MP: अथ मुख्यसचिव नियुक्ति कथा… दिल्ली से एक कॉल आया और बदल गए समीकरण, देर रात निकला अनुराग जैन का आदेश

राजौरा की चर्चा चलती रही और सीएस बन गए जैन, सीएम यादव भी रह गए स्तब्ध…

संजय सक्सेना
मध्यप्रदेश के नए मुख्य सचिव अनुराग जैन हो गए हैं। आदेश सोमवार देर रात जारी किया गया। अनुराग जैन एमपी कैडर के सबसे वरिष्ठ अफसर हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि डॉ. राजेश राजौरा को मुख्य सचिव बनाने का आदेश दोपहर बाद जारी होना था। मुख्यमंत्री झारखंड रवाना हो गए। बताया जाता है कि दोपहर करीब साढ़े 12 बजे पीएमओ से मुख्यमंत्री कार्यालय के पास कॉल पहुंचा और बताया कि अनुराग जैन मप्र के नए मुख्य सचिव होंगे। इसके बाद दोपहर 2 बजे सामान्य प्रशासन विभाग ने केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को जैन की सेवाएं मध्यप्रदेश को लौटाने के लिए पत्र भेजा।
अनुराग जैन के मुख्य सचिव बनने के पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है। दरअसल, उनका नाम मुख्य सचिव की दौड़ में तो था, लेकिन प्रबल दावेदार अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा थे। प्रशासनिक सूत्र बताते हैं कि राजौरा का नाम लगभग फाइनल हो चुका था। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव खुद ही उनकी सिफारिश करने दिल्ली गए थे। सूत्र बताते हैं कि गृहमंत्री अमित शाह राजोरा के नाम से सहमत भी हो गए थे। उनका नाम प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा गया, लेकिन 29 सितंबर तक वहां से कोई जवाब नहीं मिला। 30 सितंबर की सुबह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव झारखंड के लिए रवाना होने वाले थे। उससे पहले तक दिल्ली से कोई संदेश नहीं आया तो ऐसा माना जा रहा था कि डॉ. राजौरा ही अगले मुख्य सचिव होंगे। खबरें चलने लगीं। अधिकारियों ने और उनके शुभेच्छुओं उन्हें बधाई भी दे दी थी। यह बात और है कि उन्होंने यही कहा, अभी सब कुछ हवा में है। शायद उन्हें आभास हो रहा था कि दिल्ली उनके साथ नहीं है। हुआ भी यही। दिल्ली से आए एक कॉल ने समीकरण बदल दिए और राजौरा की जगह अनुराग जैन सीएस बन गए। यह सूचना मुख्यमंत्री को झारखंड में ही मिली। उनके पास कुछ करने के लिए बचा भी नहीं था। सो खबरें चलवाई गईं कि मुख्यमंत्री की पसंद हैं अनुराग जैन। जबकि सच यह था कि मुख्यमंत्री राजोरा को ही सीएस बनवाने की लाबिंग कर रहे थे।
फरवरी में अनुराग जैन का नाम प्रस्तावित किया गया था
ऐसे तो पूर्व सीएम शिवराज के समय भी अनुराग जैन के भोपाल आने की खबरें चलीं, लेकिन वो नहीं आ सके। एक खबर यह चली कि वह खुद नहीं आना चाहते, दूसरी यह कि मुख्यमंत्री नहीं चाहते। फिर, मुख्यमंत्री बनने के बाद डॉ. मोहन यादव दिसंबर 2023 के आखिरी हफ्ते में दिल्ली गए थे, तब अनुराग जैन ने उनसे मुलाकात कर मुख्य सचिव बनने की सहमति दी थी। यानी वे प्रतिनियुक्ति से मध्यप्रदेश वापस लौटना चाहते थे। इधर, मध्यप्रदेश की तत्कालीन मुख्य सचिव वीरा राणा 31 मार्च 2024 को रिटायर हो रही थीं।
अनुराग जैन के सहमति देने के बाद फरवरी में राज्य सरकार ने नए मुख्य सचिव के लिए उनका नाम प्रस्तावित किया और उनकी प्रतिनियुक्ति से वापसी के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जैन की सेवाएं मध्यप्रदेश को नहीं लौटाई गईं। ऐसे में वीरा राणा को 6 महीने का एक्सटेंशन दिया गया। पिछले दिनों दिल्ली प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अनुराग जैन से मुलाकात की थी। इसके बाद उनका नाम एक बार फिर प्रदेश के मुख्य सचिव पद के लिए चर्चा में आया था। पीएमओ की सलाह पर जैन भोपाल आकर भी सीएम से मुलाकात करके गए थे।
डॉ. राजौरा का नाम इस वजह से सीएस की दौड़ में शामिल था
