Nursing ghotala: ‘गुलकंद’ और ‘अचार के डिब्बे’ यानी रिश्वत… ‘माता का प्रसाद’ यानि रिश्वत की।पुष्टि.. रिश्वत के लेन देन के लिए कोड वर्ड.. असल रिश्वतखोर वाली चार्जशीट लापता..!

भोपाल। ‘गुलकंद’ यानि रिश्वत और रिश्वत की रकम यानि ‘अचार के डिब्बे’  एक अचार का डिब्बा मतलब 1 लाख रुपए।‘माता का प्रसाद’ यानि रिश्वत की रकम मिलने की पुष्टि। नर्सिंग घोटाले में होता था इन कोड वर्ड का इस्तेमाल। सीबीआई की चार्जशीट में इसका उल्लेख है। लेकिन ये तब की रिश्वत का मामला है, जब सीबीआई पहली बार जांच कर रही थी। जब एमपी सरकार में बैठे लोगों ने रिश्वत ली, वो वाला अध्याय तो गायब जैसा लग रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे मूल रूप से फर्जी नर्सिंग कॉलेज को मान्यता देने वाले मास्टर माइंड और नेताओं को बचाया जा रहा है। इसमें तत्कालीन मंत्री की भूमिका का भी कोई उल्लेख नहीं आ रहा, जबकि सूत्र बताते हैं कि मंत्री की अहम भूमिका रही।

बेहद चर्चित मामले की जांच पूरी कर सीबीआई ने 16 जुलाई को भोपाल की विशेष कोर्ट में 6630 पेज की चार्जशीट पेश की है। इसमें 14 आरोपी बनाए हैं। दैनिक भास्कर के पास ये चार्जशीट है। सीबीआई ने इस चार्जशीट में बताया है कि किस तरह से नर्सिंग कॉलेजों को सूटेबल बताने के लिए रिश्वत का ये खेल खेला गया। कौन से कॉलेजों ने सीबीआई अफसरों को रिश्वत दी। आखिरकार ये कैसे पकड़े गए।

सीबीआई चार्जशीट में बताया गया है कि राहुल राज ने बातचीत के लिए सभी को कोड वर्ड दिए थे। वह सीबीआई ऑफिसर होने के कारण जानता था कि उसका मोबाइल इंटरसेप्ट किया जा सकता है। रिश्वत की रकम तैयार रखने के लिए आरोपी अचार का डिब्बा कोड वर्ड का इस्तेमाल करते थे। 10 किलो अचार का मतलब 10 लाख रु. था।

चार्जशीट के मुताबिक ओम गिरी गोस्वामी और जुगल किशोर शर्मा ही नर्सिंग कॉलेजों से रिश्वत की रकम इकट्ठा करते थे। रिश्वत की रकम को घर पहुंचाने के लिए इंस्पेक्टर राहुल राज ने अपने बचपन के मित्र धर्मपाल को भी शामिल किया था। वो ये रकम राहुल राज के घर श्रीगंगानगर राजस्थान पहुंचा देता था।

सीबीआई इंस्पेक्टर ऋषि असाटी अपनी पत्नी सरिता असाटी उर्फ सरिता गुप्ता उर्फ मीरा के माध्यम से नर्सिंग कॉलेजों से रिश्वत की रकम लेता था। सरिता की मित्रता इंदौर के मोहम्मद तनवीर खान से है। तनवीर के साथ ही वह उनके ड्राइवर वेद प्रकाश शर्मा के संपर्क में रहती थी।
भोपाल सीबीआई ने नर्सिंग कॉलेजों की जांच के लिए 7 कोर टीम और चार सपोर्टिंग टीम बनाई थीं। इस टीम में सीबीआई के अलावा इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) का नॉमिनेटेड स्टाफ, मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल (एमपीएनआरसी) के कर्मचारी और पटवारियों को शामिल किया था।
कोर्ट ने सीबीआई को 364 नर्सिंग कॉलेजों की जांच के निर्देश दिए थे। सीबीआई ने 308 कॉलेजों की जांच की। इनमें 169 कॉलेजों को सूटेबल, 73 कॉलेजों में सुधार की गुंजाइश और 66 कॉलेजों को अनसूटेबल की कैटेगरी में रखा था। इस रिपोर्ट के बाद हाईकोर्ट ने 66 अनसूटेबल कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी।

