नयी दिल्ली। आईएएस मोहिंदर के ठिकानों से काली कमाई का खजाना निकल रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह व हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (एचपीपीएल) के निदेशकों के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान अब 42.56 करोड़ रुपये के हीरे, जेवरात व नकदी जब्त करने के साथ ही बड़ी संख्या में संपत्तियों के दस्तावेज बरामद किए हैं।इसमें 85 लाख रुपये की नकदी शामिल है। कंपनी निदेशकों के छह बैंक लॉकरों की जानकारी भी मिली है।
मोहिंदर सिंह को मायावती सरकार का सबसे ताकतवर आईएएस अफसर माना जाता है। उनका रुतबा यह था कि वह गौतमबुद्धनगर की तीनों अथॉरिटी के एक साथ चेयरमैन रहे।जमीनों के आवंटन और विकास कार्यों के ठेकों की फाइल मोहिंदर सिंह के इशारे पर ही सरकती थी। उस समय रिश्वत के रेट हर किसी की जुबान पर थे।
कहा जाता है कि ये फिक्स रेट देने के बाद ही जमीन से लेकर टेंडर तक का आवंटन होता था। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सरदार मोहिंदर सिंह 14 दिसंबर 2010 से लेकर 20 मार्च 2012 तक नोएडा अथॉरिटी के सीईओ और चेयरमैन रहे।
वह यूपी कैडर के आईएएस हैं। मोहिंदर सिंह सुपरटेक ट्विन टावर मामले में दोषी ठहराए जा चुके हैं। विजिलेंस ने उनके खिलाफ केस दर्ज कराया है। बसपा सरकार में लखनऊ और नोएडा में महापुरुषों के नाम पर बने स्मारकों और पार्कों के निर्माण के नौ हजार करोड़ रुपये के घोटाले में भी इनका नाम आ चुका है।
बसपा सरकार में मोहिंदर सिंह की धाक हुआ करती थी, उन पर आरोप है कि नोएडा अथॉरिटी के ष्टश्वह्र रहते हुए बिल्डरों संग मिल कर 636 करोड़ का जमीन घोटाला किया था. लोटस प्रोजेक्ट के संचालकों के साथ उनकी अच्छी सांठ-गांठ थी, जिनके साथ मिलकर उन्होंने करोड़ों का वारा न्यारा किया, इस मामले में अब विजिलेंस भी एक्टिव हो गई है।