बिलासपुर । कोनी के साढ़े आठ करोड़ का सिटी बस टर्मिनल डिपो कचराखाने और कबाडग़ंज में तब्दील हो गया है। वही दूसरी तरफ मार्च से सडक़ों पर फिर से इलेक्ट्रिक सिटी बसें दौड़ाने और डिपो में इसकी तैयारी का दावा किया जा रहा। गौरतलब है कि साल 2016-17 में केंद्र की योजना के तहत बिलासपुर सहित छत्तीसगढ़ के चुनिंदा शहरों में सिटी बस सेवा की शुरुआत की गई थी। योजना के संचालन का दायित्व जिला शहरी सार्वजनिक यातायात सोसायटी को और सोसायटी ने बेंगलोर की दुर्गाम्बा सर्विस को बसों के संचालन का काम दिया। कम्पनी ने सडक़ की बदहाली और रखरखाव में हो रहे भारी भरकम खर्च को लेकर कई बार रियायत की मांग की परन्तु प्रशासन ने ध्यान नही दिया।
एजेंसी में साढ़े 11 लाख के बिल का भुगतान न होने के कारण खड़ी
कोरोना काल के ठीक पहले कम्पनी यहां से कामकाज समेटकर भाग गई। कम्पनी के द्वारा मरम्मत के लिए दी गई 11 बसे अभी भी एजेंसी में साढ़े 11 लाख के बिल का भुगतान न होने के कारण वही खड़ी है। अब फिर मार्च महीने से शहर की सडक़ों पर इलेक्ट्रिक सिटी बसे दौड़ाने का दावा किया जा रहा। टर्मिनल डिपो के ऑफिस के लिए एक कोने में बनाये गए भवन में निगम के जॉन क्रमांक 8 का दफ्तर लग रहा है। इस बिल्डिंग के ठीक बगल से कबाड़ सिटी बसे खड़ी है। किसी के चक्के गायब है तो किसी के इंजन और सीटे। बीच मे कचरा संकलन करने वाली रामकी कम्पनी की गाडिय़ां खड़ी है। टर्मिनल डिपो में जहां बसों की मरमत और रखरखाव कार्य के लिए गैरेज बनाया गया था उसके ठीक सामने मैदान में कचरे का ढेर लगा है जहां मवेशियों के अपना चारा ढूंढ रहे है। उचित देखरेख के अभाव में पूरा परिसर कचरे के ढेर और कबाड़ बसों से रंड भंड पड़ा है। कोई देखने वाला नही है। हमने जॉन कमिश्नर श्री उपाध्याय से भेंट कर चर्चा का प्रयास किया तो वे कार्यालय में मिले नही। मोबाइल पर कॉल कर चर्चा की गई तो उन्होंने कहा दिया मुख्यालय वाले जानें आप उन्ही से पूछिए।