रायपुर। छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में हुए शराब घोटाले के तार झारखंड से जुड़े है। मामले की जांच कर रही EOW ने झारखंड के मुख्यमंत्री के पूर्व सचिव रहे आईएएस विनय कुमार चैबे और आबकारी के संयुक्त आयुक्त के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है। EOW में विनय कुमार चैबे के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र की साजिश रचने की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। छत्तीसगढ़ EOW में हुए एफआईआर के बाद झारखंड की राजनीति गरमा गयी है। बीजेपी ने इस एफआईआर के बाद सोरेन सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए उसे घेरने में जुट गयी है।
छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाला मामले में दर्ज हुए एफआईआर में EOW ने झारखंड सरकार में आईएएस विनय कुमार चौबे, उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह, छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा के अलावा झारखंड में शराब आपूर्ति, मैनपावर और होलोग्राम बनाने वाली कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया है। यह एफआईआर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धारा 420, 120 बी के तहत दर्ज की गई है। एफआईआर में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार के जरिए अवैध कमाई करने वाले सिंडिकेट से कथित तौर पर जुड़े रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा, अनवर ढबेर समेत अन्य ने झारखंड में भी कारोबार के लिए जनवरी 2022 में विनय कुमार चौबे समेत झारखंड के आबकारी अफसरों के साथ मिलकर शराब बिक्री का नियम बनवाया।
इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन के एमडी अरुणपति त्रिपाठी को झारखंड में कंसल्टेंट बनाया गया। त्रिपाठी को इसके एवज में झारखंड सरकार ने 1.25 करोड़ का भुगतान किया गया। एफआईआर में कहा गया है कि आईएएस विनय चौबे, गजेंद्र सिंह ने सिंडिकेट को लाभ दिलाने के लिए शराब सप्लाई एजेंसी और प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए निविदा शर्त में 100 करोड़ के टर्नओवर की शर्त डाली। FIR में इस बात का भी जिक्र है कि शराब सिंडिकेट की आपराधिक साजिश के कारण झारखंड सरकार को साल 2022-23 में राजस्व का भारी नुकसान हुआ। ACB छत्तीसगढ़ में शिकायत के बाद हुई शुरुआती जांच में पाया है कि नियम में फेरबदल कर शराब कंपनियों से करोड़ों का कमीशन लिया गया। एफआईआर में इस बात का भी जिक्र है कि पूर्व में जांच के दौरान सिद्धार्थ सिंघानिया नाम के कारोबारी के कब्जे से डायरी मिली थी। इस डायरी में छत्तीसगढ़ की तरह झारखंड में शराब कारोबार में कब्जे की योजना दर्ज थी।