Cyber thugi: कानपुर से करोड़ों हड़पा, आठवीं फेल साइबर ठगी का बना उस्ताद… भोपाल से गिरफ्तारी

कानपुर। कानपुर में करोड़ों रुपए की ठगी करने वाले साइबर ठगों को गिरफ्तार किया गया है। ये साइबर ठग भोपाल से पकड़े गए हैं। व्हाट्सएप ग्रुप पर लोगों को जोड़कर टेलीग्राम में निवेश का झांसा देकर ये ठगी करते थे। पकड़े गए आरोपियों में तीन बैंक कर्मी भी शामिल हैं। वहीं, इस गैंग का सरगना जो पकड़ा गया है, वह आठवीं फेल है। पुलिस अब अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है। दरअसल, कानपुर कैंट निवासी सैन्य अधिकारी से 1.78 करोड़ रुपये की ठगी के मामले के बाद ठगी गिरोह पुलिस के निशाने पर आया। साइबर सेल टीम ने पूरे मामले को लेकर छापेमारी शुरू की। इसी क्रम में टीम को भोपाल में ठगों के होने की सूचना मिली। वहां छापा मार कर उन्हें गिरफ्तार किया गया।

शातिर साइबर ठगों को भोपाल से गिरफ्तार कर कानपुर लाया गया है। शेयर मार्केट और क्रिप्टो करेंसी में निवेश कर भारी मुनाफे का लालच देकर ये ठग देशभर में अपना ठगी नेटवर्क फैलाए हुए थे। पकड़े गए चारों ठगों के बारे में जानकारी आई है कि वे इंटरनेशनल लेवल पर ठगी गिरोह से जुड़े हुए हैं। पकड़े गए गिरोह का सरगना आठवीं फेल है। भारत में ठगी का कारोबार वही चलाता है। गैंग का पूरी तरह से संचालन चीन, दुबई और आर्मेनिया से होता है।

साइबर ठगों ने जून में कानपुर के कैंट निवासी सेना के अफसर विनोद कुमार के साथ 1.78 करोड़ रुपये की ठगी की थी। इसके बाद आरोपियों के खिलाफ पुलिस का एक्शन शुरू हुआ। साइबर ठगी मामले में आरोपियों के साथी चंद्रशेखर भुजाड़े को साइबर सेल की टीम ने एक महीने पहले गिरफ्तार किया था। साइबर सेल के इंस्पेक्टर सुनील वर्मा ने बताया कि जांच में चारों की सटीक लोकेशन मिलने पर टीम ने भोपाल में छापा मारा।चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर बी-वारंट पर ट्रांजिट रिमांड के जरिए कानपुर लाया गया। सभी को जेल भेज दिया गया है। गैंग के एक दर्जन गुर्गों की तलाश के लिए लगातार छापेमारी चल रही है।

ओबीसी जनकल्याण संघ समिति का जिला अध्यक्ष भोपाल निवासी रोहित सोनी के अलावा 12वीं पास होशंगाबाद निवासी बैंक में लोन रिकवरी एजेंट अक्षय गुरू, बीएससी पास एक बैंक में सेल्स रिप्रेजेंटेटिव मधुबनी, बिहार निवासी मनीष कुमार मंडल और एमबीए पास बैंक क्लर्क भोपाल निवासी मयंक मीणा को साइबर सेल ने गिरफ्तार किया है। मयंक के पिता सब इंस्पेक्टर हैं। रोहित ने इंटरनेट, यूट्यूब और दोस्तों से साइबर ठगी का तरीका सीखा। इसके बाद उसने तीनों साथियों को ठगी का तरीका सिखाया।

20 राज्यों में फैला था नेटवर्क
साइबर ठगी गिरोह भारत में भोपाल और नागपुर से पूरा गिरोह चलते हैं। यूपी में कानपुर के अलावा आगरा, लखनऊ, चंदौली, नोएडा, आंध्र प्रदेश, बिहार, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, केरल, कर्नाटक, मेघालय, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और पंजाब समेत कई राज्यों में ये साइबर ठगी की वारदात को अंजाम दे चुके हैं।

सइबर ठगों के खिलाफ अब तक 238 शिकायतें दर्ज की गई हैं। 500 से अधिक लोगों को उन्होंने ठगी का शिकार बनाया है। मुंबई पुलिस भी बी-वारंट के जरिए शातिर ठगों को कानपुर से मुंबई ले जाने की तैयारी में है। इसके बाद अन्य मामलों के खुलासे हो सकते हैं।

ठगी के जाल में ऐसे फंसाते थे
साइबर ठग आईएसटीसी एप के जरिए कानपुर में कई लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाया। 1000 रुपये का शेयर दिखाकर उसमें 400 से 500 फीसदी मुनाफा निर्धारित समय में होने का दावा करते थे। एप में वर्चुअल वॉलेट भी थी। इसमें मुनाफे की रकम दिखती थी, लेकिन उसे निकाल नहीं जा सकता था। ये ठग सोशल मीडिया से मोबाइल नंबर हासिल करने के बाद उसे अपने फर्जी ट्रेनिंग व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़ देते थे।व्हाट्सएप ग्रुप में गिरोह के सदस्य सक्रिय रहते थे। वे फर्जी मुनाफे का मैसेज ग्रुप पर पोस्ट किया करते थे। शुरुआत में पीड़ितों को थोड़े पैसे मुनाफे के नाम पर देते थे। उसके बाद लोग प्रभावित होकर निवेश शुरू कर देते थे। इसके बाद उन्हें टेलीग्राम ग्रुप से जोड़ दिया था जाता था। यहीं से भारी मुनाफे का लालच देकर ठगी का खेल खेला जाता था।

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