इंदौर, उज्जैन के बाद अब भोपाल में भिखरियों के पुनर्वास की तैयारी
भोपाल । मप्र सरकार प्रदेश को भिखारी मुक्त करने के अभियान पर काम कर रही है। इंदौर, उज्जैन के बाद अब भोपाल को भिखारी मुक्त करने का अभियान शुरू किया गया है। भोपाल में भी इंदौर की तरह भीख देने वालों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। भिक्षावृति को हतोत्साहित करने के लिए प्रशासन ने कमर कस ली है। जानकारी के अनुसार समाज कल्याण विभाग द्वारा हजारों भिखारियों को चिन्हित किया गया है। इनमें से कई भिखारियों की प्रोफाइल तैयार कर ली गई है।
जानकारी के अनुसार मप्र सामाजिक न्याय विभाग द्वारा भिखारियों के पुनर्वास के लिए भिक्षु गृह बनाए जाने का प्रस्ताव भेजा गया है। एनजीओ की मदद से इन गृहों को संचालित किया जाएगा। कुछ अस्थाई भिक्षुक गृह को पंजीकृत निजी संस्था संचालित करेंगे। गौरतलब है कि सबसे स्वच्छ शहर इंदौर अब भिखारी मुक्त शहर भी बनने की राह पर आगे बढ़ गया है। नए साल से यदि दरियादिली दिखाते हुए इंदौर शहर में कोई भीख देता पाया गया तो उस व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है। इंदौर कलेक्टर ने लोगों से अपील की है कि, वे भिक्षावृत्ति को बढ़ावा न दें।
1 जनवरी से लागू होंगे नए नियम
नियमों में बदलाव 1 जनवरी से लागू किया जाएगा। इंदौर को भिखारी मुक्त बनाने के लिए प्रशासन अब अपनी कमर कस ली है। बीते कई समय से इंदौर में प्रशासनिक अमला भीख मांगने वालों को रेस्क्यू कर उनके रिहैबिलिटेशन के लिए काम कर रहा है। वहीं, शहर में भीख देने वालों पर नजर रखने के लिए पुलिस, नगर निगम, प्रशासन की टीम तैयार की जाएगी, जो चौक, चौराहों, तिराहों, धार्मिक स्थल सहित अन्य स्थानों पर नजर रखेगी। यहां भीख देने वालों को पहले समझाया जाएगा। इसके बाद भी यदि नहीं मानते हैं तो उन पर जुर्माना की कार्रवाई की जाएगी। इंदौर को भिक्षावृत्ति मुक्त शहर बनाने के लिए सार्वजनिक जगहों पर भीख देने वाले लोगों पर जुर्माना लगाने की कार्रवाई की जा चुकी है। इसके साथ ऐसे भिखारी जो बार-बार समझाइश के बाद भी नहीं माने, उन्हें भिक्षुक गृह भेजा गया। शहर के लोगों को जागरुक करने के लिए अभियान चलाया गया, जिसमें एनजीओ की मदद ली गई।
भिखारियों की बन रही प्रोफाइल
समाज कल्याण विभाग ने इसके लिए तीन हजार भिखारियों को चिह्नित किया है, जिनका पुनर्वास किया जाना है। इनमें से 200 की पूरी प्रोफाइल बना ली गई है। प्रशासन भीक्षावृत्ति को हतोत्साहित करने के लिए भीख देने वालों पर भी जुर्माना लगाने की योजना बना रहा है। मप्र सामाजिक न्याय विभाग ने शहर में भिक्षुक गृह बनाने का प्रस्ताव भेजा है। इसको गैर सरकारी संगठनों की मदद से संचालित किया जाएगा। सामाजिक न्याय विभाग की ओर से बताया गया है कि फिलहाल भिक्षुक गृह शुरू करने के लिए निजी संस्था को जिम्मा दिया गया है। संस्था ने भवन की तलाश शुरू कर दी है। इसमें आदतन भिखारियों को रखकर उनको शासकीय योजनाओं से जोड़ा जाएगा। उनको रोजगार के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि वे सक्षम बनकर मेहनत की कमाई से खुद का और परिवार का पालन पोषण कर सकें। बताया जा रहा है कि शहर को भिक्षावृत्ति से मुक्त बनाने में कम से कम एक साल का समय लगेगा। भोपाल के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि शहर को भिक्षावृत्ति मुक्त करने की कवायद चल रही है। भिक्षुक गृह के साथ आम लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाया जाएगा, जिससे शहर को भिक्षावृत्ति मुक्त कराया जा सके। भोपाल शहर से भिक्षावृत्ति के काम में लगे जिन 200 लोगों की प्रोफाइल तैयार की गई है, उनमें सबसे अधिक 141 भिखारी गोविंदपुरा क्षेत्र में हैं।
कई के आधार ही नहीं बने हैं
टीटी नगर, एमपी नगर, हुजूर और कोलार सर्कल क्षेत्र में भीख मांगने वाले बच्चे, महिलाएं और अन्य पुरुषों को चिह्नित किया गया है। ये सभी चौक, चौराहों, तिराहों, धार्मिक स्थल, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और सभी प्रकार के सामाजिक स्थलों पर मिले हैं। भीख मांगने वालों कई ऐसे बच्चे और महिलाएं मिली हैं, जिनके आधार ही नहीं बने है। उपायुक्त सामाजिक न्याय आरके सिंह का कहना है कि भिक्षुक गृह बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है, जिसे एनजीओ की मदद से खोला जाएगा। महिला बाल विकास विभाग और श्रम विभाग की मदद से शहर के भिखारियों की पहचान की जा रही है।