बिहार के इस सूर्य मंदिर से क्या है छठ पूजा का कनेक्शन, यहां पहुंचते हैं 10 लाख श्रृद्धालु

जिले के विश्व प्रसिद्ध देव सूर्य मंदिर में छठ करने लाखों की संख्या में छठ व्रती पहुंचते हैं. इस दौरान भगवान सूर्य के त्रिमूर्ति स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है. भगवान सूर्य का ये त्रिमूर्ति मंदिर पूरे विश्व में सिर्फ़ एक ही है. इस मंदिर की ख्याति से देश भर के कोने कोने से लोग चार दिवसीय महापर्व छठ व्रत को करने के लिए आते हैं.

तीन स्वरूप में भगवान सूर्य
इस मंदिर के मुख्य पुजारी ने बताया कि देव सूर्य मंदिर में भगवान सूर्य पालनकर्ता, संहारकर्ता और सृष्टि कर्ता के रूप में विराजमान हैं. वहीं इस स्थान पर सबसे पहले देवताओं की माता अदिति ने रात भर का उपवास कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया था जिसके बाद से इस स्थान पर छठ महापर्व करने का महात्म बढ़ गया. भगवान सूर्य के तीनों स्वरूप जिसमें ब्रह्म मुहूर्त में भगवान सूर्य ब्रह्म का रूप धारण कर लेते हैं वहीं सायं काल में सूर्य महेश्वर यानी शिव का स्वरूप धारण कर लेते हैं वहीं सूर्यास्त के समय पालनकर्ता भगवान विष्णु के अवतार में रहते हैं.

पालनकर्ता, संहारकर्ता और सृष्टि कर्ता सूर्य
भगवान सूर्य की त्रिमूर्ति स्वरूप विश्व में एकमात्र मंदिर होने के कारण यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु छठ महापर्व करने आते हैं. इस मंदिर के मुख्य पुजारी राजेश पाठक ने बताया कि इस मंदिर में पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति हैं. भगवान सूर्य की यह त्रिमूर्ति स्वरूप प्रतिमा देव में स्थित सूर्यकुण्ड से प्राप्त हुई थी. ऐसी मान्यता हैं कि इस प्रदेश के राजा इला के पुत्र एल को कुष्ठ रोग हो गया था.

तालाब में नहाने से कुष्ठ रोग से निवारण
महराज के पुरोहितों ने सलाह दिया कि देव में स्थित सूर्यकुण्ड में स्नान कीजिए तो आपके रोग दूर हो जाएंगे. राजा एल ने देव में भगवान सूर्य की वाले विधिवत पूजन अर्चना कर इस सूर्यकुण्ड तालाब के पानी को पिया जिसके बाद उनके कुष्ठ रोग दूर हो गया. इस दौरान राजा एल को भगवान सूर्य की त्रिमूर्ति स्वरूप प्रतिमा उसी सूर्यकुण्ड तालाब से प्राप्त हुई थी, जिसके बाद उसे मुख्य मंदिर में स्थापित किया गया. तब से ऐसी मान्यता है कि भगवान सूर्य के इस कुंड में स्नान करने से कुष्ठ रोग के मिट जाते हैं.

10 लाख से अधिक श्रद्धालु
ऐसी ही मान्यता के कारण देव सूर्य मंदिर में छठ महापर्व करने हर साल 10 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं. जिसे लेकर चार दिवसीय छठ मेले का आयोजन भी किया जाता हैं. प्रशासन के तरफ से पिछले 2 महीने से कार्तिक छठ महापर्व की तैयारी की जाती हैं. वहीं इस अवसर पर बिहार सरकार के कई मंत्री और आलाधिकारी मौजूद रहते है.

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