ये तो अच्छी बात नहीं है कि हम भोपाली अपने शहर की शख्सियतों को भूल जाएँ

अलीम बजमी
कैफ भोपाली। भोपाल की ताजदार शख्सियत। उर्दू गजल का अलहदा चेहरा। फक्कड़ इंसान। मिजाज से दरवेश । फाकाकशी और गुरब्बत से नाता रहा लेकिन कभी मलाल नहीं किया। न ही जिंदगी से शिकवा रहा। नामवर शायर होने के बाद भी उनमें गुरूर नहीं था। हर उम्र के लोगों में जल्दी घुल मिल जाते। शायरी से मोहब्बत ऐसी कि आखिरी दम तक साथ नहीं छोड़ा। उनकी शायरी में थी तो सिर्फ मोहब्बत। उनके कलाम की खासियत यह थी कि गैर उर्दूदां भी बखूबी समझ लेता। कलाम पढ़ने का अंदाज भी उनका जुदा था। खिचड़ी बाल, सफेद कुर्ता-ढीला पजामा हमेशा पहनते।
जिंदगी का कुछ वक्त टोंक में भी गुजारा लेकिन भोपाल से उनका नाता नहीं टूटा। कई दोस्तों के इसरार के बावजूद वे मुंबई में नहीं टिके। उनके मुरीद भोपाल समेत देश-दुनिया में हैं। कैफ साहब की बरसी  24 जुलाई 1991को है।  इसी तारीख को कैफ साहब यानि ख्वाजा मोहम्मद इदरीस ने फानी दुनिया को अलविदा कहा था। अगर मैं गलत नहीं तो उनकी यौमे पैदाइश की तारीख 20 फरवरी 1917 हैं।
मुझे उम्मीद थी कि उर्दू अदब से रिश्ता रखने वाले कैफ साहब की यौमे पैदाइश पर कोई बड़ा जलसा या सेमिनार रखेंगे लेकिन अब तक शहर में कैफ साहब जैसी शख्सियत पर तबादला ख्याल का कोई सिलसिला दिखाई नहीं दिया।  कहीं से कोई सर्राहट नहीं होने पर अब मुझे यकीं हो चला है कि बड़े तालाब के पानी ने हमें ठस बना दिया। न कोई गम का वलवला और न कोई खुशी की महक। ऐसा लगता है कि भोपाल अब रिवायत को भूल रहा है। या भोपालियों में बुजुर्गों को खिराजे अकीदत पेश करने का कोई नया फन अख्तियार कर लिया हैं।
खैर, कैफ साहब जैसी शख्सियत हमेशा दिल में हैं। दिल की कद्रदानी में हैं। टूटती फिर जुड़ती सांसों में हैं। उनका कलाम नायाब था है और रहेगा। वैसे कई नामवर शायर हुए लेकिन कैफ साहब की शख्सियत सबसे अलग थी। उनकी शायरी पर जितना कहा जाए या समुंदर को स्याही बनाकर लिखा जाए मेरी निगाह में बहुत कम होगा।
कैफ साहब की फिल्म निर्माता-निर्देशक कमाल अमरोही से गहरी दोस्ती रही। इस दोस्ती का उन्होंने कभी बेजा फायदा नहीं लिया। न ही अपनी गुरब्बत को कमाल अमरोही पर बोझ बनने दिया। पाकीजा और रजिया सुल्तान के लिए उनके लिखे नगमे काफी मशहूर हुए। लेकिन उन्होंने कमाल अमरोही से मजबूत दोस्ती की खातिर कई बार फिल्मों में गीत लिखने के मिले ऑफर को ठुकरा दिया। वे फानी दुनिया को अलविदा कहने से पहले कुरान का तर्जुमा गजल के लहजे में कर रहे थे । लेकिन बीमारी ने उन्हें ऐसा घेरा कि उनका यह काम अधूरा रह गया।
उनके नवासे कमर साकिब ने सात साल पहले कैफ भोपाली जन्म शताब्दी समारोह शहर में मनाया था। यह काफी कामयाब जलसा था। इस जलसे में मुझे भी एजाज दिया गया था। चूंकि अवॉर्ड कैफ साहब के नाम पर था। मैंने उसे बहुत ही अदब और एहतेराम के साथ कुबूल किया था। कैफ साहब मेरे वालिद और खानदान से बखूबी वाकिफ थे। हमारे घर से उनका बहुत करीब का रिश्ता रहा।
मेरा मशवरा है कि कैफ साहब जैसी शख्सियत पर नगर सरकार, मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी और अन्य संस्थाओं को उनके व्यक्तिव और कृतित्व पर सेमिनार, वर्कशाप, क्विज जैसे प्रोग्राम भी करना चाहिए ताकि कैफ साहब की  शायरी और उनकी जिंदगी से जुड़े पहलुओं से लोगों को वाकिफ होने का मौका मिले।
वैसे उनकी साहबजादी बहन परवीन कैफ ने कैफ की शायरी को आम-खास तक पहुंचाने और खास तौर पर नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए काफी मशक्कत कर रही है। इसके लिए वे मुबारकबाद की मुस्तहक हैं।
कैफ साहब के कुछ अशआर
–कौन आएगा यहां कोई न आया होगा, मेरा दरवाजा हवाओं ने हिलाया होगा। गुल से लिपटी हुई तितली को गिराकर देखो, आंधियों तुमने दरख्तों को गिराया होगा।
–तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है, तेरे आगे चांद पुराना लगता है। आग का क्या है। पल दो पल में लगती, बुझते -बुझते एक जमाना लगता है।
— मैकदे बंद करें लाख जमाने वाले, शहर में कम नहीं आंखों से पिलाने वाले। बात दबने की नहीं और भी शक फैलेगा, मेरे खत फाड़ के चूल्हें में जलाने वाले।
–ये मिजाजे नाज को क्या हुआ उन्हें मुझसे प्यार है आजकल, मेरी जुस्तुजू, मेरी गुफ्तगू मेरा इंतजार है आजकल।
-तेरे खत निकाल के देखना, कभी चूमना, कभी सोचना यही सिलसिला, यही मशगला, यही कारोबार है आजकल।
फेसबुक वाल से साभार

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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