Hawala: कटनी हवाला कांड का जिन्न बोतल के बाहर… अब ईडी के पाले में, क्या सही आरोपी आ पाएंगे गिरफ्त में ? पूर्व सीएम दिग्विजय ने भी उठाया मुद्दा
कटनी। 2016 में राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहा कटनी के हवाला कांड का जिन्न न्यायालयीन बोतल से बाहर निकल कर ईडी यानि प्रवर्तन निदेशालय कोर्ट के पाले में चला गया है। जिसने सफेदपोश नेताओं का रक्तचाप बढ़ा दिया है। इसमें कटनी के पूर्व मंत्री को अहम भूमिका बताई जाती है, जिन्होंने गरीब व्यक्तियों के खातों में हवाला की रकम जमा करवाई गई। इस मामले को लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने भी ट्वीट किया है और कहा है कि यदि सही से जांच की गई तो कई चेहरे बेनकाब होंगे।
मामले में मुख्य आरोपी सतीश सरावगी का सत्ताधारी नेता संजय पाठक के करीबी होने के चलता उनका नाम भी सुर्खियों में रहा है। ये वर्तमान में बड़े खनन कारोबारी हैं और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष से उनकी करीबियां चर्चा में हैं । वर्ष 2016 में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एक्सिस बैंक में खाता खोलते हुए करोड़ों रुपए का लेनदेन फर्जी तरीके से हुआ था। पीड़ित रजनीश तिवारी की शिकायत पर मानवेंद्र मिस्त्री, सतीश सरावगी, संदीप बर्मन, दस्सू पटेल, नरेश बर्मन, मनीष सरावगी सहित अन्य पर एफआइआर दर्ज की गई थी।
खबर है कि पुलिस की जांच से आर्थिक और राजनीतिक दबाव के चलते छोड़ दिए गये लोगों पर यदि ईडी ने नये सिरे से की तो जांच की आंच उन सफेदपोशों तक भी पहुंचेगी। देखना होगा कि इन सफेदपोशों के गिरेवान पर इंडी शिकंजा कस पाती है या फिर वह भी पुलिस की भांति आर्थिक और राजनीतिक दबाव के आगे झुककर मामले की लीपापोती करती है। मतलब इंडी की विश्वसनीयता भी दांव पर लगी रहेगी।
हवाला कांड का नित्र बाहर आने से लोगों के जहन में तत्कालीन पुलिस कप्तान गौरव तिवारी की याद ताजा हो गई है। जिसने नोटबंदी के बीच आयकर विभाग द्वारा 500 करोड़ रुपये से अधिक के हवाला कारोबारियों के रैकेट का भंडाफोड़ करने के बाद पुलिसिया कार्रवाई की थी। इस रैकेट के सरगना के रूप में सत्ता पार्टी से जुडे एक धनवली विधायक का हाथ होने की चर्चाएं आम हो चली थी। इस बात को बल तब मिला जब शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा पुलिस कप्तान गौरव तिवारी की पीठ थपथपाने के बजाय उसको चोरों की भांति रातों-रात ट्रांसफर कर छिंदवाड़ा पदस्थ कर दिया गया। कटनी जिले के इतिहास में पहली बार किसी पुलिस अधिकारी के ट्रांसफर को रुकवाने के लिए शहरवासी आक्रोशित होकर सड़कों पर उतर कर आन्दोलन करने सामने आये। पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी की लोकप्रियता के ग्राफ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिना किसी आव्हान के ऐतिहासिक शतप्रतिशत शहर बंद रहा। हवाला कांड में जिस सफेदपोश की संलिप्तता की चर्चा आम थी उस पर मोहर लगाने का काम खुद शिवराज सिंह चौहान सरकार ने शहरवासियों
की आवाज को अनसुना करके कर दिया। पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी के निर्देशन पर ही पुलिस ने गरीबों के नाम पर बोगस कंपनियां खोलकर किये गये करोड़ों रुपये के लेन देन को धोखाधड़ी (मनी लांडिंग) मानते हुए प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की थी। रजनीश नामक व्यक्ति ने बताया था कि उसने प्राइवेट जॉब के लिए निक्की डेविड के घर पर मानवेंद्र मिस्त्री को अपनी आईडी और दूसरे दस्तावेज दिये थे। जिनका दुरुपयोग किया गया है। आयकर विभाग द्वारा मिले नोटिस से विनय जैन नामक व्यक्ति को पता चला कि उसके नाम पर महादेव ट्रेडिंग नाम से एक फर्म खोली गई है जिसका बैंक अकाउंट एक्सिस बैंक में है और उसमें लाखों रुपयों का आना जाना हुआ है। विनय जैन की शिकायत पर 12 जुलाई 2016 को एफआईआर लिखी गई। उमादत्त हल्दकार की शिकायत पर 13 जुलाई 2016 और अमर दहायत की शिकायत पर 22 दिसम्बर 2016 को एफआईआर दर्ज की गई। अमर दहायत ने बताया था कि मेरी सहमति और जानकारी के बिना मेरे नाम पर