जटाधारी स्वरूप में बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार, रजत मुकुट के साथ रमाई भस्म

श्री महाकालेश्वर मंदिर में भस्मारती के दौरान बाबा महाकाल के मस्तक पर त्रिपुंड, चंद्र और रजत मुकुट लगाकर भस्म रमाई गई। फिर फूलों की माला से जटाधारी स्वरूप में श्रृंगार किया गया। जिसने भी इन दिव्य दर्शन का लाभ लिया, वह देखते ही रह गया।  

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी ने बताया कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पर शनिवार को बाबा महाकाल सुबह 4 बजे जागे। भगवान वीरभद्र और मानभद्र की आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोले गए। सबसे पहले भगवान को स्नान, पंचामृत अभिषेक करवाने के साथ ही केसर युक्त जल अर्पित किया गया। भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल को त्रिपुंड, चंद्र और रजत मुकुट से सजाया गया, और महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा बाबा महाकाल को भस्म अर्पित की गई। श्रद्धालुओं ने नंदी हॉल और गणेश मंडपम से बाबा महाकाल की दिव्य भस्म आरती के दर्शन किए और भस्म आरती का लाभ प्राप्त किया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के निराकार से साकार होने के स्वरूप का दर्शन कर ‘जय श्री महाकाल’ का उद्घोष भी किया।

मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया के श्रद्धालु ने मंदिर को भेंट की ग्यारह व्हीलचेयर

भगवान श्री महाकाल की सेवा में भक्तगण स्वर्ण-रजत, अन्नदान, आभूषण आदि के साथ ही मंदिर के उपयोग में आने वाली अनेक सामग्री भी भेंट करते हैं। इसी क्रम में मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया के व्यवसायी सतीश गोसाईं भगवान श्री महाकाल के दर्शन हेतु उज्जैन पधारे। गोसाईं मंदिर की व्यवस्थाओं से अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने श्रद्धालुओं की सेवा-सुविधा में सहयोग करने की इच्छा जताई। मंदिर कार्यालय ने उन्हें निःशक्तजनों एवं दिव्यांगजन के लिए उपलब्ध दर्शन सुविधाओं के बारे में बताया, जिसमें निःशुल्क व्हीलचेयर, चालक और केयरटेकर की व्यवस्था शामिल है। गोसाईं ने व्हीलचेयर संचालन व्यवस्था देखकर प्रसन्नता व्यक्त की और इंदौर से उच्च गुणवत्ता की ग्यारह व्हीलचेयर मंगवाकर मंदिर को भेंट की। उन्होंने श्री महाकाल महालोक का भ्रमण भी किया और कहा कि उज्जैन आने की उनकी वर्षों की तमन्ना पूरी हुई; यहां की भूमि पर उन्हें ईश्वर की विस्मयकारी अनुभूति हुई। मंदिर स्टोर शाखा के अभिषेक उपाध्याय ने गोसाईं को विधिवत भेंट की रसीद प्रदान की, और सहायक प्रशासनिक अधिकारी आर.के. तिवारी ने उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया।

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