Hariyana – आप ने बदले पांच सीटों के नतीजे, वर्ना निर्दलीय बनते किंग मेकर

संजय चतुर्वेदी

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी आम आदमी पार्टी से गठबंधन चाहते थे लेकिन कांग्रेस की हरियाणा इकाई ने उनकी इस मंशा को पूरा नहीं होने दिया। नतीजा आम आदमी पार्टी भी हरियाणा के विधानसभा चुनाव में कूद पड़ी। हालांकि आप का प्रदर्शन बड़ा ही निराशाजनक रहा, सभी सीटों पर आप के उम्मीदवारों की जमानत जप्त हो गई, लेकिन 5 सीटों के परिणाम में जीत के अंतर से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को मिले वोट ज्यादा रहे। आप के उम्मीदवारों की वजह से पांच विधानसभा सीटों के नतीजों पर पड़ा प्रभाव, भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सहायक हो गया।
विधानसभा क्षेत्र वार चुनाव परिणामों के विश्लेषण से यह तथ्य सामने आया है कि आप के उम्मीदवारों ने पांच सीटों के परिणाम पर प्रभाव नहीं डाला होता तो भाजपा सरकार बनाने से एक कदम पीछे रह जाती। उदाहरण के तौर पर असान्ध विधानसभा सीट से भाजपा के योगेंद्र सिंह राणा कुल 2306 वोटो के अंतर से जीते, इस सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अमनदीप सिंह ने 4290 वोट हासिल किए। डबवाली से इंडियन नेशनल लोकदल के आदित्य देवीलाल चुनाव जीते हैं, वह भी मात्र 610 वोटो के अंतर से। बीजेपी इस सीट पर चौथे नंबर पर रही है, इस सीट पर आम आदमी पार्टी के कुलदीप सिंह ने 6606 वोट हासिल कर कांग्रेस का गणित बिगाड़ दिया। पुंडरी विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रत्याशी सतपाल जांबा 2197 वोटो के अंदर से जीते हैं दूसरे स्थान पर निर्दलीय उम्मीदवार सतवीर भान रहे, आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार नरेंद्र शर्मा ने 2571 वोट हासिल कर भाजपा की एक सीट बढ़ा दी। हरियाणा की रानियां विधानसभा सीट से इंडियन नेशनल लोकदल के अर्जुन चौटाला 4191 वोट से जीते इस सीट पर भी बीजेपी चौथे स्थान पर रही जबकि आम आदमी पार्टी के हरविंदर सिंह में 4697 वोट लेकर कांग्रेस की जीत रोक दी। इसी तरह उचाना कलां सीट पर भाजपा के देवेंद्र चतुर्भुज खत्री मात्र 32 वोट के अंतर से जीते, इस सीट से आप के उम्मीदवार पवन फौजी ने 2495 वोट हासिल कर कांग्रेस की उम्मीद पर पानी फेर दिया। आम आदमी पार्टी मैदान में नहीं होती या कांग्रेस के साथ गठबंधन में होती तो नतीजे भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का मौका नहीं देते। हरियाणा की पांच विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों ने नतीजा बदला है अगर यह स्थिति नहीं होती तो भाजपा के पास पूर्ण बहुमत से एक सीट कम रह जाती। कांग्रेस 41 सीट जीत पाती और इंडियन नेशनल लोकदल का खाता भी नहीं खुल पाता। तीन सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं, इनकी संख्या चार होती। यानि मामला 50-50 पर आकर ठहरा होता और किंग मेकर निर्दलीय बनते।

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