल होती दिखाई दे रही है। बाकी तमाम मुद्दे एक तरफ रह गये और इस बैठक पर चर्चा शुरू हो गई है। शुरुआत करने वाले भतीजे अजित पवार रहे और चाचा शरद पवार ने इसे स्वीकार भी कर लिया। लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि यह मामला चुनाव को कितना प्रभावित करेगा? या फिर, करेगा भी या नहीं?
एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने तीन साल पहले गौतम अडानी के घर हुई बैठक को लेकर बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि कैसे उनके कुछ सहयोगी बीजेपी में शामिल हो गए थे। उन्होंने दावा किया है कि उनके कुछ सहयोगियों को आश्वासन दिया गया था कि उनके खिलाफ चल रहे केंद्रीय एजेंसियों के मामले वापस ले लिए जाएंगे। एक न्यूज पोर्टल को दिए साक्षात्कार में शरद पवार ने बताया कि उनके सहयोगियों ने उनपर बीजेपी नेताओं से मिलकर यह ऑफर खुद सुनने का दबाव डाला था। इसके बाद ही पवार अमित शाह से मिलने गौतम अडानी के घर डिनर पर गए थे।
पवार ने यह भी बताया कि उनके कई सहयोगियों पर केंद्रीय एजेंसियों के केस चल रहे थे। इन सहयोगियों ने बताया कि उन्हें बीजेपी में शामिल होने पर केस वापस लेने का आश्वासन दिया गया था। पवार ने खुद इसपर यकीन नहीं जताया था, तो उनके सहयोगियों ने उनसे कहा कि कि घोड़े का मुंह देखकर ही दांत गिने जाते हैं। यही वजह थी कि पवार अमित शाह से मिलने अडानी के घर डिनर पर चले गए थे।
शरद पवार के अनुसार 2019 में बीजेपी के साथ हुई राजनैतिक बातचीत उद्योगपति गौतम अडानी के घर पर हुई थी। इस बैठक में मैं, अमित शाह, अजित पवार और गौतम अडानी मौजूद थे। हालांकि, शरद पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि अडानी ने सिर्फ डिनर होस्ट किया था और वह राजनैतिक चर्चा में शामिल नहीं थे। यह खुलासा उस समय हुआ जब अजित पवार ने दो दिन पहले दावा किया था कि 2019 में बीजेपी और अविभाजित एनसीपी के बीच हुई राजनैतिक बातचीत में गौतम अडानी भी शामिल थे।
अजित पवार ने कहा था कि यह बैठक दिल्ली में अडानी के घर पर हुई थी। इस बैठक में अमित शाह, गौतम अडानी, प्रफुल्ल पटेल, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और शरद पवार मौजूद थे। इसके बाद शरद पवार ने द न्यूज़ मिनट-न्यूज़लॉन्ड्री को दिए इंटरव्यू में कहा कि 2019 में महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर बीजेपी के साथ हुई बातचीत के दौरान वह खुद अडानी के घर पर डिनर में शामिल हुए थे।
पवार ने बताया कि उनके सहयोगियों से कहा गया कि अगर वे बीजेपी के साथ हाथ मिलाते हैं तो उनके मामले वापस हो जाएंगे। उन्होंने इस बात का विरोध किया क्योंकि उन्हें विश्वास नहीं था कि बीजेपी अपना वायदा निभाएगी। इससे पहले अजित पवार ने कहा था कि पांच साल हो गए हैं, सबको पता है कि बैठक कहां हुई थी। यह दिल्ली में एक व्यापारी के घर पर हुई थी, यह सभी जानते हैं। हां, पांच बैठकें हुई थीं… अमित शाह वहां थे, गौतम अडानी वहां थे, प्रफुल्ल पटेल वहां थे, देवेंद्र फडणवीस वहां थे, अजित पवार वहां थे, पवार साहेब वहां थे, सब वहां थे… सब कुछ तय हो गया था।
उन्होंने आगे कहा था कि इसका दोष मुझ पर आ गया और मैंने इसे स्वीकार कर लिया। मैंने दोष लिया और दूसरों को सुरक्षित कर दिया। जब उनसे पूछा गया कि शरद पवार बाद में क्यों हिचकिचाए और बीजेपी के साथ नहीं गए, तो अजित पवार ने कहा था कि उन्हें नहीं पता। पवार साहेब एक ऐसे नेता हैं जिनके मन को दुनिया में कोई नहीं पढ़ सकता। हमारी आंटी यानि शरद पवार की पत्नी प्रतिभा या हमारी सुप्रिया (सुले) भी नहीं।
कुल मिलाकर अब यह तो तय ही माना जा रहा है कि महाराष्ट्र की पूर्ववर्ती महाविकास अघाड़ी की सरकार गिराने के पहले एनसीपी के दो फाड़ कैसे हुए। इसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की प्रमुख भूमिका रही और बैठकें कारोबारी के यहां हुईं। अभी इसमें गृहमंत्री शाह या भाजपा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, और न ही कारोबारी अडानी की तरफ से। संभवत: कोई प्रतिक्रिया सामने आने वाली भी नहीं है। लेकिन इस बैठक की जानकारी का खुलासा करने वाले अजित पवार को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। कहीं न कहीं भारतीय जनता पार्टी इस खुलासे से नाराज हो सकती है।
इस बैठक के मुद्दे में कितनी सच्चाई है, यह भी अभी नहीं कहा जा सकता। लेकिन जिस तरह चाचा और भतीजे दोनों ने इस संबंध में जो जानकारी दी है, वह राजनीति के लिए बहुत अच्छी बात तो नहीं कही जा सकती। साथ ही राजनीति में कारोबारियों की भूमिका को लेकर भी जो आरोप लगाए जा रहे हैं, उन आरोपों की भी कहीं न कहीं ये घटना पुष्टि ही कर रही है। फिलहाल महाराष्ट्र में चुनावी दौर चल रहा है। अनुमानों की प्रामाणिकता तो लगभग समाप्त हो चुकी है। फिर भी, यह मामला चुनावी हवा को कुछ प्रभावित करेगा या नहीं, यह परिणाम आने के बाद ही पता चल पायेगा।
– संजय सक्सेना