Bjp:  वसुंधरा राजे को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी मिलना तय…!

  नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री तथा केन्द्रीय मंत्री रही वसुंधरा राजे का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ रंगबिरंगे गुलदस्ते के साथ मुस्कुराता हुआ फोटो हाल ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा का एक बड़ा विषय रहा था। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के अगले महीने नए साल के जनवरी में होने वाले चुनाव से पहले दोनों नेताओं की इस मुलाकात के पीछे क्या मंतव्य छुपा है ? इसका पटाक्षेप आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन लग रहा है कि आने वाले वक्त में वसुंधरा राजे किसी नई भूमिका में दिखाई देंगी और उनको कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलना तय लग रहा है। कोई आश्चर्य नहीं होगा यदि भाजपा को वसुंधरा राजे के रुप में अपनी पहली राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष मिल जाए।
इसकी वजह साफ दिखाई दे रही है क्योंकि लंबे समय से हाशिए पर दिख रही वसुंधरा राजे को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दिनों अपनी जयपुर यात्रा के दौरान विशेष तव्वजों दी थी और अपने भाषण में भी उनके शासन काल का उल्लेख किया था। उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं वसुंधरा राजे से नई दिल्ली आकर उनसे मिलने के लिए आमन्त्रित किया था। इसके बाद नई दिल्ली में वसुंधरा राजे और प्रधानमंत्री मोदी की राजधानी नए संसद भवन में चर्चित मुलाकात हुई थी। एक लम्बे अर्से बाद दोनों नेताओं की इस अहम मुलाकात में दोनों की बॉडी लैंग्वेज ने कई नए संकेतों की ओर इशारा किया है। राजे और मोदी की मुलाकात के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा का केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के बाद अनायास राजे से उनके नई दिल्ली स्थित निवास पर जाना भी बहुत कुछ कहता है।
राजनीति की जानकारी रखने वाले इस तथ्य को जानते है कि भाजपा में वसुंधरा राजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी वरिष्ठ नेता रही है और अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल के उनके मंत्रिपरिषद की सदस्य थी। तब नरेन्द्र मोदी संगठन का काम करते थे। वसुंधरा पर लालकृष्ण आडवाणी और भैरोंसिंह शेखावत सहित अन्य सभी वरिष्ठ भाजपा नेताओं का वरद हस्त रहा है। ग्वालियर की राजमाता विजया राजे सिंधिया उनकी माता थी। राजमाता सिंधिया ने जिस प्रकार निस्वार्थ ढंग से आरएसएस,भारतीय जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में तन, मन और धन से जो योगदान दिया वह भी किसी से छुपा हुआ नहीं है। राजमाता साहिबा ने कभी कोई सरकारी पद नहीं लिया लेकिन जीवन पर्यन्त संगठन एवं पार्टी के लिए वे सदैव समर्पित रही। यही कारण है कि आज पार्टी एक छोटे से पौधे से वटवृक्ष बन सकी है। राजमाता के इस समर्पण को आरएसएस एवं पार्टी के नेता आज भी सम्मान की नजर से देखते है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सुषमा स्वराज और उमा भारती जैसी तेज तर्रार महिला नेताओं के बाद भाजपा को वर्तमान में एक भारी भरकम महिला नेता की भारी कमी महसूस हो रही है। संघ और भाजपा का मानना है कि वर्तमान परिस्थितियों में वसुन्धरा राजे इस कमी को पूरा करने में सक्षम दिखती है। उन्होंने राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश में पार्टी के जीत के जो रिकार्ड बनाए उनका कोई सानी नहीं है। उनका व्यक्तित्व सबसे हट कर है और वे आज भी सभी धर्म,वर्ग और समुदाय विशेष कर महिलाओं में विशेष आकर्षण का केन्द्र है। प्रधानमंत्री मोदी से हुई मुलाकात के बाद तरह तरह के कयास लगाए जा रहे है।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व वसुंधरा राजे की इस बात से बहुत प्रभावित हुआ कि पिछले काफी अर्से से उन्हें पार्टी की मुख्य धारा से अलग थलग किए जानेके बावजूद और पिछले विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बना केंद्रीय पर्यवेक्षक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में उनके हाथों ही भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाने की पर्ची निकलवाने के बाद भी उन्होंने अपनी शालीनता मर्यादा और पार्टी अनुशासन को बनाए रखा। पार्टी को उनकी बेजोड़ क्षमता का एहसास तब हुआ जब पिछले लोकसभा चुनाव में राजस्थान की 25 में से 11 सीटों पर भाजपा की करारी हार हुई जबकि इसके पहले लगातार दो बार वसुंधरा राजे के नेतृत्व में पार्टी प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटों पर चुनाव जीती थी।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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