बिजली कटौती से पिघली आइसक्रीम, कोर्ट ने विद्युत कंपनी को ठहराया जिम्मेदार

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिला उपभोक्ता आयोग ने बिजली बंद होने से आइसक्रीम पिघलने के मामले में राज्य विद्युत वितरण कंपनी को दोषी ठहराया है। कंपनी को आइसक्रीम पार्लर के संचालक स्वराज घोष को मुआवजा देना होगा।

आइसक्रीम पार्लर संचालक ने याचिका में कहा कि 16 और 17 फरवरी, 2021 को 24 घंटे तक बिजली बंद थी। इसके कारण पार्लर के आइसक्रीम और फ्रोजन उत्पादों को भारी नुकसान हुआ। शिकायत करने के बावजूद विद्युत वितरण कंपनी ने विद्युत आपूर्ति की बाधा को सुधारने में लापरवाही बरती।

विद्युत कंपनी को कुल 20,000 रुपये का हर्जाना भरना होगा

आयोग ने आदेश दिया कि विद्युत कंपनी को कुल 20,000 रुपये का हर्जाना भरना होगा। इनमें 6135 रुपये की क्षतिपूर्ति, उस पर 18 प्रतिशत ब्याज, मानसिक क्षति व वाद व्यय शामिल है। नियमानुसार, विद्युत कंपनी शहरी क्षेत्र में साधारण काम के लिए छह घंटे और बड़े कार्य के लिए 24 घंटे बिजली बंद कर सकती है। इस मामले में कंपनी ने साधारण काम के लिए बिना सूचना 24 घंटे बिजली बंद रखी थी।

कंपनी ने लापरवाही बरती और शिकायत पर ध्यान नहीं दिया

विद्युत वितरण कंपनी ने तर्क दिया कि बिजली कटौती एक सामान्य प्रक्रिया है। उपभोक्ता के पास वैकल्पिक साधनों की व्यवस्था होनी चाहिए। बिजली की आपूर्ति की गारंटी नहीं दी जा सकती है। आयोग ने पाया कि परिवादी के पास वैध विद्युत कनेक्शन था और वह नियमित रूप से बिल का भुगतान कर रहा था। आयोग ने माना कि विद्युत कटौती के दौरान कंपनी ने लापरवाही बरती और शिकायत पर ध्यान नहीं दिया, जिससे परिवादी को आर्थिक और मानसिक क्षति हुई।

काम के लिए लगातार टोकने से नाराज पुत्र ने की पिता की हत्या

बिलासपुर के थाना सीतापुर अंतर्गत ग्राम उड़ुमकेला बघमारा घुटरी में 20 वर्षीय युवक दीपक माझी ने अपने पिता रामगहन माझी 47 वर्ष की कुल्हाड़ी से वारकर हत्या कर दी। आरोपित पुत्र को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बताया गया कि पिता द्वारा काम करने के लिए लगातार टीका-टिप्पणी किए जाने से नाराज पुत्र ने हत्याकांड को अंजाम दिया।

घटना शुक्रवार तड़के चार बजे की बताई गई है जब रामगहन अपने घर में आग ताप रहा था। इसी दौरान पुत्र दीपक माझी ने अचानक उस पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। उसकी मौके पर ही मौत हो गई। सूचना पर पुलिस ने आरोपित पुत्र को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 103(1) के तहत अपराध दर्ज कर लिया है।

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