IAS Story: MBBS की डिग्री हासिल की, फिर IPS से बनीं IAS अफसर

IAS Story.. कहानी एक महिला ऑफिसर की है, जो अपने सपने को पूरा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी और अंतत: वह IAS बन गई. लेकिन यहां तक का उनका सफर काफी मुश्किलों भरा रहा है. वह कश्मीर घाटी में रहने के दौरान राजनीतिक अशांति, हड़ताल, कर्फ्यू और पत्थरबाजी जैसी समस्याओं का सामना किया. इन समस्याओं के बीच, उन्होंने शिक्षा के प्रति अपने समर्पण को बनाए रखा।

सीमित कोचिंग, अध्ययन सामग्री और समाचार पत्रों की अनुपलब्धता के बावजूद, उनकी मेहनत रंग लाई और वह 2015 में IAS ऑफिसर बन गए. हम जिनकी बात कर रहे हैं, उनका नाम डॉ. रुवेदा सलाम (IAS Dr Ruveda Salam) है।

IAS डॉ. रुवेदा सलाम कश्मीर के सीमावर्ती जिले कुपवाड़ा के छोटे से गांव फ़ार्किन से ताल्लुक रखते हैं. इस क्षेत्र की कठिन परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बावजूद, उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से एक ऐसी सफलता हासिल की, जो अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं. डॉ. रुवेदा के पिता ने उन्हें आत्मविश्वास और प्रेरणा दी, जबकि उनकी मां ने जल्दी शादी के प्रस्तावों को ठुकराकर उनके सपनों को प्राथमिकता दी. इस पारिवारिक सहयोग ने रुवेदा को उनकी मंजिल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।

मेडिकल से सिविल सेवा तक का सफर
श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ. रुवेदा (IAS Dr Ruveda Salam) ने वर्ष 2009 में एक डॉक्टर के रूप में अपना करियर शुरू किया. अपनी इंटर्नशिप के दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग (JKPSC) की परीक्षा दी और 25वीं रैंक प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने राज्य सिविल सेवा में शामिल होने के लिए मेडिकल फील्ड से इस्तीफा दे दिया।

IPS से बनीं IAS
वर्ष 2013 में डॉ. रुवेदा ने पहली बार यूपीएससी परीक्षा दी और सफलतापूर्वक IPS ऑफिसर बनीं. सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद में ट्रेनिंग के बाद उन्हें चेन्नई में असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर के रूप में तैनात किया गया. हालांकि आईपीएस बनने के बाद भी डॉ. रुवेदा का सपना अधूरा था. उन्होंने वर्ष 2015 में दोबारा यूपीएससी परीक्षा दी और उच्च रैंक प्राप्त करके आईएएस अधिकारी बनने का अपना सपना पूरा किया. उनके वैकल्पिक विषय लोक प्रशासन और समाजशास्त्र थे।

डॉ. रुवेदा सलाम (IAS Dr Ruveda Salam) ने यह साबित किया कि कठिन परिस्थितियां भी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकतीं. उनकी कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं. इस सफलता की कहानी हमें सिखाती है कि सही मार्गदर्शन, मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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