अमर ट्रेडर्स नाम की फर्म बनाई गई है जिसका बैंक अकाउंट एक्सिस बैंक में खोलकर लाखों रुपयों का लेन देन किया गया है जबकि वह कोयला व्यापारी संतोष गर्ग के आफिस में काम करता है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इंदौर ने भी मनी लॉडिंग का अपराध पंजीबध्द करते हुए जांच के तहत मानवेंद्र मिस्त्री और सतीश सरावगी नामक व्यक्ति से पूछताछ की थी। प्रवर्तन निदेशालय ने जिला न्यायालय कटनी में आवेदन देकर इस मामले को प्रवर्तन निदेशालय की स्पेशल कोर्ट जबलपुर में ट्रांसफर करने का अनुरोध किया था जिसे जिला न्यायाधीश ने स्वीकार करते हुए मामला ईडी स्पेशल कोर्ट जबलपुर भेजते हुए आरोपी मोहम्मद यासीन (तात्कालिक अकाउंट अधिकारी एक्सिस बैंक), नरेश बर्मन (हाउसिंग बोर्ड कालोनी माधव नगर),
दस्सू पटेल (शास्त्री कालोनी), मानवेंद्र मिस्त्री (बालाजी नगर), संदीप बर्मन (शिवाजी नगर), नरेश पोद्दार, मनीष सरावगी, सतीश सरावगी (घंटाघर) को 23 दिसम्बर 2024 को ईडी कोर्ट जबलपुर में हाजिर होने का आदेश दिया है। कहा जाता है कि सतीश सरावगी की घनिष्ठता
कटनी निवासी सत्ताधारी पार्टी (भाजपा) के एक धनवली विधायक से है और वह उसके कारोबार को भी सम्हालता है इसी के चलते उस विधायक का नाम भी सुर्खियों में था मगर धन बल और राजनीतिक बल के चलते जांच एजेंसियों के हाथ उसके गिरेवान तक नहीं पहुंच सके थे। समय ने करवट ली और सत्तापार्टी (भाजपा) का मुखिया बदलते ही 8 साल से बोतल में बंद हवाला कांड का जिन्न बाहर आ गया है। जिस पर सडकों से लेकर चौपालों तक में चल रही बतकही से जिले के तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं पर गौर किया जाय तो उनमें दम दिखता है। धनकुबेर ने जिस तरह अपना और अपने पुत्र का जन्मदिन मनाने के लिए कटनी जिले से लेकर जबलपुर तक अकूत पैसा खर्च किया है। जिसकी चमक भोपाल से लेकर दिल्ली तक पहुंची है उसने सत्तापार्टी की आंखों को चौधया दिया है। इसी तरह इसी कुबेरपति ने अपनी जान को खतरा बताते हुए सत्तापार्टी की जिस तरह से किरकिरी कराई थी उसने भी भोपाल – दिल्ली में बैठे नेताओं के कान उमेठ दिये थे।
कांग्रेस परिवार में राजनीति का ककहरा पढ़ने के बाद अपनी व्यक्तिगत स्वार्थ पूर्ति को साधने के लिए धनकुबेर ने जिस तरीके से भाजपा का दामन था और जिस तरह से जिले की भाजपा और उसका पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहचान इस धनकुबेर से चिपक कर अपनी पहचान खोती जा रही है उसने भी भोपाल दिल्ली और नागपुर की नींद हराम कर
रखी है। इतना ही नहीं जिस तरह से धनकुबेर ने दो हिन्दुत्ववादी कथावाचकों के साथ गलबहियाँ डालकर अपने आभामंडल का विस्तार करना शुरू किया है उससे भी दोनों संगठनों के मुखियों की भौंहें तनी होना कहा जा रहा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि बोतल से जिन्न बाहर निकालने के पीछे धनकुबेर की काली छाया से पार्टी और संघ को मुक्त कराना भी है।
इस धनकुबेर पर अपने गुर्गों की मदद से एक पत्रकार का अपहरण कर उसके ऊपर किये गये जानलेवा हमले का मामला भी जबलपुर की विधायकों के मामले में विचार करने वाली अदालत में लंबित है। क्या उस पर न्यायलयीन कार्रवाई आगे बढ़गी ? पत्रकार ने एक कांग्रेसी द्वारा पत्रकार वार्ता में धनबली विधायक के ऊपर लगाये गये आरोपों को समाचार पत्र में छापकर पत्रकारिता धर्म का निर्वहन किया था। इतना ही नहीं तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय पत्रकार पर ही अनर्गल आरोप लगाने का काम किया था जो इस बात का जीता-जागता सबूत था कि पुलिस किस तरह से सफेदपोशों के आगे घुटनाटेक होती है। जिलेभर में इस बात को लेकर भी बतकही हो रही है कि क्या आने वाले समय में पटवारी से लेकर कलेक्टर और सिपाही से लेकर पुलिस अधीक्षक तक की पोस्टिंग अपने हिसाब से कराने वाले का आभामंडल मटियामेट हो जायेगा ?
फिलहाल मामला ईडी कोर्ट में पहुंच चुका है। देखना होगा कि ईडी के अधिकारी ईडी कोर्ट में आवेदन देकर मामले की नये सिरे से जांच करने की परमीशन लेते हैं या फिर वही पुलिसिया लकीर को पीटते हुए आगे बढ़ती है।