टीका माथे पर क्यों लगाया जाता है? क्या इसका कोई वैज्ञानिक आधार है

हिंदुओं के ज्यादातर धार्मिक संस्कारों में माथे पर तिलक या टीका लगाने की परंपरा है. पूजा-पाठ, विवाह, जनेऊ, तिलकोत्सव या अन्य किसी भी आयोजन में माथे पर तिलक लगाया जाता है. तिलक लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. लेकिन आप नहीं जानते होंगे कि माथे पर तिलक लगाने का धार्मिक के अलावा सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व भी है. साथ ही तिलक लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मन शांत रहता है.

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
माथे पर तिलक ईश्वर के प्रति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है. इसे माथे पर लगाकर व्यक्ति यह दिखाता है कि वह ईश्वर को अपने जीवन में सर्वोच्च स्थान देता है. तिलक को शुभता का प्रतीक भी माना जाता है. किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले माथे पर तिलक लगाया जाता है. तिलक विभिन्न समुदायों और संप्रदायों की पहचान का प्रतीक भी होता है.

क्यों माथे पर लगाया जाता है तिलक
तिलक हमेशा मस्तिष्क के केंद्र पर लगाया जाता है. तिलक को मस्तिक के केंद्र पर लगाने पीछे वजह ये है कि हमारे शरीर में सात छोटे ऊर्जा केंद्र होते हैं. तिलक को मस्तिष्क के केंद्र में इसीलिए लगाया जाता है क्योंकि हमारे मस्तिष्क के बीच में आज्ञाचक्र होता है. जिसे गुरुचक्र भी कहते हैं. ये जगह मानव शरीर का केंद्र स्थान है. यह स्थान एकाग्रता और ज्ञान से परिपूर्ण है. गुरुचक्र को बृहस्पति ग्रह का केंद्र माना जाता है. बृहस्पति सभी देवों के गुरु हैं. इसीलिए इसे गुरुचक्र कहा जाता है.

क्या है इसका वैज्ञानिक महत्व
माथे के बीच में तिलक लगाने से एकाग्रता बढ़ती है. यह स्थान आज्ञा चक्र का केंद्र होता है, जो एकाग्रता और ध्यान के लिए महत्वपूर्ण है.तिलक लगाने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. तिलक लगाने से तनाव कम होता है और मन शांत रहता है.

आज्ञा चक्र: माथे के बीच में, जहां तिलक लगाया जाता है, वहां आज्ञा चक्र होता है. यह चक्र एकाग्रता और स्मरण शक्ति से जुड़ा होता है. तिलक लगाने से इस चक्र को उत्तेजना मिलती है, जिससे एकाग्रता और स्मरण शक्ति में सुधार होता है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि तिलक लगाने के वैज्ञानिक लाभों पर अभी भी शोध चल रहा है.

पीनियल ग्रंथि: आज्ञा चक्र पीनियल ग्रंथि से भी जुड़ा होता है. यह ग्रंथि मेलाटोनिन नामक हार्मोन का उत्पादन करती है, जो नींद और तनाव को नियंत्रित करने में मदद करता है. तिलक लगाने से पीनियल ग्रंथि को उत्तेजना मिलती है, जिससे मेलाटोनिन का उत्पादन बढ़ता है और नींद में सुधार होता है.

सकारात्मक ऊर्जा: कुछ लोगों का मानना है कि तिलक लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. यह सकारात्मक ऊर्जा तनाव को कम करने और मन को शांत करने में मदद कर सकती है.

तिलक लगाने के नियम
तिलक हमेशा स्नान करने के बाद लगाना चाहिए. तिलक लगाने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें. तिलक हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके लगाना चाहिए. तिलक लगाते समय मंत्रों का जाप करना चाहिए.

किस उंगुली से लगाना चाहिए तिलक
तिलक हमेशा अनामिका उंगली से लगाया जाता है. अनामिका उंगली सूर्य की प्रतीक होती है. अनामिका उंगली से तिलक लगवाने वाला व्यक्ति तेजस्वी होता है और उसे प्रतिष्ठा मिलती है. साथ ही मान-सम्मान के लिए अंगुष्ठ यानी अंगूठे से तिलक लगया जाता है. अंगुष्ठ से तिलक लगाने से ज्ञान और आभूषण की प्राप्ति होती है. विजय प्राप्ति के लिए तर्जनी उंगली से तिलक लगाया जाता है.

कितने प्रकार के तिलक
चंदन का तिलक
कुमकुम का तिलक
हल्दी का तिलक
केसर का तिलक
भस्म का तिलक

रंग के हिसाब से उनका प्रभाव
हम सभी ने देखा होगा कि टीके भी अलग-अलग रंग के होते हैं. चाहें उसका रंग कोई भी हो, सभी तिलक में ऊर्जा होती है. लेकिन सफेद रंग यानी चंदन के तिलक को शीतलता प्रदान करने वाला, लाल रंग के तिलक को ऊर्जा देने वाला और पीले रंग के तिलक को प्रसन्नचित रहने के लिए लगाया जाता है. वहीं शिव भक्त भभूति यानी काले रंग का तिलक भी लगाते हैं. जो व्यक्ति के मोहमाया से दूर रहने का सूचक है.  

टीके में हैं औषधीय गुण
महाकुंभ जैसे आयोजनों में लोग अक्सर ठंडे पानी में स्नान करते हैं. माथे पर चंदन या भस्म का लेप लगाने से शरीर को ठंड से सुरक्षा मिलती है. माथे का क्षेत्र संवेदनशील होता है, और इस पर टीका लगाने से धूल, धूप और अन्य बाहरी तत्वों से सुरक्षा मिलती है. भस्म, चंदन या हल्दी से बने टीके में एंटीसेप्टिक और औषधीय गुण होते हैं, जो त्वचा की रक्षा करते हैं. वैसे तिलक लगाने का महत्व व्यक्ति की श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है.

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