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के एक हफ्ते बाद ही 1990 बैच के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा की मुख्यमंत्री कार्यालय में अपर मुख्य सचिव के तौर पर नियुक्ति की गई थी। इसी के बाद माना गया कि वे ही मप्र के अगले मुख्य सचिव के लिए प्रबल दावेदार हैं क्योंकि मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ होने वाले अपर मुख्य सचिव स्तर के वे पहले अफसर थे। फरवरी के बाद मुख्यमंत्री की दिल्ली में दो बार अनुराग जैन से मुलाकात हुई, लेकिन उन्हें मुख्य सचिव बनाने को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई। ऐसे में डॉ. राजौरा को मुख्य सचिव बनाए जाने का रास्ता साफ होता दिखाई दिया क्योंकि वीरा राणा को दूसरी बार एक्सटेंशन देने के लिए सरकार ने केंद्र को कोई पत्र नहीं लिखा था।
पीएमओ से 29 सितंबर तक नहीं मिला था जवाब
सरकारी सूत्रों का दावा है कि प्रदेश का मुख्य सचिव कौन होगा, ये तय करना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है, लेकिन नियुक्ति से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय को अवगत कराया जाता है। यही वजह है कि राज्य शासन ने दो दिन पहले डॉ. राजेश राजौरा को मुख्य सचिव बनाए जाने की जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दी थी। पीएमओ से 29 सितंबर तक कोई जवाब नहीं मिला था।
झारखंड जाने से पहले सीएम के पास दिल्ली से कोई संदेश नहीं पहुंचा
सूत्रों की मानें तो 30 सितंबर की सुबह जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भोपाल से झारखंड के लिए रवाना हुए, तब तक दिल्ली से किसी भी तरह का कोई मैसेज नहीं पहुंचा था। इसलिए यह माना जा रहा था कि डॉ. राजेश राजौरा ही प्रदेश के अगले मुख्य सचिव बनाए जाएंगे। यही वजह है कि डॉ. राजौरा को कई अफसरों ने मुख्य सचिव बनने की बधाई भी दे दी थी।
नए सीएस का आदेश जारी होने में इतनी देरी क्यों?
नए मुख्य सचिव अनुराग जैन का आदेश सोमवार देर रात जारी हुआ। ये आदेश जारी करने में इतनी देरी क्यों हुई, इसके जवाब में एक पूर्व प्रशासनिक अधिकारी कहते हैं कि राज्य का मुख्य सचिव बनाने की एक प्रक्रिया होती है। सभी को पहले से पता होता है कि मौजूदा मुख्य सचिव कब रिटायर होने वाले हैं।
नया मुख्य सचिव कौन बनने वाला है, उसे लेकर भी प्रशासनिक प्रक्रिया पूरी की जाती है। यदि मप्र में ही पदस्थ किसी अपर मुख्य सचिव को मुख्य सचिव बनाना है तो उसके लिए केंद्र सरकार से किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं होती। यदि केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ मप्र कैडर के किसी अधिकारी को मुख्य सचिव बनाना है तो उसकी एक प्रक्रिया होती है। इसे पूरा करने में वक्त लगता है। राज्य सरकार, केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को पत्र लिखकर केंद्र में पदस्थ अफसर की सेवाएं वापस मांगती है। 30 सितंबर देर शाम को उन्हें केंद्र सरकार ने रिलीव किया और देर रात को राज्य सरकार ने उनकी नियुक्ति के आदेश जारी किए।
क्या वास्तव में राजोरा की फाइल पीएमओ में है? क्या है फाइल में?
सूत्र बताते हैं कि पीएमओ यानि प्रधानमंत्री कार्यालय डा. राजोरा को सीएस बनाने के पक्ष में नहीं था। इसके पीछे राजोरा की एक फाइल बताई जा रही है, जो पीएमओ पहुंंचाई गई। इस फाइल को लेकर तरह-तरह की चर्चा है। सूत्र बताते हैं कि इसमें उनके खिलाफ ऐसे कई मामले हैं, जो भ्रष्टाचार के साथ ही एकपक्षीय निर्णय की हद में आते हैं। लोकायुक्त में उनके खिलाफ 12 करोड़ 84 लाख की दवा खरीदी का मामला दर्ज हुआ था। जब वो एसीएस गृह थे, उस दौरान इस मामले को खारिज कर दिया गया। केंद्र ने इस पर आपत्ति जताई थी।  इसके अलावा 27 लाख के इंजेक्शन खरीदी का मामला भी उनके खिलाफ दर्ज था। आयकर विभाग की तरफ से भी एक मामला न्यायाधिकरण में चला था। और भी कुछ मामले बताए जाते हैं। सूत्रों का दावा है कि पीएम मोदी ने विशेष रुचि लेते हुए ही राजोरा की जगह अनुराग जैन की नियुक्ति के निर्देश दिए और इसकी जानकारी मुख्यमंत्री को भी तब मिली, जब पीएमओ से सीएम कार्यालय फोन पहुंचा।

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Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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