ब्यूरोक्रेट्स के नहीं होंगे बार-बार तबादले

भोपाल । मप्र में सरकार मंत्रालय से लेकर फील्ड तक ब्यूरोक्रेट्स की पदस्थापना को लेकर नए फॉर्मूले पर काम कर रही है। इस फॉर्मूले के तहत सरकार आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों को एक स्थान पर कम से कम दो साल पदस्थ रखना चाहती है। यानी अब सरकार ब्यूरोक्रेट्स को काम करने का पूरा मौका देना चाहती है। सरकार यह इसलिए कर रही है ताकि ब्यूरोक्रेट्स अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन कर सकें।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार का पूरा फोकस सुशासन और विकास पर है। ऐसे में सरकार की कोशिश है कि विभाग या फील्ड में पदस्थ अफसरों को पूरा मौका दिया जाए, ताकि वह सरकार की मंशानुसार रणनीति बनाकर काम कर सकें। नए फॉर्मूले के तहत सरकार ने तय किया है कि बिना गंभीर कारण 2 साल से पहले आईएएस-आईपीएस और आईएफएस को नहीं बदला जाएगा।  अमूमन किसी भी अफसर को उसकी पोस्टिंग से दो से तीन साल का समय काम करने के लिए दिया जाता है। लेकिन उसके परफारमेंस और व्यवहार के चलते उसे बीच में ही हटना होता होता है, है, इसकी वजह साफ है। कि वे जो जिम्मेदारी दी गई है, उसका निर्वहन पूर्ण ईमानदारी के साथ नहीं कर पाते हैं। साथ ही जनप्रतिनिधियों के साथ तालमेल न बैठाते हुए उनसे विवाद की स्थिति निर्मित कर लेते हैं। इन हालातों में प्रदेश सरकार के द्वारा किए जा रहे कामों को जमीनी स्तर पर पहुंचाने में समस्याओं का सामना करना होता है, साथ ही विकास कार्य भी बाधित होते हैं। ऐसे कई उदाहरण सामने है जब अपने मातहतों और जनप्रतिनिधियों से पटरी नहीं बैठने पर कलेक्टर, पुलिस अधीक्षकों को तीन से छह महीने में हटा दिया जाता है।

नई जमावट की अंतिम तैयारी
इस साल में मोहन सरकार प्रशासनिक फेरबदल करेगी। अफसरों का परफॉर्मेंस नई जिम्मेदारी का आधार होगा। इसके अलावा कई वरिष्ठ अधिकारियों की सेवानिवृति से खाली पदों नई जमावट होगी। लिहाजा सरकार ने अपनी कवायद शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने बीते दिनों संकेत दिए थे कि अधिकारियों की कार्यप्रणाली और कार्यक्षमता नई जिम्मेदारियां का आधार होगी। सीनियर आईएएस अफसर को छोडक़र जिलों की कमान संभाले कलेक्टर, नगर निगम और मंत्रालय में पदस्थ आईएएस अफसर की परफॉर्मेंस रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है। प्रशासनिक सर्जरी को लेकर जो कवायद चल रही है और सरकार ने जो नई व्यवस्था बनाई उसके मुताबिक कलेक्टर, पुलिस अधीक्षकों की ट्रांसफर सूची छोटी होगी। जानकारी के मुताबिक इस सूची में प्रदेश के पांच जिलों के कलेक्टर आएंगे जिनकी तैनाती को तीन साल होने आए हैं। साथ ही वे कलेक्टर होंगे जो सचिव पद पर पदोन्नत हो गए हैं। इसके अलावा मंत्रालय स्तर पर विभागों से वे लोग बदले जाएंगे जो पांच-पांच साल से जमे हुए हैं। उधर, पुलिस महकमे में उन पुलिस कप्तानों को बदला जाएगा जो डीआइजी पद पर पदोन्नत हो गए हैं और पुलिस अधीक्षक के रूप में जिनकी पदस्थापना को तीन साल पूरे होने को आए हैं। कुल मिलाकर ऐसे अधिकारियों की संख्या बहुत अधिक नहीं हैं। संभावित सूची में कलेक्टरों के 12 से 15 नाम होंगे। वहीं 8 से 10 पुलिस अधीक्षक बदले जा सकते हैं। यह सूची 26 जनवरी के बाद आ सकती है। बताया जा रहा है कि फरवरी तक सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश जारी होंगे। हालांकि मोहन सरकार अब तक के कार्यकाल में अधिकारियों को जिम्मेदारी पहले अनुभव फिर कार्यक्षमता के साथ कार्य दक्षता के आधार पर दी गई।

 योग्यता दिखाने का पूरा मौका
एक बात तो तय है कि डॉ. मोहन यादव की सरकार ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं है। साथ ही अभी तक का जो रुझान देखने को मिला है, उसके मुताबिक जो अधिकारी जहां हैं उससे वहीं बेहतर काम लिया जाए, इस पर सरकार का फोकस है। इस दिशा में सरकार ने एक अच्छा कदम उठाते हुए यह तय किया है कि अब जिलों से लेकर मंत्रालय तक आईएएस-आईपीएस सहित अन्य अधिकारियों के बार-बार तबादले न किए जाएं और उन्हें कम से कम एक स्थान पर दो साल का समय दिया जाए। प्रदेश में इन दिनों जिलों से लेकर राजधानी तक और राजधानी से लेकर जिलों तक सिर्फ एक ही बात है कि कलेक्टर-एसपी और मंत्रालय में पदस्थ बड़े अधिकारियों की ट्रांसफर लिस्ट कब आ रही है। जितनी छटपटाहट और घबराहट मैदानी अमले में है, उतना ही सुकून और शांति मुख्यमंत्री कार्यालय और मुख्य सचिव कार्यालय में है। डॉ. मोहन यादव की सरकार को कलेक्टर-एसपी, आईजी-संभागायुक्त और मंत्रालय में पदस्थ अफसरों को बदलने की कोई जल्दी नहीं है। बल्कि जो जहां पर है, उससे वहीं पर बेहतर काम लेने के लिए जिम्मेदारों को प्रेरित किया जाता रहा है।

एक पोस्टिंग पर कम से कम दो साल का समय
सूत्रों का कहना है कि सरकार ने यह तय कर लिया है कि किसी भी अफसर को चाहे वह कलेक्टर हो, एसपी हो या राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हों, मंत्रालय में पदस्थ एसीएस हों, पीएस हों या विभागाध्यक्ष हों, उन्हें काम करने का बेहतर मौका देते हुए कम से कम एक पोस्टिंग पर दो साल का समय दिया जाए ताकि वे बेहतर परफारमेंस दे सकें और सरकार उनकी योग्यता का बेहतर उपयोग कर जनता की सेवा कर सके। मंत्रियों से पटरी नहीं बैठना और काम में बेवजह अड़ंगा लगाने के चलते विभाग के एसीएस-पीएस और विभागाध्यक्षों को हटना होता है, यही वजह है कि कई अफसरों को काम शुरू करते ही ट्रांसफर झेलना पड़ता है। अब ऐसे हालातों में समन्वय की व्यवस्था की जा रही है ताकि विवाद की स्थिति न बने।

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