नई दिल्ली । इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव समान नागरिक संहिता के समर्थन में मुस्लिमों को लेकर की गईं अपनी टिप्पणियों की वजह से सुर्खियों में हैं। विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में दिए गए उनके भाषण के कुछ हिस्सों पर कई राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई। विपक्ष के कुछ सांसदों ने उन्हें हटाने के लिए संसद में नोटिस देकर महाभियोग की प्रक्रिया भी शुरू की है। सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने जस्टिस यादव को तलब कर कड़ी फटकार लगाते हुए चेतावनी दी है। इन सबके बीच, एक लीगल न्यूज वेबसाइट ‘लीफलेट’ ने दावा किया है कि सुप्रीम कोर्ट का जज रहते हुए पूर्व सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस यादव की नियुक्ति का कड़ा विरोध किया था।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन सीजेआई से दो टूक कहा था कि यादव हाई कोर्ट का ‘जज बनने लायक’ नहीं हैं। दूसरी तरफ, पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने भी एक अन्य लीगल न्यूज वेबसाइट लाइव लॉ से बातचीत में इस बात की पुष्टि की है कि हां, उन्होंने जस्टिस शेखर यादव को जज बनाए जाने का विरोध किया था।
पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने लाइव लॉ से बातचीत में कहा, ‘यह सच है कि मैंने शेखर यादव के साथ-साथ कई अन्य नामों का भी विरोध किया था जिसका कारण नेपोटिज्म, संबंधों और अन्य पूर्वाग्रहों से जुड़ा हुआ था।’ उन्होंने आगे कहा कि किसी जज का रिश्तेदार होना अपने आप ही अयोग्यता का कारण नहीं हैं। पूर्व सीजेआई ने कहा मौजूदा जजों को हमेशा ध्यान रखना चाहिए के वे क्या बोल रहे हैं, भले ही वे अदालत के अंदर हों या बाहर। उनके बयानों से ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए जिससे न्यायपालिका के बारे में ये धारणा बने कि वह पक्षपाती है।
तब सुप्रीम कोर्ट में जज थे चंद्रचूड़
आखिर पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने जस्टिस यादव की नियुक्ति का विरोध क्यों किया था? ‘द लीफलेट’ ने अपनी रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। चंद्रचूड़ ने यादव के आरएसएस से संबंध होने, अभी केंद्र में एक मंत्री जो तब बीजेपी से राज्यसभा सांसद थे, से उनकी करीबी और पर्याप्त अनुभव की कमी के आधार पर उनके जज बनाए जाने का विरोध किया था।
नाम पर मांगी थी जस्टिस चंद्रचूड़ की राय
‘लीफलेट’ ने सुप्रीम कोर्ट के डॉक्यूमेंट्स के विश्लेषण के आधार पर अपनी रिपोर्ट में ये दावा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस चंद्रचूड़ जब सुप्रीम कोर्ट के जज थे, तब 2018 में तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा ने उनसे तब वकालत कर रहे शेखर यादव की इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति को लेकर उनकी राय मांगी थी। दरअसल, 14 फरवरी 2018 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दिलीप बाबासाहेब भोसले की अगुआई वाले हाई कोर्ट कोलेजियम ने जज बनाए जाने के लिए 33 वकीलों के नाम को भेजा था। चूंकि जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट का जज बनने से पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके थे, इसलिए तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा ने इन नामों पर उनकी राय मांगी थी।
चंद्रचूड़ ने लिखा नोट- जज बनने लायक नहीं शेखर यादव
‘लीफलेट’ अपनी रिपोर्ट में आगे लिखता है कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने 13 अगस्त 2018 को तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा को खत लिखा। खत में उन्होंने यादव के कथित तौर पर अपर्याप्त अनुभव, उनके आरएसएस से संबंधों और तब बीजेपी के एक राज्यसभा सांसद जो अब केंद्र में मंत्री हैं, उनसे यादव की करीबी का जिक्र करते हुए कहा था कि वह जज बनने लायक नहीं हैं। चंद्रचूड़ ने यादव को लेकर अपने नोट के आखिर में लिखा, ‘वह हाई कोर्ट का जज नियुक्त किए जाने के लायक नहीं हैं।’