Supreme court: ईडी याद रखें अनुच्छेद 21 भी कोई चीज है… सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी को अच्छे से समझा दिया

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को फटकार लगाई। कोर्ट ने जांच एजेंसी को कहा कि अनुच्छेद 21 देश में सभी के लिए है और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में जिस तरह से लोगों को परेशान किया जा रहा है, वो ठीक नहीं है। किसी भी आरोपी के साथ उसके मौलिक अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की पीठ ने पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को जल्दबाजी में समन और गिरफ्तार करने पर नाराजगी जताई।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनिल टुटेजा को तब ईडी ने बुलाया था जब वो भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के दफ्तर में पूछताछ के लिए मौजूद थे। ईडी ने उन्हें तुरंत पेश होने को कहा। जब टुटेजा तय समय पर हाजिर नहीं हुए तो ईडी ने कुछ घंटों बाद दूसरा समन भेज दिया। इससे पहले, ईडी ने हलफनामा दायर कर सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि छत्तीसगढ़ के नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले के आरोपी अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला उस हाईकोर्ट के जज के संपर्क में थे, जिन्होंने अक्टूबर 2019 में शुक्ला को जमानत दी थी। ईडी ने दावा किया था कि तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा दोनों और जज के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे थे।

यह जल्दबाजी क्यों? -सुप्रीम कोर्ट
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने गिरफ्तारी को गलत प्रक्रिया बताते हुए कहा कि टुटेजा को एसीबी अधिकारी ईडी कार्यालय ले गए, जहां पूरी रात पूछताछ की गई। हालांकि, ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने इन आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि टुटेजा अपनी मर्जी से पेश हुए थे। इस पर पीठ ने सवाल किया कि हमें दिखाइए कि वे अपनी इच्छा से कैसे आए? एसीबी अधिकारी उनके साथ ईडी क्यों गए? कृपया हमें यह प्रक्रिया समझाएं। वह एसीबी कार्यालय में हैं, जब ईडी दोपहर 12 बजे और फिर शाम 5.30 बजे समन जारी करता है। यह जल्दबाजी क्यों?

ईडी को ‘सुप्रीम डांट’
एसवी राजू ने दलील दी कि आरोप बहुत गंभीर हैं और ईडी ने टुटेजा को प्रताड़ित नहीं किया, बल्कि बस आने के लिए कहा था। पीठ ने कहा कि मामला अपराध की गंभीरता का नहीं बल्कि गिरफ्तारी के तरीके का है। पीठ ने ईडी को यह बताने का निर्देश दिया कि टुटेजा के खिलाफ किस समय समन जारी किए गए और किस समय उन्हें तामील किया गया। अदालत ने यह भी जानना चाहा कि ईडी को कैसे पता चला कि आरोपी एसीबी कार्यालय में है। पीठ ने कहा, कि अगर आपको पता था कि एसीबी कार्यालय में उनसे पूछताछ की जा रही है, तो 12:30 बजे का समय क्यों दिया गया? जब आप जानते थे कि एसीबी उनसे पूछताछ कर रही है, तो दो बार समन जारी करने की क्या जल्दी थी? आईपीसी में आतंकवाद या गंभीर अपराधों के मामलों में भी ऐसा नहीं होता है।

कोर्ट ने कहा कि वह इस तरह की हरकतों पर सख्ती से पेश आएगा और संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने अदालत को बताया कि एजेंसी ने पहले ही एक सर्कुलर जारी कर अपने अधिकारियों को अजीब समय पर पूछताछ नहीं करने को कहा है। इसके बाद अदालत ने उन्हें गिरफ्तारी के तरीके पर एक हलफनामा दायर करने को कहा।

कार्यवाही के अंत में, पीठ ने कहा कि जज भी इंसान होते हैं और वे हर दिन देखते हैं कि किस तरह से PMLA कानून का इस्तेमाल हो रहा है। यह टिप्पणी शायद सुप्रीम कोर्ट के उन हालिया फैसलों की ओर इशारा करती है जिनके जरिए मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी कानून के कुछ कड़े प्रावधानों को शिथिल किया गया है।

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