Health: विश्व हृदय दिवस, डॉ कोठारी और जिजीविषा

दुनिया के चुनिंदा ह्रदय विशेषज्ञों और संस्थाओं ने 1999 में निर्णय लिया कि दुनिया में हर साल लगभग एक करोड़ पचास लाख लोग ह्रदय की बीमारियों से मरते हैं इसलिये सितम्बर का आख़िरी रविवार हृदय के प्रति जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाये। तबसे ये सिलसिला चला आ रहा है। दुनिया के सभी डॉक्टर बताते हैं कि हृदय रोग पाँच कारणों से होते हैं-
           १. ओवरवेट
           २. कसरत का अभाव
           २. गलत जीवन शैली-तनाव
           ४. गलत खानपान
           ५. जन्मजात दोष-जेनेटिक्स
        • इस हफ्ते मेरे मित्र और ओबेदुल्लागंज के मूल निवासी श्री अनुराग के पिताश्री डॉ सुरेन्द्र प्रताप कोठारी का देहावसान 88 वर्ष की आयु में हुआ। वह 1967 बैच के एमबीबीएस थे।जब हम मित्र उनके निवास पर जाते थे तो मित्र से कम और डॉ साहब से अधिक बातें और गप्पबाजी होती थी। अब वह कारण जिसके लिये उनका  उनका पुण्य स्मरण कर रहा हूँ-
• आज से लगभग चार माह पहले उनको लिवर का कैंसर डायग्नोज हुआ था।
• इलाज की शर्ते उनने रखीं-
– कीमो थेरेपी नहीं करायेंगे।
– कोई सर्जरी नहीं होगी।
– कोई लिवर ट्रांस्प्लांट की चर्चा नहीं करेगा।
– वेंटीलेटर पर नहीं रखा जाएगा।
         गजब बात ये कि डॉ साहब अंतिम दिन तक सक्रिय थे और बाहर से अखबार और दूध उठाकर लाते थे। अंतिम दिन जब तक एम्बुलेंस आती उन्होंने मुनिश्री मानतुंगाचार्य विरचित भक्ताम्बर सुनते हुए प्राण त्यागे। मुझे यह आदर्श कायांतरण लगा इसलिये चर्चा की।
• लिवर का ह्रदय से कितना समीप का रिश्ता है इसे जानने के लिये डॉ सरीन की know your body पढ़िये या यू ट्यूब पर देखिए।
• स्वस्थ रहने का बेसिक फार्मूला है कि अस्सी प्रतिशत खानपान पर नियंत्रण रखिये और बीस प्रतिशत एक्सरसाइज पर भरोसा करिये। फिटनेस में कार्डिओ और स्ट्रेंथ दोनों का समावेश करिये। जॉगिंग कार्डिओ है और दंड-बैठक या डम्बल स्ट्रेंथ।
• एक्सरसाइज करने पर एक गुड फीलिंग हॉर्मोन एण्डोरफिन निकलता है जो मूड को सुधार देता है। मूड को सुधारने के लिये लोगों से मिलना जुलना भी जरूरी है जिसे आजकल सोशियोलाइजिंग कहते हैं।इसीलिये साथ में तुर्किये की अभिनेत्री हनबे अर्सेल का फोटो है जो दुनिया के दस सुंदर चेहरों में से एक है।

कोई चला तो किसलिये नजर तू डबडबा गई।
सिंगार क्यों सहम गया बहार क्यों लजा गई।
न जन्म कुछ न मृत्यु कुछ बस सिर्फ़ इतनी बात है
किसी की आँख लग गई किसी को नींद आ गई।
-नीरज

सुदेश वाघमारे

फेसबुक की वाल से साभार…

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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