महाकुंभ 2025 में सनातन धर्म की रक्षा के लिए प्रस्तावित सनातन बोर्ड, धर्म संसद में होगी चर्चा

प्रयागराज। वक्फ बोर्ड की भांति संत समाज लंबे समय से सनातन बोर्ड का गठन करने की मांग उठा रहा है। इसका प्रारूप तैयार कर लिया गया है। महाकुंभ में अखिल भारतीय सनातन परिषद इसको लेकर धर्म संसद का आयोजन करेगा। उसमें चारों पीठ के शंकराचार्य, 13 अखाड़ों सहित प्रमुख संतों को आमंत्रित किया जाएगा। सनातन बोर्ड पर सबकी राय मांगी जाएगी। सामूहिक राय के आधार पर उसे अंतिम रूप देकर प्रस्ताव पास किया जाएगा। फिर प्रस्ताव को केंद्र व समस्त प्रदेशों की सरकार को भेजकर कर कार्रवाई की मांग की जाएगी। इसको लेकर शुक्रवार को महाकुंभ मेला क्षेत्र में संतों ने मंत्रणा की।

आनंद अखाड़ा के आचार्य ने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए सनातन बोर्ड का गठन आवश्यक है। सनातन बोर्ड का काम किसी की संपत्ति पर कब्जा करना नहीं है, बल्कि मठ-मंदिरों व सनातन धर्मावलंबियों की सुरक्षा है। जो मठ-मंदिर कब्जा किए गए हैं अथवा ध्वस्त कर दिया गया है उसे कानूनी रूप से वापस लेने की लड़ाई लड़ी जाएगी। मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया जाएगा।

बोर्ड के प्रारूप को उन्होंने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने सौंपा। श्रीमहंत ने कहा कि धर्म संसद में प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद सनातन बोर्ड के गठन को लेकर आवाज निरंतर तेज होगी। देशभर में जनजागरण करने के साथ हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। उसे प्रधानमंत्री व समस्त प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को भेजा जाएगा। इस दौरान बड़ा अखाड़ा निर्वाण के मुखिया महंत, महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर आदि मौजूद रहे।

यह है प्रारूप:-

केंद्र सरकार की ओर से सनातन बोर्ड को संवैधानिक मान्यता दी जाय।
सनातन बोर्ड के अध्यक्ष अखाड़ा परिषद के पदेन अध्यक्ष बनाए जाएं।
बोर्ड में 13 अखाड़ों के प्रमुख संतों को शामिल किया जाय।
बोर्ड में सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति, वरिष्ठ अधिवक्ता, धर्माचार्य शामिल किए जाएं।
बोर्ड जिला स्तर पर मठ-मंदिरों का सर्वे करके उसकी स्थिति देखेगा।
कब्जा हुए मठ-मंदिरों को छुड़ाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी।
मतांतरण रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जाएगा।
गरीब सनातन धर्मावलंबियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा जाएगा।
धार्मिक गतिविधियां बढ़ाई जाएंगी।
संस्कृत भाषा, वेद-पुराणों के संरक्षण को गुरुकुल परंपरा को बढ़ावा दिया जाएगा।

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