National Press Day: मीडिया पर संकट…! अपनी मूल भूमिका के आने की आवश्यकता…

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर भोपाल प्रेस क्लब द्वारा परिचर्चा आयोजित
भोपाल । देश में प्रेस के सामने चुनौतियों का पहाड़ अवश्य है, लेकिन इसे फतह भी करना होगा। आज प्रेस की विश्वसनीयता भी खतरे में है और इसकी बाकायदा साजिश की जा रही है। विश्वसनीयता के लिए भी कहीं न कहीं हम जिम्मेदार हैं। क्योंकि जो प्रेस समाज और राजनीति का दिशा दर्शन करता था, आज इस भूमिका में नहीं दिखता। 
आज राजधानी में  न्यू मार्केट स्थित इंडियन कॉफी हाउस में  राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर आयोजित परिचर्चा प्रेस के खतरों और चुनौतियों पर केंद्रित रही।परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार संजीव आचार्य ने कहा कि प्रेस को बदनाम करने की साजिश सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए मीडिया के लोग भी जिम्मेदार हैं। हमें मिलकर इसका विरोध करना होगा। वरिष्ठ पत्रकार अजय बोकिल का कहना था कि आज मीडिया के लिए  केवल सोशल मीडिया ही नहीं एआई भी बड़ी चुनौती है। मूल लेखन खोता जा रहा है। पढ़ने की आदत खत्म होती जा रही है, ये अखबार के लिए ज्यादा घातक है। अखबार पढ़ने वाली ये अंतिम पीढ़ी कह सकते हैं। वरिष्ठ पत्रकार अलीम बज्मी का कहना था कि एआई पर ज्यादा निर्भरता उचित नहीं। ये रिपोर्टिंग में मदद नहीं कर सकती। हमें अपनी स्किल खुद विकसित करके प्रेस की रक्षा करनी होगी।
वरिष्ठ पत्रकार सतीश सक्सेना ने पत्रकारों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया। प्रेस और पत्रकारों पर लगातार हमले हो रहे हैं। पहले प्रेस सुरक्षा अधिकारी हुआ करता था, अब ऐसी व्यवस्था नहीं है। और भी कई मुद्दे हैं, जो हम उठाते आए हैं और फिर सरकार से चर्चा करेंगे। प्रेस क्लब के अध्यक्ष संजय सक्सेना ने सभींक आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम तमाम मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। इसके लिए मीडिया संगठन यदि एकजुट नहीं हुए तो संकट और गहराना तय है।बाज जो खुद को सुरक्षित मान रहे हैं, नंबर उनका भी आएगा।
परिचर्चा में वरिष्ठ पत्रकार अरुण पटेल, नासिर हुसैन, ओपी श्रीवास्तव, विजय शर्मा, ए यू खान, प्रकाश सक्सेना, हाकम सिंह गुर्जर, मो परवेज, अलंकृत दुबे, दीनानाथ पटेल, ज्योति प्रकाश खरे प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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