इसी बीच CBI की विजिलेंस टीम को शिकायत मिली कि CBI अधिकारी रिश्वत लेकर कॉलेजों को मनमाफिक रिपोर्ट दे रहे हैं। विजिलेंस टीम ने जांच में शामिल अधिकारियों सहित 29 लोगों के मोबाइल को गृह मंत्रालय की अनुमति लेकर 18 मार्च 2024 से 18 मई 2024 के बीच इंटरसेप्ट करना शुरू किया।

सीबीआई विजिलेंस टीम को कॉल इंटरसेप्ट से मिले पुख्ता सबूत

चार्जशीट के मुताबिक मार्च 2024 से विजिलेंस की टीम ने जांच दल के सदस्यों के मोबाइल नंबरों को इंटरसेप्ट करना शुरू किया था। इस दौरान पाया कि भोपाल सीबीआई में पदस्थ डीएसपी आशीष प्रसाद, इंस्पेक्टर राहुल राज, सुशील कुमार मजोका और ऋषिकांत असाठे रिश्वत लेकर नर्सिंग कॉलेजों के पक्ष में रिपोर्ट दे रहे हैं।

टीम को ये भी पता चला कि इन भ्रष्ट सीबीआई अधिकारियों के साथ इस खेल में ग्वालियर के जुगल किशोर, राधा रमन इंदौर के ओम गोस्वामी, रवि भदौरिया, प्रीति तिलकवार, वेद शर्मा, जुबेर खान, भोपाल के अनिल भास्करन, राजस्थान के झालावाड़ निवासी सचिन सहित अन्य लोग शामिल हैं। ये लोग अपात्र कॉलेजों के पक्ष में सूटेबल रिपोर्ट दे रहे थे।

राहुल राज को रिश्वत का बड़ा खिलाड़ी बताया गया, 27 कॉलेजों से रिश्वत

सीबीआई की चार्जशीट में इंस्पेक्टर राहुल राज को बड़ा खिलाड़ी बताया गया है। राहुल राज ने 7 कॉलेजों की जांच डीएसपी आशीष प्रसाद की अगुवाई वाली टीम के रूप में की, वहीं 5 कॉलेजों की जांच उसने खुद टीम लीडर के तौर पर की थी।

इसी जांच के दौरान राहुल ने दलाल ओमगिरी गोस्वामी, रवि प्रताप सिंह भदौरिया और जुगल किशोर शर्मा से कॉन्टैक्ट बनाया था। वहीं अन्य आरोपी इंस्पेक्टर सुशील कुमार मजोका व इंस्पेक्टर ऋषिकांत असाटी ने भी जांच के दौरान टीम लीडर के रूप में कई नर्सिंग कॉलेजों का निरीक्षण किया था।

23 नामजद आरोपियों में किसकी क्या भूमिका थी

आशीष प्रसाद : भोपाल सीबीआई में डीएसपी। आगर मालवा, धार, गुना, खरगोन, इंदौर, मंदसौर, रतलाम और उज्जैन जिलों के 58 नर्सिंग कॉलेजों का निरीक्षण शामिल थे।
राहुल राज : भोपाल सीबीआई में इंस्पेक्टर थे। वे पीई संख्या 03(ए)/2024 की जांच में आरोपी डीएसपी आशीष प्रसाद के सहयोगी थे।
धर्मपाल शर्मा : श्रीगंगानगर राजस्थान का रहने वाला है। सीबीआई इंस्पेक्टर राहुल राज का करीबी सहयोगी है।
सुशील कुमार मजोका : मूल रूप से एमपी पुलिस के कर्मचारी हैं। वह जबलपुर, दमोह, सतना, सीधी, सिंगरौली, रीवा, भिंड, शिवपुरी, दतिया और रतलाम जिले के लगभग 25 कॉलेजों के निरीक्षण में शामिल रहा।
ऋषि कुमार असाटी : एमपी विशेष सशस्त्र बल का कर्मचारी है। 6 अगस्त 2016 से सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर बतौर इंस्पेक्टर तैनात था।
जुगल किशोर शर्मा : ग्वालियर के भास्कर नर्सिंग कॉलेज का निदेशक है। वह रतलाम के सैलाना स्थित आधार नर्सिंग कॉलेज का उप प्राचार्य भी था।
रोहित शर्मा : रतलाम के सैलाना स्थित आधार नर्सिंग कॉलेज, में प्राचार्य था।
राधा रमन : आरोपी जुगल किशोर शर्मा का भाई है। वह पीएचसी, गदोहार, पन्ना में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (संविदा) के पद पर कार्यरत था।
राहुल शर्मा : गोविंद भवन, गोवर्धन कॉलोनी, रूप विहार, जयपुर, राजस्थान का रहने वाला है। वह आरोपी जुगल किशोर शर्मा का दूर का रिश्तेदार (मामा) है।
ओम गिरी गोस्वामी : वह इंदौर, देवास और खरगोन में छह कॉलेजों का मालिक या सह मालिक है।
मुकेश गिरी गोस्वामी : आरोपी ओम गिरी गोस्वामी के सगे भाई हैं और शुभदीप कॉलेज ऑफ नर्सिंग, इंदौर, एमपी के निदेशक हैं।
प्रीति तिलकवार : इंदौर के प्रत्यांश कॉलेज ऑफ नर्सिंग में प्रशासनिक अधिकारी थीं और अंश कॉलेज ऑफ नर्सिंग खरगोन की निदेशक भी हैं।
सचिन जैन : भोपाल में मेसर्स वर्डलैब ग्राफिक्स नाम के प्रिंटिंग प्रेस का मालिक है। वह प्रीति तिलकवार का जीजा है। उसकी शादी प्रीति तिलकवार की बहन रश्मी जैन से हुआ है।
वेद प्रकाश शर्मा और जुबेर शेख : वेद प्रत्यांश कॉलेज ऑफ नर्सिंग में मार्केटिंग मैनेजर और जुबेर ड्राइवर के रूप में कार्यरत थे। दोनों आरोपी ओमगिरी गोस्वामी के कर्मचारी हैं।
मोहित निरोगे : खरगोन जिले के भगवानपुर सीएचसी में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर कार्यरत है। इसके साथ वह कन्हैया मालवीय द्वारा संचालित शुभदीप कॉलेज और शुभदीप कॉलेज ऑफ नर्सिंग में पार्टनर है।
गौरव शर्मा : आरोपी ओमगिरी गोस्वामी के स्वामित्व वाले प्रत्यांश कॉलेज ऑफ नर्सिंग, इंदौर, का स्टाफ है।
रवि प्रताप सिंह भदौरिया : आरडी मेमोरियल कॉलेज, इंदौर का मालिक और आरोपी ओम गिरी गोस्वामी का करीबी दोस्त है।
अनिल भास्करन : मलय कॉलेज ऑफ नर्सिंग, भोपाल का चेयरमैन एवं आरोपी सुमा अनिल भास्करन का पति है।
अशोक नागर : मिरेकल-नर्सिंग कॉलेज, मंदसौर (म.प्र.) में डिप्टी-प्रिंसिपल के रूप में कार्यरत था। इसके अलावा वह साईं नाथ कॉलेज ऑफ नर्सिंग, भेंडसोडा मंडी, मंदसौर, का मालिक भी हैं।
कमल हिरानी : श्री साईं बाबा कॉलेज फॉर टीचर्स ट्रेनिंग खंडवा रोड इंदौर के निदेशक थे।
आशीष चौहान : धार कॉलेज ऑफ नर्सिंग, धार के निदेशक हैं।
मोहम्मद तनवीर खान : हृदय केयर्स एंड सक्सेस ऑटो मोबाइल, इंदौर ग्रुप सीईओ के रूप में कार्यरत था। वह सीबीआई इंस्पेक्टर आरके असाटी की पत्नी सरिता असाटी उर्फ सरिता गुप्ता उर्फ मीरा का दोस्त है।
जल्पना अधिकारी : वह भाभा विश्वविद्यालय, भोपाल की प्रिंसिपल हैं। वह जांच दल में बतौर विशेषज्ञ शामिल थीं।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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